'तीन महीने से तांगे बंद हैं, हम भी आधा पेट खा रहे हैं और घोड़ों को भी आधा पेट खिला रहे हैं'

Abhishek Verma | Jun 17, 2020, 05:45 IST
एक समय था, जब पुराने लखनऊ में तांगे दौड़ते दिखायी देते थे, फिर ई-रिक्शा और ऑटो चलने के के कारण तांगे को सवारी मिलना मुश्किल हो गया, लेकिन लखनऊ आने वाले पर्यटकों की वजह से कुछ कमाई हो जाती थी, लेकिन पिछले तीन महीनों से तांगे ही नहीं चले, अब वो अपना पेट कैसे भरे और कैसे अपने घोड़ों का।
#horse-cart
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। कभी यहां की गलियों में तांगे दौड़ा करते थे, पिछले तीन महीनों में सब कुछ ठहर गया है, तांगे की रफ्तार भी और तांगे वालों की जिंदगी भी। अब तो उनके सामने मुश्किल ये है कि अपना पेट कैसे भरे और कैसे अपने घोड़ों का।

महरून के पति भी तांगा चलाते थे, लेकिन लॉकडाउन में बीमारी से घोड़ा भी मर गया। अब घर चलाने के लिए कुछ तो करना था। इसलिए महरून ने एक छोटी सी दुकान शुरू कर दी है। अपने घर के सामने तख्त पर सामान बेचती महरून बताती हैं, "घोड़ा लॉकडाउन में मर गया, इलाज भी नहीं करा पाए। पति तांगा चलाते थे अब घर चलाने के लिए कुछ तो करना ही था, उधार पैसे लेकर ये दुकान शुरू कर दी है।"

346802-img20200615133414-scaled
346802-img20200615133414-scaled

घर के बगल में अब भी तांगा पड़ा हुआ है, लेकिन बिना घोड़े के तो चल नहीं सकता। वो आगे कहती हैं, "तांगा से पहले रोज कर 300-400 रुपए मिल जाता था, उससे घर का खर्च भी निकल जाता और घोड़े के खाने का भी निकल जाता। अब तो पूरे दिन इस दुकान पर बैठने के बाद 50 रुपए की ही कमाई हो पाती है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देश-विदेश से आने वाले सैलानियों का मुख्य आकर्षण बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा, घंटाघर, पिक्चर गैलरी जैसी जगह हैं। इन जगहों पर सैलानी तांगा पर ही जाना पसंद करता है खासकर विदेशी सैलानी तो तांगा ही लेता है। 22 तांगा वाले यहां कई-कई साल से चला रहे हैं। लेकिन इस बार स्थिति ऐसी है जो इससे पहले कभी नहीं हुई।

346804-gulabo
346804-gulabo
गुलाबो सिताबो फिल्म में अमिताभ बच्चन के साथ जुम्मन खान

अगर आपने गुलाबो-सिताबो फिल्म देखी है तो फिल्म के आखिर में तांगे में बैठे अमिताभ बच्चन और उनके बगल के तांगे पर बैठे जुम्मन खान भी याद होंगे। पहले से तंगी की हालत में जी रहे जुम्मन और उनके जैसे कई तांगे वालों की हालत कोरोना ने और खराब कर दी है।

पिछले पचास साल से भी ज्यादा समय से पुराने लखनऊ की गलियों में तांगा चलाने वाले जुग्गन ने पिछले तीन महीनों से अपना तांगा बाहर नहीं निकाला। अपने घोड़े को सहलाते हुए कहते हैं, "खुद भी आधा पेट खाना खा रहा हूं और घोड़े को भी आधा ही पेट खिला पा रहा हूँ। तीन महीने हो गए घोड़े को भर पेट खाना खिलाए। पहले टेम्पो और ई-रिक्शा की वजह से हमारा काम सिर्फ बाहर से घूमने वालों तक ही सीमित हो गया था और अब इस बीमारी की वजह से जो बंदी हुई और लोगों ने आना बंद कर दिया तो हमारा खुद का खर्चा निकलना भी मुश्किल हो गया है।"

एक समय था, जब पुराने लखनऊ में तांगे दौड़ते दिखायी देते थे, फिर ई-रिक्शा और ऑटो चलने के के कारण तांगे को सवारी मिलना मुश्किल हो गया, लेकिन लखनऊ आने वाले पर्यटकों की वजह से कुछ कमाई हो जाती थी, लेकिन पिछले तीन महीनों से तांगे ही नहीं चले, अब वो अपना पेट कैसे भरे और कैसे अपने घोड़ों का।

जुग्गन आगे बताते हैं, "अब यहीं आस-पास से घास काट कर घोड़े को खिला देते हैं।"

346805-img20200615133418-scaled
346805-img20200615133418-scaled

तीन महीने से परेशानियों का सामना कर रहे जुग्गन मियां खुशी से बताते हैं कि अमिताभ बच्चन की गुलाबो सिताबो में उनका भी छोटा सा एक रोल है। जिसमे वो अपने तांगे पर बैठे हैं और अमिताभ बच्चन अपने टंगे पर।

इस काम में रुपए में चार आना बराबर पैसा मायने रखता है। मोहब्बत तो इस पेशे से और अपने घोड़े से है, मुहम्मद वसी बताते हैं। धंधा लॉकडाउन में खत्म हो गया है लेकिन जब घोड़े के बारे में बात की तो चेहरे पर खुशी के साथ वसी अपनी घोड़ी का नाम माया और काजल बताते हैं।

इस समय गलियों में खाली तांगे पड़े हुए हैं। घोड़े की सेहत से जुड़े सवाल पूछने पर गुस्से के साथ मोहम्मद शकील कहते हैं, "अगर ऐसा ही आगे भी रहा तो घोड़े को कहीं छोड़ देंगे वो अपना चरेगा जाकर। इस वक्त तो मोटा पतला कैसा भी खाना किसी तरह खिला ले रहे हैं लेकिन आगे बहुत मुश्किल होगा। हम 22 लोग यहां तांगा चलाते हैं लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई भी मदद नहीं मिली है। ये शाही सवारी है इस पर सरकार को भी कुछ सोचना चाहिए।"

Tags:
  • horse-cart
  • horse
  • oldlucknow
  • story

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.