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मध्य प्रदेश में पानी की कमी और भीषण गर्मी के कारण 200 से ज्यादा बंदरों की मौत

गाँव कनेक्शन | Jun 08, 2019, 07:17 IST
पूरा देश गर्मी और लू की चपेट में है। जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। तपती गर्मी और लू से इंसान तो किसी तरीके से बच जा रहे हैं लेकिन बेजुबान खुद को नहीं बचा पा रहे हैं।
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रश्मि पुष्पेंद्र वैद्य, कम्युनिटी जर्नलिस्ट

देवास(मध्यप्रदेश)। पूरा देश गर्मी और लू की चपेट में है। जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है। तपती गर्मी और लू से इंसान तो किसी तरीके से बच जा रहे हैं लेकिन बेजुबान खुद को नहीं बचा पा रहे हैं। मध्य प्रदेश के देवास जिले में भीषण गर्मी और लू की वजह से कई बंदरों की माैत हो गई है। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही ये संख्या 200 से ज्यादा है।

200 से ज्यादा बंदरों ने तोड़ा दम

स्थानीय लोगों का भी कहना है कि 200 से ज्यादा बंदरों की मौत हुई है लेकिन वन विभाग इस बात से इनकार कर रहा है। विभाग की मानें तो अभी तक 9 बंदरों के मरने की पुष्टि ही हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बंदरों की मौत की वजह को हीटस्ट्रोक बताया गया है।

वन विभाग के अधिकारी नौ बंदरों की मौत का दे रहे हैं आकड़ा

देवास जिले के पुंजापुरा से सटे जोशी बाबा के जंगल में कई बंदरों के शव पड़े मिले हैं। भीषण गर्मी में तालाबों और नदियों के सूख जाने की वजह से बंदरों को पानी नहीं मिला। गर्म हवाओं के थपेड़े और भीषण लू इनकी जान जाने की वजह बन गई। बंदरों की मौत की खबर लोगों को तब पता चली जब पास के मानसी पुरा गांव के कुछ ग्वाले बकरी चराने जंगलों में गए थें और उसी समय उन्होंने वहां कई बंदरों के शव देखे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार कई जगहों पर बंदरों के शव भी जलाए गए हैं लेकिन वन विभाग के अफसर इस बात से इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि महज 9-10 बंदरों की ही मौत हुई है।

दूर- दूर तक वन्य जीवों के लिए पानी की कोई व्यव्स्था नहीं

बंदरों की जहां मौत हुई है वहां से 3-3 किलोमीटर दूर तक पानी का कोई बंदोबस्त ही नहीं है। नदी सूख चूकी है, पोखरों में भी पानी नहीं नहीं है। हैडपैंप हैं लेकिन वो भी सूख चुके हैं या खराब हैं। गर्मी में वन्य जीवों को पानी की व्यवस्था करना वन विभाग का काम है। यहां विभाग की गंभीर लापरावाही उजागर हुई है।

वन विभाग ने कई बंदरों के जला दिए शव

लापरवाही पर पर्दा डालने के वन विभाग ने बगैर पोस्टमार्टम के कई शवों को भी जला दिया। अभी तक 500 मीटर के अंदर जितने बंदरों की मौत हुई है लोगों को केवल उसी की जानकारी है बाकि पूरे जंगल में कितने बंदरों की मौत हुई है यह बताना अभी मुश्किल है। जिन नौ बंदरों का पंचनामा हुआ है उनमें उनकी मौत हीथस्ट्रोक की वजह से निकल कर सामने आई है।

वन विभाग के एसडीओ ने पानी की कमी से किया इनकार

वन विभाग के एसडीओ आर आर परमार ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उन्हें जैसे ही खबर मिली वह डाक्टर के साथ जंगल की ओर निकल पड़े। पूरे क्षेत्र की जांच करने पर नौ बंदरों के शव मिले हैं। पानी की समस्या को नकारते हुए उन्होंने कहा जोशी बाबा क्षेत्र के पास तालाब में पानी भरा हुआ, बंदरों की मौत पानी की कमी की वजह से तो नहीं, लेकिन हीथ स्ट्रोक की वजह से जरूर हुई है।बंदरों के पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर अरूण मिश्रा ने भी बताया कि प्रथम दृष्टया पोस्टमार्टम में 9 बंदरों की मौत हीथ स्ट्रोक की वजह से मल्टिपल आर्गन फेल्योर होने के कारण निकल कर सामने आई है।

क्षेत्र में जैसे ही यह खबर फैली वन विभाग में हड़कंप मच गया और वन अधिकारी ने जंगल की तरफ दौड़ लगा दी। चेन्नई के एनिमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य डॉ सुधीर खेतावत ने इस घटना को विभाग की गंभीर लापरवाही का नतीजा बताया है। डॉ खेतावत ने इसकी शिकायत बोर्ड के डायरेक्टर से भी करते हुए कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

इससे पहले भी हो चुकी है इस तरह की घटनाएं

देवास में इससे पहले भी इस तरह की घटना सामने आ चुकी है। 2012 में भी ऐसे ही कई बंदरों की आचानक मौत हो गई थी। उसमें भी जांच के बाद बंदरों की मौत की वजह हीथस्ट्रोक निकल कर आई थी। उस घटना के बाद से भी वन विभाग ने कोई सीख नहीं थी। वन्य जीवों के लिए पानी की व्यवस्था करने में लापरवाही बरती जिसका परिणाम एक साथ 200 से ज्यादा बंदरों की मौत से सामने आया है।

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