क्या जानवर भी इंसानों की तरह रेप करते हैं?

Janaki Lenin | Aug 04, 2018, 07:38 IST
जानकी लेनिन एक लेखक, फिल्ममेकर और पर्यावरण प्रेमी हैं। इस कॉलम में वह अपने पति मशहूर सर्प-विशेषज्ञ रोमुलस व्हिटकर और जीव जंतुओं के बहाने पर्यावरण के अनोखे पहलुओं की चर्चा करेंगी।
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दिल्ली गैंग रेप से देश क्या पूरी दुनिया दहल गई थी। उसके बाद अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया था, 'जानवर भी ऐसा नहीं करते।' अमिताभ उस घटना में दिखाई गई क्रूरता के बारे में बात कर रहे थे, लेकिन कुछ पाठक मुझसे पूछ बैठे, क्या जानवर भी इसी तरह एक-दूसरे का रेप करते हैं। उदास मन से मुझे कहना पड़ा, 'हां, कुछ जानवर ऐसा करते हैं।' जी हां जानवरों की दुनिया में भी रेप होता है, स्कॉर्पियन फ्लाई और सांपों से लेकर बतखों, हंस, डॉलफिनों और बंदरों तक में। और हां, इंसानों में भी।

अब कुछ पाठकों को लगता है कि अगर कोई चीज प्रकृति में पाई जाती है तो या तो वह पवित्र है या फिर वे लोग यह मान बैठते हैं कि यह आदत हमारे जीन्स में रच बस गई है। लेकिन मैं यहां स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि जानवर खुद अपने बच्चों की हत्या करते हैं, वे अपने विरोधी की वीभत्स तरीकों से हत्या करते हैं और लगभग नियमित रूप से निकट संबंधी आपस में यौन संबंध स्थापित करते हैं। हालांकि, मनुष्यों में भी यही सब होता है पर 'सभ्य समाज' के सदस्य होने के नाते हम इस बर्ताव को अस्वीकार करते हैं। पर इस मामले में जानवरों और इंसानों में अंतर सिर्फ मा़त्रा का है।

देश भर में जिस तादाद में और जितने वीभत्स व हैरान करने वाले तरीकों के साथ रेप और दूसरे यौन अपराध बढ़ रहे हैं उन्हें सुनकर मन में विचार उठता है कि ऐसा तो जानवर भी नहीं करते। क्या वाकई जानवर यौन अपराध नहीं करते? क्या केवल इंसान ही रेप करते हैं? इंसान क्यों रेप करते हैं? इन ढेर सारे सवालों के जवाब शायद जानकी लेनिन के इन लेखों में मिल जाएं जो उन्होंने दिल्ली के निर्भया कांड के समय लिखे थे। प्रस्तुत है इसकी पहली कड़ी।
जानवर रेप क्यों करते हैं? रेप के भाव का विकास हुआ ही क्यों? जब तक हमें यह नहीं पता होगा कि मनुष्य के व्यवहार को प्रेरणा देने वाले तत्व कौन से हैं, हम उससे निपटेंगे कैसे? मैं यहां रेप की परिभाषा को पुरुषों द्वारा महिलाओं पर जबरन यौन व्यवहार करने तक सीमित कर रही हूं।

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बोनोबो विरोधियों कें साथ भी प्रेम लीला में व्यस्त हो जाते हैं।

तमाम जीव-जंतुओं में स्कॉर्पियन फ्लाई ऐसा कीट है जिसके पास रेप करने के लिए खास तौर पर अंग विकसित हुए हैं। नर कीड़ों के शरीर में एक अंग होता है जिसे नोटल क्लैंप कहते हैं जिसके जरिए नर कीट मादा कीटों को जकड़ लेते हैं। हालांकि वे रेप कर सकते हैं इसके बावजूद नर कीट मादा कीटों को भोजन का उपहार देर प्रणय के लिए लुभाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे उजड्ड नर भी होते हैं जो अपने इस विशेष का अंग का इस्तेमाल कर मादा कीटों के साथ जबरन संबंध बनाते हैं।

बतख और हंस कुछ उन पक्षियों में से एक हैं जो रेप करते हैं। आमतौर पर नर पक्षी शरीर के जिस अंग से उत्सर्जन करते हैं उसी से शुक्राणु भी मादा के शरीर में पहुंचा देते हैं। लेकिन बतखों और हंसो में असामान्य तौर पर लिंग के जैसी एक पुरुष ग्रंथि पाई जाती है। यहाँ सवाल है कि अगर लिंग होगा तो क्या रेप होगा ही होगा?

अक्सर ऐसा होता है कि मादा बतखों से ज्यादा नर बतखें होती हैं। जब ये जोड़े बनाते हैं तो कुछ नर बतखों को साथी नहीं मिल पाते। ये नर बतखें झुंड बनाकर किसी अकेली मादा बतख पर झपट पड़ते हैं। तो बतखों में पहले किस चीज़ का विकास हुआ? लिंग का या रेप का? जलीय पक्षी होने के नाते नर बतखों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके शुक्राणु पानी में बहकर नष्ट न हो जाएं। तब क्या नर बतखों में लिंग विकसित होने का यह भी एक कारण हो सकता है? या फिर यह अंग इसलिए विकसित हुआ है कि वे रेप कर सकें? खैर, इस सवाल का जवाब फिर कभी खोजा जाएगा।

स्तनपायी जानवरों में, रेप आमतौर पर उन्हीं प्रजातियों में होता है जिनमें नर आकार में मादा से बड़े होते हैं। वे अपनी मनमानी करने के लिए अपने बड़े आकार और ताकत का इस्तेमाल करते हैं। नर चिम्पैंजी अपने हिंसक बर्ताव के लिए जाने जाते हैं। लेकिन आम धारणा के विपरीत इनमें जबरन सेक्स की घटनाएं बहुत कम होती हैं। वनमानुषों या प्राइमेट्स का अध्ययन करने वाली कैरोलिन टूटिन बताती हैं, 'जंगल के वातावरण में हुए शारीरिक संबंधों में महज 0.2 पर्सेंट ही जबरन बनाए जाते हैं।' शायद नर चिम्पैंजी मादा चिम्पैंजियों के साथ अच्छा व्यवहार इसलिए करते हैं क्योंकि बिना उनके समर्थन के वे अपने समाज में ऊंजा ओहदा नहीं हासिल कर सकते। या ये भी हो सकता है कि नर मादाओं को इतना डराते-धमकाते रहते हैं कि जब वे सेक्स की इच्छा जताते हैं तो मादाएं इनकार नहीं कर पातीं। कुछ दूसरे प्राइमेटोलॉजिस्ट का कहना है कि मादा चिम्पैंजी उन नरों के साथ संबंध नहीं बनातीं जिन्हें वे नापसंद करती हैं।

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बड़े नर ओरंगउटान मादाओं में बहुत लोकप्रिय होते हैं

प्राइमेट्स की ही एक दिलचस्प प्रजाति है, बोनोबो। ये इंसानों और चिम्पैंजी के नजदीकी रिश्तेदार हैं। लेकिन इनमें यौन हिंसा या किसी दूसरी किस्म की हिंसा के कोई संकेत नहीं मिलते। अपने-अपने इलाकों की सीमा पर जहां दो प्रतिद्वंदी झुंड आपस मे लड़ मरते हैं बोनोबो विरोधियों कें साथ भी प्रेम लीला में व्यस्त हो जाते हैं। प्राइमेट समाज में ये सबसे ज्यादा शांतिप्रिय और स्पष्ट रूप से सेक्स प्रधान प्रजाति हैं। (यहां बता दें कि प्राइमेट्स के तहत बंदर, बड़े बंदर या गोरिल्ला जैसे बनमानुष और हम मानव भी आते हैं)

इसका मतलब है कि हमारे दो नजदीकी प्राइमेट रिश्तेदार चिम्पैंजी और बोनोबो इस मामले में हमसे एकदम अलग हैं। व्यवहार परिस्थितिकी विज्ञानी या बिहेवियरल इकोलॉजिस्ट पीटर कैपेलर और मानवविज्ञानी जोआन सिल्क कहते हैं कि रेप की घटनाएं नियमित तौर पर केवल दो प्राइमेट जीवों में ही देखने को मिलती हैं। ये हैं ओरंगउटान और मानव।

ओरंगउटान नर दो तरह के होते हैं: बड़े और प्रभावशाली जिनके गाल लटके हुए होते हैं और दूसरे छोटे जिनके चेहरे पर इस तरह के उभार नहीं होते। सभी बड़े नर अपने इलाकों में कब्जा जमाए रहते हैं और जोर-जोर से चीखते और शोर मचाते हैं। ये मादाओं में बहुत लोकप्रिय होते हैं और मादाएं भी सिर्फ उन्हीं की तरफ आकर्षित होती हैं। छोटे ओरंगउटान नरों की जिंदगी में कुछ भी नहीं होता, न उनके पास दिखाने के लिए विशाल शरीर होता है और न ही कोई इलाका जिसे वह अपना कह सकें। कोई मादा ओरंगउटान उनकी तरफ देखती तक नहीं। इसलिए ये छोटे नर जबरन सेक्स के लिए हमेशा किसी न किसी मादा को तलाशते रहते हैं।

(चार कडि़यों में पहली कड़ी)

(ये जानकी लेनिन के निजी विचार हैं।जानकी ने भारत में इंसानों और जानवरों के बीच तनावपूर्ण हो रहे संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई एक्शन प्लान भी बनाए हैं। )

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