फिल्म मुल्क के डायरेक्टर बोले, "देश में हिंदु-मुस्लिम ध्रुवीकरण उतना नहीं जितना इसका दुष्प्रचार हुआ है"

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   6 Aug 2018 11:57 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
फिल्म मुल्क के डायरेक्टर बोले, देश में हिंदु-मुस्लिम ध्रुवीकरण उतना नहीं जितना इसका दुष्प्रचार हुआ है

अनुभव सिन्हा की फिल्म मुल्क रिलीज हो चुकी है। बॉक्स ऑफिस से लेकर अखबारों/वेबसाइटों में छपे फिल्म रिव्यू तक मुल्क का बढ़िया प्रदर्शन बताया जा रहा है। सोशल मीडिया पर फिल्म देख चुके बहुत से दर्शक अपील कर रहे हैं कि, 'ये नहीं देखी तो कुछ नहीं देखा।' कुछ ऐसे भी हैं जो फिल्म को बकवास बताते हुए इसे पैसे और समय की बर्बादी बता रहे हैं, इनमें से अधिकतर लोगों के डीपी में तिरंगा जरूर बना हुआ है। क्यों बना है पता नहीं। ऐसी भी खबरें हैं कि पाकिस्तान सेंसर बोर्ड ने मुल्क फिल्म को पाकिस्तान में बैन कर दिया है। बहरहाल, गांव कनेक्शन ने फिल्म रिलीज होने के बाद मुल्क के प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और लेखक अनुभव सिन्हा से इन्हीं सब मुद्दों पर बातें की:

"पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के चीफ मुझे ट्विटर पर फॉलो कर रहे हैं। अब मैं उनसे ही यह सवाल करूंगा कि पाकिस्तान में यह फिल्म बैन क्यों कर दी गई।"- अनुभव सिन्हा, फिल्म मुल्क के निर्माता, निर्देशक और लेखक


टेलिफोन पर हुई बातचीत में जब अनुभव सिन्हा से पूछा कि ऐसे माहौल में जब देश में हिंदू-मुस्लिम मुद्दों पर ध्रुवीकरण की चर्चा हो रही है, बात-बात में देश-भक्ति की परख और देश-द्रोही जैसे आरोप लग रहे हों आपको यह फिल्म बनाने की कहां से सूझी?

अनुभव बोले, "मन हुआ कहानी कहने का तो कह दी। इसे कहने की हिम्मत कहां से आई यह तो पता नहीं। रही बात सोशल मीडिया पर ट्रोल करने वालों की तो वे दिहाड़ी मजदूर हैं उनकी ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए। मेरे लिए मुल्क की कामयाबी इस बात में है कि हिंदू और मुसलमान दोनों ही वर्ग इसे पंसद कर रहे हैं। इन दोनों तबकों की प्रतिक्रिया देखने के बाद मुझे लगता है कि देश में हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का जो असर बताया जा रहा है वह गलत है। हालात इतने खराब नहीं हैं जितना इसका झूठा प्रचार किया जा रहा है। अगर ऐसा नहीं होता तो इस फिल्म को ऐसा रिस्पॉन्स नहीं मिलता।"

अनुभव सिन्हा का जन्म इलाहाबाद में हुआ, वह बनारस और अलीगढ़ में पढ़े हैं, क्या इन शहरों के परिवेश ने मुल्क जैसी फिल्म बनाने की प्रेरणा दी या किसी किस्म की मदद की? इस पर अनुभव कहते हैं, "यकीनन माहौल का असर तो पड़ता है। अलीगढ़ में रहने की वजह से मेरे मुस्लिम समाज में बहुत अच्छे दोस्त बने। उनके जरिए मैंने जाना कि उनकी परेशानियां क्या हैं, उन्हें किस तरह के हालात का सामना करना पड़ता है। उन्होंने भी मुझे अच्छी तरह से समझा हुआ है इसका एक फायदा यह है कि जब भी मुझे उनसे कोई सवाल पूछना होता है तो मैं बिना घुमाए-फिराए सीधे उनसे पूछ सकता हूं।"

मुल्क फिल्म में आज के मुसलमान की असमंजस को दिखाया गया है, पर हमारे पड़ोसी और मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले देश पाकिस्तान में फिल्म बैन हो गई। ऐसा क्यों, इस पर अनुभव का कहना था, "हां मुझे ऐसी जानकारी दी गई है कि पाकिस्तान में फिल्म बैन कर दी गई है। अभी मैंने देखा कि पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के चीफ मुझे ट्विटर पर फॉलो कर रहे हें। अब मैं उनसे ही यह सवाल करूंगा कि पाकिस्तान में यह फिल्म बैन क्यों कर दी गई।"

अनुभव सिन्हा से जब पूछा कि अगर दर्शक आपसे पूछें कि हम मुल्क फिल्म देखने क्यों जाएं तो आपका क्या जवाब होगा? इस पर अनुभव बोले, "यह फिल्म देखने के बाद आप कुछ सवाल लेकर लौटते हैं, अपने बारे में अपनी सोच के बारे में। लोग फिल्म देखने के बाद मुझे मैसेज कर रहे हैं, कॉल कर रहे हैं कि आपने हमारे सोचने का नजरिया बदल दिया। देश भर से ऐसी खबरें आ रही हैं कि फिल्म खत्म होने के बाद दर्शक, जिनमें हिंदू-मुस्लिम दोनों शामिल हैं, अपनी सीट पर खड़े होकर तालियां बजाते हैं तो जाहिर है फिल्म देखने लायक है।"

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.