सावधान: सीने में जलन को लें गंभीरता से

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सावधान: सीने में जलन को लें गंभीरता सेएसिडिटी एक आम समस्या है, पर अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह समस्या कई अन्य बीमारियों को दावत दे सकती है।

लखनऊ। कई बार देखा गया है कि अचानक से सीने में जलन की शिकायत होने लगती है। किसी चूर्ण या फिर एसिडिटी दवा से तुरंत राहत मिल जाएगी। ये एसिडिटी के कारण होता है। पर ध्यान रखें बार-बार ऐसा करना सेहत के साथ खिलवाड़ है और कई बड़ी समस्यों को निमंत्रण भी। यह गैस्ट्रोइसोफैगल रिफ्लक्स डिसीज (जीईआरडी) की शुरूआत हो सकती है, जिसे सामान्य बोलचाल में एसिडिटी कह देते हैं। एसिडिटी के हमले से खुद को कैसे बचाएं इसके बारे में विवेकानंद पॉलीक्लीनिक के डॉ अमन मल्होत्रा बता रहे हैं-

कई बीमारियों का कारण है एसिडिटी

एसिडिटी एक बहुत ही सामान्य और आम समस्या है, पर अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह समस्या कई अन्य रोगों को आमंत्रण दे सकती है।

क्यों होती है एसिडिटी

जब भोजन मुंह में प्रवेश करता है, तब लार भोजन में उपस्थित स्टार्च को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ने लगती है। इसके बाद भोजन इसोफैगस (भोजन नली) से होता हुआ पेट में जाता है, जहां पेट की अंदरूनी परत भोजन को पचाने के लिए पाचक उत्पाद बनाती है। इसमें से एक स्टमक एसिड है। कईं लोगों में लोवर इसोफैगियल स्फिंक्टर (एलईएस) ठीक से बंद नहीं होता और अक्सर खुला रह जाता है, जिससे पेट का एसिड वापस बहकर इसोफैगस में चला जाता है। इससे छाती में दर्द और तेज जलन होती है। इसे ही जीईआरडी या एसिड रिफ्लक्स कहते हैं। अधिकतर लोगों को यह समझ में नहीं आता कि हार्ट बर्न और यहां यह समझना जरूरी है कि एसिड हमारे लिए बहुत उपयोगी है। जैसे पेप्सिन एंजाइम, प्रोटीन के पाचन के लिए आवश्यक है।

एसिडिटी के कारण

  • शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, नियत समय पर खाना न खाना और सामान्य से अधिक वजन होना एसिडिटी बढ़ाता है।
  • पेट पर दबाव पड़ना। यह मोटापा, गर्भावस्था, बेहद तंग कपड़े पहनने से हो सकता है।
  • हर्निया और स्क्लेरोडर्मा भी वजह हो सकती है।
  • खाना खाने के तुरंत बाद सो जाना।
  • मसालेदार भोजन, जूस, खट्टे फल, लहसुन, टमाटर आदि का अधिक मात्रा में सेवन।
  • धूम्रपान और तनाव से भी एसिडिटी होती है।
  • कुछ दवाएं जैसे एस्प्रिन, नींद की गोलियां और पेन किलर एसिडिटी के कारक का काम करती हैं।

एसिडिटी के लक्षण

  • छाती में दर्द: छाती में दर्द तब होता है जब पेट का एसिड इसोफैगस में पहुंच जाता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाना बेहतर होगा।
  • गले में खराश: पाचन तंत्र की समस्याओं के कारण भी गले की खराश हो सकती है। बिना सर्दी-जुकाम अगर खाने के बाद गले में दर्द होता है तो इसका कारण एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।
  • चक्कर आना: कई बार एसिडिटी के लक्षण चक्कर आने के रूप में भी दिखाई देते हैं।
  • लार का अधिक स्राव: मुंह में अचानक लार का स्राव बढ़ने से एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।

अस्थमा

कई बार एसिड के फेफड़ों में जाने से श्वसन तंत्र की समस्याएं हो जाती हैं। सर्दी और आवाज के साथ सांस लेना अस्थमा को ट्रिगर करने का कारक बन सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पेट का एसिड छाती की तंत्रिकाओं को ट्रिगर कर श्वास नलियों को संकुचित कर देता है। इतना ही नहीं जिन लोगों को पहले से अस्थमा है, उनमें अस्थमा दवाएं एसिडिटी को बढ़ा देती हैं।

इसोफैगियल कैंसर और निमोनिया

गंभीर एसिडिटी का समय रहते उपचार न कराना इसोफैगियल कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा एसिडिटी में ली जाने वाली दवाओं से पेट में एसिड की कमी हो जाती है, जो बैक्टीरिया उत्पत्ति के लिए आदर्श स्थिति है। इससे फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया की आशंका बढ़ जाती है।

हडि्डयों का कमजोर होना

एसिडिटी को नियंत्रित करने वाली दवाओं से कैल्शियम का अवशोषण भी प्रभावित होता है, जिसका प्रभाव जोड़ों के दर्द के रूप में दिखता है।

सही करवट सोएं

फिलाडेल्फिया में हुए एक शोध के अनुसार जिन लोगों को रात में सोने के समय एसिडिटी की समस्या है अगर वह दाईं करवट से सोएं तो उन्हें आराम मिलेगा। सीधे व कमर के बल सोने पर एसिड वापस फिसलकर इसोफैगस में आ जाता है। सिर के नीचे थोड़ा ऊंचा तकिया रख सोने पर एसिड को इसोफैगस में जाने से रोक सकते हैं।

एसिडिटी से जुड़े कुछ मिथक

एसिडिटी के बारे में कईं गलत धारणाएं हैं जो इसके उचित उपचार में बाधा बनती हैं।

एसिडिटी में आराम पहुंचाए दूध

आम धारणा है कि दूध एसिड को निष्प्रभावी कर आराम पहुंचाता है जबकि सच यह है कि दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम पेट में एसिड के स्राव को उत्प्रेरित कर देता है और समस्या को और बढ़ा देता है। इसके अलावा दूध को पचाना भी मुश्किल होता है और इसके लिए पेट को अधिक मात्र में एसिड स्नवित करना पड़ता है। पीना है तो ठंडा दूध पिएं।

मसालेदार भोजन से हमेशा परहेज

यह एसिडिटी से जुड़ा हुआ एक और मिथ है। अगर आपको एसिडिटी है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आपको हमेशा फीका और बिना मसालेदार भोजन करना होगा। सिर्फ आप मसाले का प्रयोग थोड़ा कम करें। इसी तरह कैफीनयुक्त चीजों का सेवन भी कम मात्र में करें। पोषक भोजन और पेय पदार्थो के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

एसिडिटी की दवाएं पूरी तरह सुरक्षित

बिना सोचे-समझे कोई भी दवाई न लें। अधिकतर मामलों में इन दवाइयों का प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है और लक्षण वापस लौटकर आ सकते हैं। इन दवाइयों के गंभीर साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, जिनमें निमोनिया और हड्डियों से संबंधित समस्याएं भी हैं। जो तुरंत तो दिखाई नहीं देते लेकिन लंबे समय तक इनके सेवन से यह नजर आने लगते हैं। इसके अलावा लंबे समय तक इन दवाओं का सेवन शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण पर भी प्रभाव डालता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

     

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