20 वर्षों से व्हीलचेयर पर बैठकर दे रहे बच्चों को मुफ्त शिक्षा

Divendra Singh | Apr 19, 2019, 12:03 IST
#Swayam Story
मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)। एक हादसे ने गोपाल खंडेवाल की जिंदगी बदलकर रख दी, आज वो भले ही अपने पैरों के सहारे चल न पाते हों, लेकिन अब तक हजारों बच्चों को मुफ्त शिक्षा दे चुके हैं।

वाराणसी जिले के रहने वाले गोपाल खंडेलवाल मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहे थे, जब एक एक्सीडेंट में उनको बेसहारा बना दिया। गोपाल खंडेलवाल बताते हैं, "एक सड़क एक्सीडेंट में मेरे कमर के नीचे का हिस्सा पैरालाइज्ड हो गया। कई दिनों तक अस्पताल में पड़ा रहा, उस समय लगता कि जैसे कि मेरी जिंदगी खत्म हो गई, उस समय मेरे एक दोस्त मेरे काम आए।"



वो आगे कहते हैं, "कई महीनों तक ऐसे पड़े रहने के बाद, जब अपनों ने भी साथ देना छोड़ दिया तो मेरे एक मित्र ने मेरा साथ दिया। मेरे एक दोस्त मुझे मिर्जापुर ले आए, यहां पर एक कमरे में रहने लगा, लेकिन बैठे-बैठे और भी ज्यादा परेशान रहने लगा। तब सोचा क्यों न बच्चों को पढ़ाया जाए। इस बारे में जब गाँव वालों को कहा तो शुरू में तो कोई नहीं, तब बच्ची ने आना शुरु किया। बस यहीं से "नोवाल शिक्षा संस्थान' की शुरूआत हुई।"

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मिर्जापुर जिले के कछवा ब्लॉक के पत्तीकापुर गाँव में बगीचे में चलने वाले इस स्कूल में अब हर दिन सुबह पांच बजे आ जाते हैं और गोपाल को बिस्तर से उठाकर व्हीलचेयर पर बैठाते हैं और बाहर ले जाते हैं, कुछ घंटे पढ़ने के बाद फिर बच्चे उन्हें कमरे तक ले जाते हैं। यही शाम को छह बजे भी बच्चे करते हैं। पिछले कई वर्षों से यही चला आ रहा है।

विवेक ओबेरॉय, विवेक ओबेरॉय, वरुण धवन और अनुष्का शर्मा ने भी की तारीफ

गोपाल खंडेलवाल की इस मुहिम में फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यम काफी मददगार साबित हुए हैं। हर दिन वो कुछ न कुछ शेयर करते रहते हैं। उनका प्रयास ही है कि रियालिटी शो इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज के मंच तक वो पहुंचे जहां पर अभिनेता विवेक ओबेरॉय, वरुण धवन और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने उनके काम की सराहना की।



दोस्त ने दिया पूरा साथ

खराब परिस्थितियों में जब कोई साथ नहीं देता ऐसे समय में उनका साथ दिया उनके मित्र डॉ. अमित दत्ता ने। गोपाल के मित्र डॉ अमित दत्ता न सिर्फ इन्हें अपने गाँव लेकर आये बल्कि इनके रहने खाने और इलाज की भी पूरी जिम्मेदारी अभी भी निभा रहे हैं। अमित दत्ता इनकी दवाईयों के अलावा इन्हें जरूरत की और भी कई तरह की दवाईयाँ दे देते हैं जिससे जरूरत पड़ने पर ये गाँव के लोगों का मुफ्त में इलाज कर सकें।

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गोपाल का कहना है, "जब मै जिन्दगी से पूरी से तरह हार गया था तब हमारे इन्ही मित्र ने हमे जीने के लिए उत्साहित किया था, अगर ये हमे इतना सहयोग न देते तो शायद आज हम ये न कर रहे होते जो कर रहे हैं, इस दोस्त ने मदद की शुरुआत की तभी आज हमारे साथ साथ बहुत लोग हैं।"

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