मुद्दा: माननीय का अशोभनीय आचरण

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मुद्दा: माननीय का अशोभनीय आचरणसांसद रवींद्र गायकवाड़ को अपने आचरण पर कोई पछतावा नहीं है। 

रमेश ठाकुर

जनता अपने जनप्रतिनिधियों से गरिमापूर्ण व्यवहार की अपेक्षा करती है। लेकिन कुछ सांसद अपने रुतबे के गुरूर में बहक गए हैं। ऐसे बिगड़े सदस्यों को सही रास्ते पर लाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हाल ही में संसद सत्र के दौरान सभी सदस्यों को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था कि सभी जनप्रतिनिधि जनता से अच्छा व्यवहार स्थापित करें।

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लेकिन उनकी यह फटकार बेअसर साबित होती दिख रही है। जब चुनावी माहौल होता है, तो सभी नेता वोट पाने के लिए लोगों के सामने हाथ-पैर जोड़ते नजर आते हैं, लेकिन जैसे ही उनको सफलता मिल जाती है, भाव खाने लगते हैं। वोटरों को घास-कूड़ा समझने लगते हैं।

पिछले तीन दिनों से एक ‘चप्पलमार सांसद’ की हेकड़ी की चर्चा देशभर में चल रही है। शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने एअर इंडिया के एक कर्मचारी को चप्पल से पीटा, यह मामला अब तूल पकड़ चुका है। अपनी सांसदी की धौंस दिखाते हुए उन्होंने बेवजह विमान के भीतर कर्मचारी पर चप्पलों की बरसात कर दी और उसे विमान से नीचे फेंकने की लगातार धमकी देते रहे। यह माजरा उन सभी लोगों ने देखा जो उस विमान में सवार थे।

सवाल उठता है कि क्या जनप्रतिनिधियों को अपनी गरिमा का जरा भी ख्याल नहीं रहता? चुनाव जीतने के बाद क्यों अपनी असली औकात भूल जाते हैं? दरअसल, इस तरह की मानसिकता के कुछेक नेता ही दूसरे राजनेताओं को भी शर्मसार करते हैं। निश्चित रूप से सांसद रवींद्र गायकवाड़ का यह आचरण न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी घातक है। ऐसे कृत्य करने वाले जनप्रतिनिधिों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि हेकड़ी दिखाने वाले सांसदों-विधायकों को संदेश जा सके।

शिवसेना नेताओं की इस तरह की हरकतें पहले भी सामने आई हैं। लेकिन लचर कानून के चलते उनका कुछ नहीं हो सका। लेकिन इस मामले में कार्रवाई तेजी से होती दिख रही है। दिल्ली पुलिस ने सांसद गायकवाड़ के खिलाफ कई गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है, जिसमें उन्हें सजा भी हो सकती है।

गायकवाड़ के खिलाफ जो गंभीर धाराएं लगाई गई हैं, उनमें आरोपी सांसद को करीब सात वर्ष तक की सजा हो सकती है। आरोपी सांसद के खिलाफ आईपीसी की धारा 308 और 355 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की जांच क्राइम ब्रांच के सुपुर्द की गई है। इस मामले को लेकर आईपीसी की धारा 308 (गैर-इरादतन हत्या की कोशिश) में तीन से सात साल तक की सजा सुनाई जा सकती है। अगर ईमानदारी से कार्रवाई होती है तो निश्चित रूप से सांसद महोदय की मुश्किलें बढ़ेंगी। कार्रवाई इसलिए भी जरूरी है, ताकि उन्हें भविष्य के लिए सबक मिल सके। लेकिन अफसोस कि उनकी पार्टी केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है।

जनता बड़ी उम्मीदों के साथ अपना नेता चुनती है, ताकि उनसे सहूलियतें और जरूरतें पूरी हो सकें। पर, आज जननेता यह सब देने के बजाय चप्पलें मारने लगे हैं, जो सभ्य समाज और लोकतंत्र के लिए बहुत ही घातक है। धौंस और हेकड़ी दिखाने वाले तथाकथिक नेताओं से हमें तभी छुटकारा मिल सकेगा, जब ऐसी हरकतें करने पर उन्हें दंडित किया जाए। उन्हें उनके पद से तुरंत बर्खास्त किया जाए। ऐसा नहीं करने पर तथाकथित जनप्रतिधियों के हौसले बुलंद होते रहेंगे और वे जनता को परेशान करते रहेंगे।

उत्तर प्रदेश के गायत्री प्रसाद प्रजापति हो या अमरमणि त्रिपाठी या फिर महाराष्ट्र के यह चप्पलमार सांसद, इनकी सही जगह जेल ही है। गलती से ये लोग संसद-विधानसभा में पहुंच जाते हैं। वहां पहुचने पर वहां का वातावरण भी इन्हीं लोगों के कारण दूषित होता है। साथ ही जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए, क्योंकि वह भी ऐसे लोगों को समर्थन करके उन्हें अपराध करने का सर्टिफिकेट प्रदान करती है। अपराध की काली चादर ओढ़े ऐसे जनप्रतिनिधियों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। कहते हैं कि बिगड़ैल लोग कभी सुधरते नहीं, ऐसे लोगों को माफी देना समस्या का विकल्प नहीं होता। यही वजह है कि सांसद रवींद्र गायकवाड़ पर प्रतिबंध के बावजूद उन्हें किसी बात का कोई पछतावा नहीं है।

हां, महाराष्ट्र के उस्मानाबाद से सांसद गायकवाड़ को अपने आचरण पर कोई पछतावा नहीं है। एयरलाइन ने गायकवाड़ की पुणे वापसी का टिकट रद्द कर दिया है। एयर इंडिया की तर्ज पर इंडिगो ने भी यही कदम उठाया है। अभूतपूर्व एकजुटता दिखाते हुए कई एयरलाइनों ने उन पर ‘प्रतिबंध’ लगा दिया है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) ने एक बयान जारी कर सांसद गायकवाड़ के विमान में उड़ान भरने पर ‘प्रतिबंध’ लगाने की घोषणा कर दी है। इस समूह में जेट ऐयरवेज, स्पाइसजेट, इंडिगो और गो एयर शामिल हैं। इस एकजुटता से गायकवाड़ का हौसला पस्त होगा।

उड़ान प्रतिबंध के बाद गायकवाड़ को ट्रेन से यात्रा करनी पड़ी। वह दिल्ली से अगस्त क्रांति ट्रेन से मुंबई पहुंचे हैं। हालांकि उनकी पार्टी उनके समर्थन में खड़ी हो गई है। माफी मांगने की बजाय गायकवाड़ ने कहा कि अब उद्धव ठाकरे या अनिल देसाई ही इस पर कुछ कहेंगे। पिछले कुछ दिनों में पार्टी के लिए शर्मिदगी का विषय बने सांसद का शिवसेना ने बचाव किया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने अपने सांसद की निंदा करने की बजाय एयर इंडिया को ही आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दे डाली है। यानी उनकी नजर में सांसद ने जो किया, सही किया। क्या आप भी सही मानेंगे?

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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