कोरोना से देश के 32 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित

Amit Baijnath Garg | Jun 30, 2020, 05:58 IST
भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के कारण अनुमानित रूप से 32 करोड़ छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है, जिसमें 15.81 करोड़ लड़कियां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल हैं।
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संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) के हाल ही में जारी एक अध्ययन के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण स्कूलों, कॉलेजों एवं शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने से दुनिया के 191 देशों में 157 करोड़ छात्रों की शिक्षा प्रभावित हो गई है, जो विभिन्न स्तरों पर दाखिला लेने वाले कुल छात्रों का 91.3 प्रतिशत है। यूनेस्को के अध्ययन के अनुसार, भारत में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के कारण अनुमानित रूप से 32 करोड़ छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है, जिसमें 15.81 करोड़ लड़कियां और 16.25 करोड़ लड़के शामिल हैं। यूनेस्को के बयान के अनुसार, संगठन इन देशों में स्कूलों के बंद होने के कारण उत्पन्न चुनौती से निपटने के प्रयास, खास तौर पर वंचित समुदाय की मदद और दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से पढ़ाई जारी रखने के प्रयासों में भी देशों का सहयोग कर रहा है।

अध्ययन में कहा गया है कि स्कूल बंद होने का सबसे अधिक असर वंचित तबके के छात्रों एवं लड़कियों पर ज्यादा पड़ रहा है। यूनेस्को के कोरोना वायरस के कारण स्कूल बंद होने की वैश्विक निगरानी अध्ययन के अनुसार 14 अप्रेल, 2020 तक अनुमानित रूप से 191 देशों में 1,575,270,054 छात्र (लर्नर) प्रभावित हुए हैं। इसमें लड़कियों की संख्या 74.3 करोड़ है। इसमें कहा गया है कि रूस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, ग्रीनलैंड सहित कई देशों में स्थानीय या क्षेत्रवार स्तर पर लॉकडाउन किया गया है। इन देशों में भी लाखों छात्रों का पठन-पाठन प्रभावित हुआ है। अध्ययन में हालांकि इन देशों का आंकड़ा शामिल नहीं है। यूनेस्को के आंकड़ों के मुताबिक, चीन में 27.84 करोड़ छात्र, ईरान में 1.86 करोड़, इटली में करीब एक करोड़, जर्मनी में 1.53 करोड़, फ्रांस में 1.54 करोड़, स्पेन में 97 लाख और ब्रिटेन में 1.54 करोड़ छात्र कोरोना के कारण स्कूल या शिक्षण संस्थान बंद होने के कारण प्रभावित हुए हैं।

आपात उपाय अपनाने पर विचार

अध्ययन कहता है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर रहे चार में से एक छात्र की पढ़ाई भी इस महामारी की वजह से प्रभावित हो रही है। छात्रों की प्रभावित हो रही शिक्षा से निपटने के लिए यूनेस्को ने आपात उपायों को अपनाने पर विचार करना शुरू कर दिया है। यूनेस्को महानिदेशक ऑडरे अजुले का कहना है कि ये एक जटिल समस्या बन गई है। बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए सभी देशों को मिलकर उच्च तकनीक, निम्न तकनीक और बिना तकनीक वाले समाधान तलाशने के प्रयास करने होंगे। सबसे प्रभावशाली तरीके का फायदा हर देश तक पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग महत्वपूर्ण है। इसके जरिए स्कूली बच्चों, अध्यापकों और परिवारों तक जरूरी सहायता पहुंचाई जा सकती है। संयुक्त राष्ट्र महासभा और आर्थिक एवं सामाजिक परिषद भी इसमें शामिल है। अजुले ने कहा कि मुसीबत के समय अस्थायी तौर पर स्कूलों को बंद करना नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान के वैश्विक संकट और इससे शिक्षा में काफी व्यवधान आया है। अगर यह बरकरार रहता है तो यह शिक्षा के अधिकार के लिए खतरा हो सकता है।

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छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा सर्वोपरि

गौरतलब है कि कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर देश में 25 मार्च से 21 दिनों का लॉकडाउन लागू किया गया था। लॉकडाउन से पहले ही देश के स्कूल और कॉलेज एहतियातन बंद कर दिए गए थे। 21 दिनों की ये समय सीमा 14 अप्रैल को खत्म हो रही थी। इस बीच केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा था कि देश में कोरोना वायरस संकट पर 14 अप्रैल को स्थिति की समीक्षा करने के बाद सरकार स्कूल और कॉलेज फिर से खोलने पर कोई निर्णय लेगी। उन्होंने कहा था कि छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोपरि है। उनका मंत्रालय यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार है कि यदि स्कूल और कॉलेज को 14 अप्रैल के बाद भी बंद रखने की जरूरत पड़ी तो छात्रों को पढ़ाई-लिखाई का कोई नुकसान नहीं हो। हालांकि इस बीच कोरोना वायरस से होने वाली मौत और संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढऩे की वजह से बीते 14 अप्रेल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से सुरक्षा के मद्देनजर लॉकडाउन की अवधि बढ़ाकर तीन मई कर दी।

राजस्थान में साढ़े 82 लाख छात्र प्रभावित

अगर बात राजस्थान की करें तो प्रदेश में करीब 65 हजार स्कूल हैं। इनमें लगभग 82 लाख 52 हजार छात्र हैं। लॉकडाउन के कारण इन छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इस बारे में प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा का कहना है कि प्रदेश के सरकारी स्कूल में पढऩे वाले अधिकतर बच्चों के अभिभावकों के पास इंटरनेट की सुविधा न होने के कारण वे ऑनलाइन एजुकेशन का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। उनको लाभ देने के लिए हमने ऑल इंडिया रेडियो एवं दूरदर्शन के माध्यम से छात्रों को पढ़ाने के लिए प्रतिदिन एक घंटे के स्लॉट की डिमांड की थी, जिस पर प्रसार भारती की तरफ से प्राप्त प्रपोजल में भारी चार्ज की मांग की गई है। हमने सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखा है, ताकि हमें नि:शुल्क स्लॉट मिल सके। इधर, शिक्षा मंत्री की इस मांग पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने भी जावड़ेकर को पत्र लिखकर निशुल्क स्लॉट उपलब्ध कराने की मांग की है।

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