हिंदू राष्ट्र कहने से देश को कोई ख़तरा नहीं होगा

Dr SB Misra | Mar 25, 2017, 10:57 IST
सर्वधर्म समभाव
केंद्र और प्रदेश में ऐसी सरकारें हैं जिनके लोग हिंदू राष्ट्र की बातें कर सकते हैं लेकिन उससे चिन्ता की बात नहीं क्योंकि वे सबका साथ, सबका विकास की बात भी कहते हैं। भारत की धरती पर पिछले 10 हजार वर्षों में जिस सांस्कृतिक चिन्तन का विकास हुआ है उसे चाहे जिस नाम से पुकारा जाए उसके स्वरूप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। चाहे आप हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति, भारतीय संस्कृति, आर्य संस्कृति अथवा फिर हिंदुत्व के नाम से पुकारें उसके मूल तत्व नहीं बदलेंगे।

सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता, एकात्म मानव, विश्वबंधुत्व जैसे गुणों के कारण इसे मानवता कह सकते हैं परन्तु यह न तो कोई पूजा पद्धति बताता है और न इसका कोई पैगम्बर या धर्म ग्रंथ है। हिंदू बहुसंख्य भारत में सहजभाव से वेदमंत्र और अजान एक साथ सुनाई पड़ते हैं।

हिंदू कहता है ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः’, इसमें मुसलमान और ईसाई भी सम्मिलित हैं। जब वसुधैव कुटुम्बकम की बात कही जाती है तो कोई भी व्यक्ति उस कुटुम्ब से बाहर नहीं रहता। समय के साथ यदि धर्म में कोई विकृति आ भी जाए तो हिंदू धर्माचार्यों को सुधार करने का अधिकार है क्योंकि यह इंसान का बनाया हुआ रास्ता है। हिंदू मान्यता में कोई काफिर नहीं होता, भले ही वह पूजा पद्धति और मान्यताओं को माने या न माने।

हिन्दुओं की बड़ी आबादी गयाना, फीजी और मॉरीशस आदि देशों में होते हुए भी हिंदुओं नें वहां तमाम कष्ट सहकर भी अपने लिए अलग देश नहीं मांगा। नेपाल के हिंदू राष्ट्र में मस्जिदें भी थीं और गिरजाघर भी। दूसरे धर्मों को अपने बराबर मानने वाला एक ही धर्म है जो व्यक्ति को पूरी आजादी देता है। वह चाहे एक ईश्वर में विश्वास करने वाला एकेश्वरवादी अथवा अनेक देवी देवताओं में विश्वास करने वाला अनेकेश्वरवादी हो, सगुण और साकार ईश्वर में विश्वास करने वाला या फिर निर्गुण और निराकार ईश्वर का उपासक हो, आस्थावान हिंदू हो अथवा नास्तिक हो, सभी के लिए हिंदुत्व में स्थान है। यही कारण है यहां मुसीबत में आए सभी धर्मों के लोगों को बराबर का स्थान और सम्मान मिला।

हिंदू कहता है ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयः’ इसमें मुसलमान और ईसाई भी सम्मिलित हैं। जब वसुधैव कुटुम्बकम की बात कही जाती है तो कोई भी व्यक्ति उस कुटुम्ब से बाहर नहीं रहता। समय के साथ यदि धर्म में कोई विकृति आ भी जाए तो हिंदू धर्माचार्यों कोे सुधार करने का अधिकार है क्योंकि यह इंसान का बनाया हुआ रास्ता है।


कहते हैं मक्का के बाहर पहली मस्जिद केरल में बनी थी।भारत में पिछले सत्तर वर्षों से सेकुलरवाद और सर्वधर्म समभाव को शासन व्यवस्था का आधार माना गया है। यह बात कि ‘एकोहं विप्राः बहुधा वदन्ति’ अर्थात ईश्वर एक ही है ज्ञानी लोग विविध प्रकार से बोलते हैं, केवल हिंदू ही कह सकता है। यही कारण है कि हिंदू अपने यहां मन्दिर के अलावा मस्जिद और गिरजाघर भी बनाने की सहर्ष अनुमति देता है। इसके विपरीत इस्लाम धर्म की मान्यता है कि अल्लाह के अलावा कोई दूसरा ईश्वर नहीं है, हजरत मुहम्मद साहब के बाद कोई दूसरा पैगम्बर नहीं हुआ और पवित्र कुरआन के अतिरिक्त कोई दूसरा धर्म ग्रंथ नहीं। इस्लामिक देशों में दूसरे धर्म, सम्प्रदाय, पंथ, मजहब के मानने वाले अपने ढंग से जैसे मूर्ति पूजा करते हुए नहीं रह सकते।

भारत में कोणार्क और खजुराहो की खंडित मूर्तियां तथा तोड़े गए हजारों मन्दिर इस बात की गवाही दे रहे हैं कि शक्ति सम्पन्न इस्लाम को अपने अतिरिक्त कोई दूसरी पूजा पद्धति सहन नहीं हो सकती और सहिष्णुता के अभाव में न तो सर्वधर्म समभाव आ सकता है और न पंथनिरपेक्षता।भारत विभाजन शुद्ध रूप से मजहबी कारणों से हुआ था और विभाजन के बाद पाकिस्तान में जो हिंदू आबादी बची थी उसका तो नाम ही बचा है। विभाजन के समय लाहौर की आबादी ग्यारह लाख थी, जिसमें पांच लाख हिंदू, पांच लाख मुसलमान ओर लगभग एक लाख सिख थे। कहां गई लाहौर की हिंदू आबादी। इस्लामिक पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं का गुजारा नहीं। यदि भारतवासियों की मानसिकता में धार्मिक सहिष्णुता न होती तो यहां पंथनिरपेक्षता की स्थापना नहीं हो सकती थी।

हिंदुओं ने सहज भाव से सेकुलरवाद को इसीलिए स्वीकार कर लिया कि यहां की आबादी का बहुसंख्य भाग हिंदू था और जिन्ना की इच्छा के बावजूद पाकिस्तान में सेकुलदवाद नहीं आ सका। यदि कोई व्यक्ति या दल हिंदू राष्ट्र की बात करता है या कोई सरकार ऐसी व्यवस्था लाती है तो बहुत चिन्तित होने की आवश्यकता नहीं है। दुनिया के किसी देश में जहां हिंदू बाहुल्य है खून खराबा नहीं हो सकता। हिंदू मान्यताएंइसकी इजाजत नहीं देतीं।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • सर्वधर्म समभाव
  • हिंदू राष्ट्र
  • संस्कृति
  • सांस्कृतिक चिन्तन
  • कुटुम्ब
  • हिंदू धर्माचार्य
  • सेकुलरवाद
  • हिंदू मान्यता
  • पैगम्बर
  • एकोहं विप्राः बहुधा वदन्ति

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.