कैंसर नियंत्रण में कारगर हो सकता है सेब

Deepak AcharyaDeepak Acharya   15 Nov 2016 5:01 PM GMT

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कैंसर नियंत्रण में कारगर हो सकता है सेबसेब में कुछ रसायन होते हैं जो हृदय की धमनियों के बीच किसी भी तरह के जमाव को रोकने में मदद करते हैं।

सेब को रोगियों का फल कहा जाता है यानी इसमें रोगों को खत्म कर देनी की अपार क्षमता होती है। सेब के औषधीय गुणों का बखान करने वाला सिर्फ मैं नहीं, अब तो सारा बायोमेडिकल विज्ञान इस पर भरोसा जता रहा है। कैंसर जैसे भयावह रोग के नियंत्रण को लेकर दुनिया भर में शोध कार्यक्रम किए जा रहे हैं और सैकड़ों प्रयोगशालाओं में सेब के उपयोग से कैंसर नियंत्रण पर भी जबरदस्त शोध जारी हैं।

पारंपरिक हर्बल जानकारों का मानना है कि कैंसर रोगोपचार के लिए सेब को उपयोग में लाया जाना चाहिए और ठीक इसी तरह के दिशा निर्देशों को आधार मानकर कई अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में कैंसर उपचार के लिए सेब को प्रयोग में लाया जा रहा है। कई प्री-क्लिनिकल शोधों के परिणामों को देखा जाए तो जानकारी मिलती है कि सेब से लिवर कैंसर को खत्म करने में जबरदस्त फायदा होता है।

वैज्ञानिक केली वोल्फ और साथियों की शोध रपट जो जर्नल ऑफ फूड केमेस्ट्री में प्रकाशित हुई थी, इसके अनुसार इन वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि सेब के छिलकों में लिवर कैंसर से निपटने के बेहद रोचक गुण हैं, सेब में पाया जाने वाले प्रमुख रसायनों में से एक फ्लोरेटिन, लिवर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। इसी तरह मोलेक्युलर न्युट्रिशन एंड फूड रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर गौर किया जाए तो जानकारी मिलती है कि सेब की मदद से महिलाओं के स्तन कैंसर को काबू करने में भी काफी उत्साहित करने वाले परिणाम प्राप्त हुए हैं।

प्रकाशित किए गए परिणाम

सन 2010 में फायटोथेरापी नामक वैज्ञानिक पत्रिका में सेब पर किए गए एक शोध कार्यक्रम के परिणामों को प्रकाशित किया गया और रपट के अनुसार सेब में पाया जाने वाले एक अन्य महत्वपूर्ण रसायन समूह केरेटेनोईड्स की वजह से पेट के कैंसर में जबरदस्त फायदा होता है। इस शोध के जरिये बताया गया कि सेब के ये रसायन हेलिकोबैक्टर पायलोरी नामक सूक्ष्मजीव को मार गिराते हैं। दर असल हेलिकोबैक्टर पायलोरी की उपस्थिति और सक्रियता की वजह से मनुष्यों को पेट में अल्सर और बाद में कैंसर होता है। इस प्रयोग के दौरान पेट के अल्सर और कैंसर से ग्रस्त मरीजों को लगातार कई दिनों तक सेब खिलाया गया और परिणाम एकदम चौंकाने वाले थे। सेब कैंसर नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय साबित हो सकता है, कम से कम दुनियाभर में चल रही शोधों और उनके परिणामों को देखकर यह तो माना जा सकता है। कई शोध परिणामों के अंत में वैज्ञानिकों ने यह तक लिखा है कि सेब को हर तरह के कैंसर नियंत्रण के लिए आजमाकर देखा जाना चाहिए, किसे पता कि सालों से चल रही कैंसर शोध की प्रक्रिया के लिए सेब एक सुखद परिणाम लेकर आए। पारंपरिक ज्ञान का आदर्श मानकर इस तरह की शोधों को होते हुए देखना मेरे लिए भी बेहद सुखदायी है क्योंकि यहां पारंपरिक हर्बल ज्ञान को सम्मान मिलने जैसी बात है।

जब आया चेर्नोबिल घटना का जिक्र

जब कैंसर और सेब को लेकर बात चल रही है तो चेर्नोबिल की घटना का जिक्र आना जरूरी है। चेर्नोबिल न्युक्लियर प्लांट युक्रेन में है, सन 1986 में यहां एक दुर्घटना घटी और एक जबरदस्त विस्फोट हुआ जिसके चलते सारे शहर में रेडियो एक्टिव तत्वों का फैलाव हो गया, कई मौतें हुईं और अचानक हुए इस हादसे की वजह से पूरी दुनिया में रेडियो एक्टिव तत्वों की भयावहता को लेकर चिंता होने लगी। ये माना जाता रहा है कि रेडियो एक्टिव तत्वों की वजह से कैंसर होने का पूरा खतरा होता है। चेर्नोबिल में जो बच्चे रेडियोएक्टिव तत्वों के संपर्क में आए उन्हें एक प्रायोगिक शोध के जरिये एप्पल पेक्टिन (सेब में पाए जाने वाला एक महत्वपूर्ण रसायन) का सेवन कराया गया। बच्चों को एप्पल पेक्टिन से बने भोज्य पदार्थो को भी खिलाया गया। एक अंतराल के बाद बच्चों में काफी सकारात्मक असर दिखाई देने लगा। हर पंद्रह दिनों में बच्चों के शरीर पर रेडियो एक्टिव तत्वों की मार का असर 30-40 प्रतिशत तक कम दिखाई देने लगा। ये परिणाम काफी प्रोत्साहित करने वाले थे क्योंकि जहां एक तरफ बच्चों की सेहत बेहतर हुई वहीं दूसरी तरफ बच्चों को प्राकृतिक उपायों के जरिये उपचार दिया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि ना सिर्फ साधारण रेडियो एक्टिव बल्कि प्लुटोनियम जैसे तत्वों की वजह से होने वाले घातक शारीरिक परिणामों के लिए सेब एक बेहतरीन उपाय है और हम सेब को एक सुपर फूड कह सकते हैं।

सेब से बेहतर कुछ नहीं

कैंसर जैसे भयावह रोगों के नियंत्रण के अलावा कई अन्य सामान्य से जटिल शारीरिक समस्याएं हैं जिन्हें काबू में लाने के लिए सेब से बेहतर कुछ नहीं और इन उपायों को आधुनिक विज्ञान भी भलिभांति मान रहा है। सेब में कुछ रसायन होते हैं जो हृदय की धमनियों के बीच किसी भी तरह के जमाव को रोकने में मदद करते हैं। एक शोध परिणाम तो यह तक बताती है कि दिन में 3-4 सेब खाने वाली महिलाओं में 20-25 दिनों के भीतर वजन कम होते दिखाई देने लगता है। एंटी एजिंग और मस्तिष्क के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी सेब को काफी मददगार माना गया है। इसके अलावा मसूड़ों से खून आना, दांतों का पीलापन दूर करना और मुंह से आने वाली बदबू को दूर करने के लिए भी कई वैज्ञानिक सेब चबाने की सलाह देते हैं। कई तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमणों को दूर करने के लिए भी सेब काफी सक्रिय भूमिका अदा करता है। सेब में पाया जाने वाला एक रसायन प्रोस्यानिडिन हमारे बालों के असमय झड़ने को रोकने में मददगार साबित हुआ है।

बारीकी से किया गया अध्ययन

दुनिया भर में कई रोगों के रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के नाम पर सेब के महत्व को काफी बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है और इन सारी शोध परिणामों पर गौर किया जाए तो हम पाते हैं कि वाकई सेब प्रकृति का एक जबरदस्त वरदान है, सेब औषधि नहीं बल्कि सेब औषधियों को दूर रखने का एक सटीक उपाय है। अगली बार जब भी आप सेब को चबाएंगे तो जरूर इसके विलक्षण गुणों को याद करियेगा। मेरी सलाह तो यह तक है कि घर में सेब हमेशा रखें और जब जब भूख सी लगे, सेब चबा लिया जाए। सेब आपकी भूख शांत करेगा और सेहत भी दुरुस्त करेगा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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