टीचर्स डायरी: 'पेड़ के नीचे शुरू हुए इस सफर में आज डिजिटल माध्यमों से जुड़ रहे हजारों बच्चे'

Ajay Kumar | Apr 10, 2023, 15:46 IST
अजय कुमार वाराणसी के प्राथमिक विद्यालय में साल 2006 से अध्यापक हैं। कोरोना के बाद जो पढ़ाने का डिजिटल सफर शुरू किया उससे पूरे भारत के बच्चे फायदा उठा रहे हैं। आज टीचर्स डायरी में वो अपनी कहानी साझा कर रहे हैं।
Teacher
मेरा जन्म वैसे तो बनारस में हुआ था लेकिन मेरे पिता भेल में नौकरी करते थे जिस कारण मुझे घूम-घूम कर पढ़ने का मौका मिला। केंद्रीय विद्यालय से ही बारहवीं तक पढ़ा और बारहवीं के समय वाईजेग, आंध्र प्रदेश में था। फिर बीएससी ओडिशा से की, इसके बाद मेरी शादी हो गई और में उस समय बच्चों को कोचिंग देता था लेकिन मेरी पत्नी बीएड करने लगीं फिर मुझे भी लगा कि क्यों न मैं भी बीएड कर लूं और फिर मैंने भी काशी विद्यापीठ, वाराणसी से बीएड कर लिया।

और साल 2006 में बेसिक शिक्षा विभाग में जब भर्ती निकली तो मेरा भी चयन हो गया और मेरी नियुक्ति वाराणसी के ही एक प्राथमिक विद्यालय में हो गई।

सब सही चल रहा था लेकिन जब कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन लगा तो मैंने उस समय अपने साथियों से सलाह लेकर बड़े बच्चों को एक पेड़ के नीचे पढ़ाना शुरू किया। कुछ ही समय बाद बच्चे बहुत ज्यादा आने लगे और वो भी दूर-दूर से, यहां पर में नवोदय स्कूल की छठी कक्षा की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारी कराता था।

364605-goverment-primary-teacher-varansi-navodaya-vidyalaya-vidyagyan-entrance-exam-1
364605-goverment-primary-teacher-varansi-navodaya-vidyalaya-vidyagyan-entrance-exam-1

कुछ ही समय बाद एक बच्चे ने नवोदय की प्रवेश परीक्षा पास कर ली, जबकि वाराणसी का कट-आफ 95-96 प्रतिशत जाता है। तो मुझे यहां से हिम्मत मिली फिर में भी मन लगाकर मेहनत करने लगा। चाहे विद्या ज्ञान स्कूल, सीतापुर हो जहां लाखो फॉर्म भरे जाते हैं और 200 बच्चों को ही चुना जाता है। वहां पर भी मेरे यहां के बच्चे मिल जाएंगे।

Also Read: टीचर्स डायरी: 'जिस सरकारी स्कूल में मैंने पढ़ाई की, आज उसी स्कूल में टीचर हूं'

हुआ ये कि लॉकडआउन के बाद स्कूल खुलने से बच्चे कम होते जा रहे थे तभी मेरे मन में आया कि क्यों न युट्यूब पर आया जाए, इस पहल से बच्चों को भी फायदा हुआ है। मेरे यूट्यूब चैनल से देश भर के बच्चे जुड़े हुए हैं। आज मैं प्रधानमंत्री यशस्वी और श्रेष्ठा योजना कि भी तैयारी करा रहा हूं। लगभग 5 हजार से ज्यादा बच्चे मेरे व्हाट्सएप्प से जुड़े हुए हैं जिनके लिए में नोट्स से लेकर वीडियो तक रोज डालता रहता हूं, यहां बच्चे पूरे देश से जुड़े है। उनके सवालों का भी हल बताता रहता हूं।

एक बच्चे कि कहानी याद आ रहा है मझे, जो सूरज पटेल नाम का एक मेरा विद्यार्थी था। जिसके पिता पावरलूम की मशीम चलाते थे, गर दिन में पिता चलाते तो रात में माँ, ऐसे ही उनका गुजारा होता, तो उस साल सिर्फ यही बच्चा नवोदय प्रवेश परीक्षा में पास हुआ, तो कुछ दिन बाद जब स्कूल से घर आया तो मुझसे मिलने अपने माता-पिता के साथ आया। उसके माता-पिता बहुत खुश थे कहने लगे कि सब आपकी वजह से हुआ है।

यहीं से मुझे हिम्मत मिलती है और मैं किसी भी बच्चे से एक रुपए भी नहीं लेता। यूपी शिक्षा विभाग द्वारा प्रेरणा पत्रिका निकलती है उसमें भी मुझे जगह दी गई है।

जैसे कि अजय कुमार ने गाँव कनेक्शन के इंटर्न दानिश से बताया

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें connect@gaonconnection.com पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

Tags:
  • Teacher

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.