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पैसा और जुनून की लड़ाई: पंजाब और गोवा चुनाव में एनआरआई का आगाज़

गाँव कनेक्शन | Jan 25, 2017, 16:51 IST
arvind kejriwal
लखनऊ। पंजाब और गोवा में चुनावी बिगुल बज चुका है चारों तरफ जोर-शोर से तैयारी चल रही है। वैसे तो चुनाव देश के अन्य राज्यों में भी है मगर पंजाब और गोवा चुनावों में लोगों की दिलचस्पी अधिक देखने को मिल रही है क्योंकि यहाँ पहली बार असेंबली चुनावों में आम आदमी पार्टी हिस्सा ले रही है।

2014 के लोकसभा चुनाव मोदी लहर में आम आदमी पार्टी के चार एमपी ने संसद में अपनी सीट पक्की की तब से आम आदमी पार्टी का ग्राफ पंजाब में लगातार ऊपर गया, उसके बाद 2015 दिल्ली विधान सभा चुनाव में 67 सीट आने के बाद आम आदमी पार्टी के हौसले और बुलंद हुए। मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल अर्जुन की तरह पंजाब पर टक टकी लगाए हुए थे और दिल्ली में किये गए प्रशंसनीय काम से उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी। पंजाब में एक तरफ राजनीतिक बादल परिवार की जड़ें बरसों से गाढ़ी हुई है वही दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी अपनी पहचान बना रही है। सवाल यह है कि अरविन्द केजरीवाल का दो राज्यों में ही चुनाव लड़ने का चुनाव क्यों किया?

पंजाब राज्य जिसकी अधिकतम आबादी विदेशो में रहती है और यह राज्य नशीली ड्रग और भ्रस्टाचार से जूझ रहा है जो लोग पंजाब से बाहर गए है वो लोग पंजाब को फिर से खुशहाल देखना चाहते है यही कारण है की 2014 के चुनावो में NRIs का अहम् योगदान रहा कालिंग कैंपेन और छोटा-छोटा डोनेशन देकर एक एक उम्मीदवार को सशक्त किया। फ़ोन के जरिये अपने रिश्तेदार, पडोसी और गाँव वालो को समझाया।

आम आदमी पार्टी का गोवा चुनाव का समीकरण भी कुछ इसी तरह है राज्य का क्षेत्रफल कम होना कम समय में ज्यादा पहुँच। गोवा के लोग भी सुलझे हुए है जाति धर्म की लड़ाई नहीं है जिस स्तर से राज्य का विकास होना चाहिए था उस तरह का विकास नहीं है बेरोजगारी नशा शिक्षा और स्वास्थ की गंभीर समस्या है इन्ही कारणों से पार्टी इस बार चुनाव में उतरी है।

पंजाब पहुंचने के लिए चलाया गया रजिस्ट्रेशन अभियान। 2017 के विधान सभा चुनाव बहुत ही रोमांचक होने वाले है क्योंकि जहाँ कांग्रेस कैप्टन अरमिंदर के भरोसे मैदान में उतरी है वही अकाली दल एक सर्व साधनों से भरपूर दमदार पार्टी है अब देखना यह है की आम आदमी पार्टी के पास ऐसी कौन सी पारसमणी जिसके दम पर इन बाहुबलियों से मुकाबला करेगी। जी हाँ ! आम आदमी के पास एक ऐसा खजाना जिसे दुनिया की कोई भी ताकत पैसे से नहीं खरीद सकती वो है "जूनूनी कार्यकर्ता" आज पूरी दुनियाँ भर में लाखों जुनूनी कार्यकर्त्ता पिछले एक साल से पंजाब और गोवा चुनाव के लिए दिन रात काम कर रहे है हज़ारों कार्यकर्त्ता अपना परिवार नौकरी छोड़ कर जमीनी मुहीम का हिस्सा है जिसमें आधुनिक टेक्नोलॉजी के जरिये लाखों परिवारों को जोड़े हुए है।

रघु महाजन, कैलिफ़ोर्निया की स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर रहे थे साथ ही साथ आम आदमी पार्टी का काम भी करते है पिछले पांच महीनो से सब कुछ छोड़ कर पंजाब में डेरा डाले हुए है और जमीनी स्तर का काम देख रहे है। वही गोवा के लिए भी विशाल कुडचडकर बर्कले (UC Berkalay) यूनिवर्सिटी से MBA करने के बाद लॉस एंगेल्स की मल्टीनेशनल कंपनी में मेनेजर है पिछले साल अधिकतम समय गोवा में चुनावी ढाँचा तैयार करने में मदद की और पूरे अमेरिका के गोवा निवासीयों को इस मुहीम से जोड़ा। सिएटल के वरुण गुप्ता माइक्रोसॉफ्ट में नौकरी करते है और जब भी छुट्टी मिलती है काम करने दिल्ली पहुँच जाते है अभी फ़िलहाल पंजाब में कई महीनों से गाँव गाँव में घूम रहे है।

कैलिफ़ोर्निया पर आप वालेंटियर के साथ माया। श्रीकांत कोचर्लाकोट लॉस एंगेल्स में रहकर ही कॉलिंग कैंपेन को सम्हाल रहे है कालिंग कैंपेन को आम आदमी पार्टी का एक बहुत मजबूत हथियार माना जाता है जिसकी शुरुआत श्री भाई ने पहले दिल्ली चुनाव के समय की थी आज की तारीख में लाखों लोग इस मुहीम से जुड़े हुए है प्रभात शर्मा जो कि अमेरिका वेस्ट कोस्ट के इंचार्ज है और कालिंग कैंपेन में जुड़े हुए है अमेरिका ही नहीं बल्कि सभी बड़े देशों के निवासी इस मुहीम में शामिल है लन्दन के ग्लासगो शहर के इंदरपाल शेरगिल अन्ना जी के समय से जुड़े हुए है तन मन धन के अलावा खुद भी पंजाब और गोवा में जाकर काम किया और अपने पंजाब निवास, फार्महाउस और गोवा निवास के द्वार को आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए खोल दिया। हेमंत मिश्रा नेथेरलैंड्स हॉलैंड टीम से भारतीय युवाओं को जोड़ा और खुद भी 2014 के लोक सभा चुनाव में अपनी नौकरी छोड़ कर गए आज भी पंजाब और गोवा के लिए काम कर रहे है।

अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया दुबई कनाडा जर्मनी फिलीपीन और सऊदी अरेबिया के वालंटियर जुड़े हुए है। इन चुनावों में यदि हम महिला कार्यकर्त्ता की बात करें तो वो भी अपने नौकरी घर और बच्चों को छोड़ काफी समय पार्टी को दे रही है लॉस वेगास से गुरिंदर कौर ने अब तक ग्यारह हज़ार फ़ोन कर चुकी है वही परमिंदर अटवाल लॉस एंगेल्स टीम को सम्हाल रही है कविश मल्होत्रा सोशल मीडिया इन बागडोर सम्हाले हुए है।

पंजाब का दोआबा एनआरआई का गढ़ है और उनका 34 सीटों पर खासा प्रभाव है। जहां 25 फीसदी के आसपास फंडिंग एनआरआई द्वारा की जा रही है, एनआरआई अपने मनचाहे उम्मीदवारों को जिताने के लिए यूरोप से लेकर गांव तक पूरी ताकत से जुटे हुए है हाल में ही कैंपेन "चलो पंजाब" के तहत दो फ्लाइट भर कर कनाडा और इंग्लैंड की टीम पंजाब को सपोर्ट करने पहुंची जिनका स्वागत खुद मनीष सिसोदिया ने दिल्ली एयरपोर्ट पर बैंड बाजा के साथ धूम धाम से किया अगले हफ्ते भी ये सिलसिला चलता रहेगा।

दुनिया भर में करीब 35 लाख पंजाबी एनआरआई हैं आम चुनाव में इससे पहले फंडिंग और समर्थन जुटाने के लिए नेता भारत से कनाडा, अमेरिका और ब्रिटैन जाते रहे हैं लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि विदेशों में बसे पंजाबी इतनी बड़ी तादात में खुद यहाँ आकर किसी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे है वाकई कुछ तो अलग है इस चुनाव में। अब देखना यह है की एक तरफ बड़ी बड़ी पार्टियों की तरफ से पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है दूसरी तरफ आम आदमी के कार्यकर्ता खुद का पैसा खर्च करके घर घर दरवाज़ा खट-खटा रहे है एक तरफ पैसा, हथियार, हवाई जहाज है दूसरी तरफ इन कार्यताओं का देश के प्रति जूनून है। नतीजा 11 मार्च को पता चलेगा।

लेखक- अप्रवासी भारतीय हैं, ये उनके निजी विचार हैं।

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