सुरेश कबाड़े: गन्ने से 50-60 लाख की कमाई करने वाला किसान, जिसे 7 लाख किसान करते हैं सोशल मीडिया पर फॉलो
Arvind Shukla | Oct 18, 2019, 13:22 IST
- अपने खेतों में 1000-1100 कुंतल प्रति एकड़ गन्ना उगाते हैं सुरेश कबाडे
- महाराष्ट्र का ये किसान उगा चुका है 19 से 21 फीट तक का गन्ना
- सांगली के सुरेश कबाडे ने विकसित की है गन्ना उत्पादन की अपनी तकनीक
- देश के कई राज्यों के हजारों किसान उनसे खेती सीख कर कमा रहे हैं मुनाफा
पिछले दिनों महाराष्ट्र सरकार ने कृषि क्षेत्र का बड़ा पुरस्कार देने का ऐलान किया। इस दौरान गांव कनेक्शन की टीम मुंबई से करीब 400 किलोमीटर आगे सांगली जिले में उनके गांव कारनबाड़ी पहुंची। पुणे-बैंग्लुरू हाईवे पर बसे इस गांव में सुरेश कबाड़े की दिखाई राह पर चलते हुए 70 फीसदी से ज्यादा किसान प्रति एकड़ 100 टन गन्ना लेते हैं।
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सुरेश कबाडे ने बेहतर गन्ना उत्पादन के लिए अच्छी किस्म (प्रजाति- 86032) भी विकसित की है, टिशू कल्चर से विकसित इन किस्म में लागत कम और उत्पादन बेहतर होता है। जबकि इसमें बाकी गन्नों की अपेक्षा रोग भी कम लगते हैं। सुरेश सिर्फ 9वीं पास हैं लेकिन खेती के वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग के लोग भी उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं। सुरेश की माने तो उनका ज्यादातर समय खेत में जाता है और वो भी ये सोचते हुई कि कम लागत में ज्यादा उत्पादन कैसे लिया जाए।
उस दिन रात में तेज बारिश हुई थी, महाराष्ट्र के इस इलाके की काली गीली मिट्टी पैरों में चुंबक की तरह चिपक रही थी, खेतों में चलना मुश्किल थी, बावजूद वो गांव कनेक्शन टीम और आसपास के गन्ना किसानों को लेकर खेत पर गए। उन्होंने गन्ने के बेहतर उत्पादन के वो दूसरे किसानों के 4 बातें ध्यान रखने की बात करते हैं..
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मिट्टी- खेत में न जलाएं अवशेष, अपनाएं फसल चक्र
पैर में चिपकी मिट्टी छुड़ाते हुए वो कहते हैं, "हमारे यहां ज्यादा उत्पादन के पीछे इस मिट्टी का बहुत बड़ा हाथ है। पहले हम भी गन्ने की पराली (अपशिष्ट) जला देते थे, केले के तने फेंक देते थे लेकिन अब सब खेत में मिलाते हैं। जिस खेत में एक बार गन्ना बोते हैं उसमें अगले साल चना या केला लगाते हैं। फसल चक्र का ध्यान रखते हैं और उर्वरक की संतुलित मात्रा प्रयोग करते हैं।"
ध्यान देने वाली बातें..
लाइन से बुवाई के फायदे- ट्रैक्टर से जुताई और खाद डालने में आसानी
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गन्ने की कतार (पौधे) के पास एक मजदूर कुदाल से नाली बनाता है, दूसरा विभिन्न प्रकारों के उर्वरकों को उसमे डालता है जबकि तीसरा मजदूर उस को फावड़े से ढक देता है ताकि धूप से उर्वरक भाप बनकर न उड़े और जड़ों के पास पहुंचकर पौधे को पूरा पोषण दे। इसके साथ ही लाइन से लाइन का फायदा ये होता है कि ट्रैक्टर से समय-समय पर जुताई और उर्वरकों-कीटनाशकों का छिड़काव आसानी से हो जाता है। इसके साथ ही एक पौधे से पौधे के बीच में ज्यादा अंतर होने से धूप भी जड़ों तक पहुंचती है।
बीज का चुनाव- जिस गन्ने में कम हो चीनी, उसकी करे बुवाई
कैसे बनाते हैं टिशू कल्चर
गन्ने को हरी पत्तियों से बांधे नहीं
सुरेश कबाड़े कहते हैं कई राज्यों में किसान गन्ने को सीधा खड़ा रखने के लिए बंधाई कर देते हैं। लेकिन ये तरीका मुझे सही नहीं लगता क्योंकि गन्ने का भोजन उसकी पत्तियों में होता है और जब हरी पत्तियों से गन्ने को बांध दिया जाता है तो पत्तियों में जमा भोजन गन्ने को नहीं मिल पाता। पत्तियां सूख कर वही नीचे गिरती हैं, जिनके पोषक तत्व गन्ने में आ चुके होते हैं। सुरेश कबाड़े से भी कहते हैं, हमारे महाराष्ट्र में कहावत है, जिसका गन्ना गिरा वो किसान खड़ा हो जाता है।
प्रति एकड़ कमाई- 2 लाख से ज्यादा की कमाई
सुरेश कबाडे की कमाई का बड़ा जरिया गन्ने का सीड भी है। वो 5-6 एकड़ गन्ना बीज के लिए बोते हैं, जो सिर्फ 10 महीने में तैयार होता है। इस खेत का गन्ना वो 9 हजार रुपए प्रति कुंतल बेचते हैं जिससे करीब साढ़े तीन लाख रुपए प्रति एकड़ की आमदनी होती है। उनके खेतों का गन्ना, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और मध्य प्रदेश तक के किसान ले जाते हैं।
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आप सुरेश कबाड़े से इस नंबर पर संपर्क कर सकते हैं- 9403725999
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क्या कहते हैं किसान