स्वदेशी प्रोबायोटिक छाछ के प्रति जागरूकता की जरूरत

मठ्ठा के प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए इसे सुपर पेय कहना गलत नहीं होगा। छाछ अथवा मठ्ठा के अनेकों स्वास्थ्य लाभ को देखते हुये इसे देश में राष्ट्रीय पेय का दर्जा देने की जरूरत है।

Dr. Satyendra Pal SinghDr. Satyendra Pal Singh   11 April 2022 6:23 AM GMT

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स्वदेशी प्रोबायोटिक छाछ के प्रति जागरूकता की जरूरत

छाछ अर्थात मठ्ठा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह से जानती ही नहीं। छाछ जैसे प्रोबायोटिक पेय को नजरअंदाज किया जाता है। फोटो: दिवेंद्र सिंह 

पौषण के दृष्टिकोण से दूध को एक संतुलित आहार माना गया है। दूध में मानव स्वास्थ्य के लिए आवश्यक सभी पौषक तत्व और विटामिंस प्रचुर मात्रा में विद्यमान होते हैं। दूध में प्रोटीन, लेक्टोज, वसा, खनिज लवण, विटामिंस एवं पानी पाया जाता है। बावजूद इसके कुछ लोगों को दूध से एलर्जी, लेक्टोज इनटोलरेंस, वसा की मात्रा ज्यादा होने जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन दूध को किण्विन करके दही बनाने के बाद इसको को मथकर मक्खन निकालने के बाद मिलने वाला छाछ अथवा मठ्ठा से यह समस्याएं लोगों को नहीं होती हैं। छाछ में वह सभी पौषक तत्व मौजूद रहते हैं, जोकि दूध में पाये जाते हैं। छाछ से सिर्फ वसा अर्थात चिकनाई निकलती है जिससे यह स्वास्थ्य के लिए और अधिक उपयोगी हो जाता है। दूध को दही में बदलने वाले बैक्टीरिया छाछ में होते है जोकि प्रोबायोटिक्स का काम करते हैं। आज स्वदेशी प्रोबायोटिक्स छाछ के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है, ब्रज में एक पुरानी कहावत भी है कि पियोगे मठ्ठा तो बनोगे पठ्ठा।

दुनिया के साथ भारत में भी धीरे-धीरे ही सही लेकिन प्रोबायोटिक्स उत्पादों का बाजार तेजी से पैर पसार रहा है। प्रोबायोटिक्स के फायदों को लेकर आम लोगों में जागरूकता लाने का काम देश में कई देशी और विदेशी कंपनियों द्वारा शुरू किया जा चुका है। इन कंपनियों का प्रमुख उद्देश्य अपने उत्पादों का एक बड़ा बाजार खड़ा करना है। इसके पीछे इन कंपनियों की मंशा आम भारतीयों के स्वास्थ्य से जुड़ी न होकर अधिक से अधिक लाभ कमाने की ज्यादा है।

आखिर ये प्रोबायोटिक्स उत्पाद क्या हैं, तैयार कैसे होते हैं और लोगों के स्वास्थ्य के लिए इतने लाभदायक क्यों हैं। इस पर गौर फरमाने की जरूरत है। हर आम और खास भारतीय लोगों को पता होना चाहिए कि भारत में पुरातन काल से ही दूध से किण्वन करके बने दही का छाछ अथवा मठ्ठा एक बहुत पुराना भारतीय प्रोबायोटिक्स है। मठ्ठा के प्रयोग से होने वाले स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए इसे सुपर पेय कहना गलत नहीं होगा। छाछ अथवा मठ्ठा के अनेकों स्वास्थ्य लाभ को देखते हुये इसे देश में राष्ट्रीय पेय का दर्जा देने की जरूरत है।

दही एक दुग्ध उत्पाद है जिसका निमार्ण दूध के जीवाणु किण्वन द्वारा होता है। लैक्टोज का किण्वन लैक्टिक अम्ल बनाता है, जो दूध प्रोटीन से प्रतिक्रिया करके इसे दही में बदल देता है साथ ही इसे इसकी खास बनावट और विशेष खट्टा स्वाद भी प्रदान करता है। जैव रासायनिक परिवर्तन के माध्यम से 'लैक्टोबेसिलस' बैक्टीरिया दूध को दही में परिवर्तित कर देता है। जिसे हम आम बोल चाल की भाषा में जामन या कल्चर के नाम से संबोधित करते हैं। इसके बाद दही को मथकर मक्खन अलग करके छाछ अथवा मठ्ठा तैयार हो जाता है। यही मठ्ठा एक समृद्ध एवं परिपूर्ण प्रोबायोटिक्स होता है।

छाछ अथवा मठ्ठा के अनेकों स्वास्थ्य लाभ को देखते हुये इसे देश में राष्ट्रीय पेय का दर्जा देने की जरूरत है। फोटो: दिवेंद्र सिंह

प्रोबायोटिक्स में पाये जाने वाले बैक्टीरिया आंतों में पहुंचकर लाभदायक एंजाइम का निर्माण करते हैं और नुकसादेय बैक्टीरियाओं से लड़ने में मदद करते हैं। भारत के डेयरी प्रॉडक्ट दही, छाछ, श्रीखण्ड, लस्सी आदि प्रोबायोटिक फूड ही हैं। जिसमें छाछ अर्थात मठ्ठा इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। मठ्ठा में पाये जाने वाले बैक्टीरिया स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेंमंद होते हैं। हमारे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक में करोड़ों अच्छे बैक्टीरिया होते हैं, जो नुकसानदेय बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ते हैं। प्रोबायोटिक फूड आंतों में नुकसानदेय बैक्टीरिया की वृद्धि रोखकर फायदेयमंद बैक्टीरिया की संख्या बढ़ाते हैं। इससे शरीर स्वस्थ्य रहता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलती है। संक्रमणों से बचाव होने के साथ ही इंसान की उम्र में भी वृद्धि होती है।

प्राचीन भारत में पुरातन काल से ही आयुर्वेद में छाछ का उल्लेख किया गया है। इसका इस्तेमाल स्वास्थ्य को बनाये रखने और बीमारियों के इलाज हेतु किया जाता है। स्वास्थ्य के लिहाज से छाछ पीने के कई फायदे होते हैं। छाछ भोजन पचाने में मदद करता है और पेट को शांत रखता है। इसका स्वाद कुछ खट्ठा जरूर होता है, लेकिन इसका यही गुण पाचन को सुधारने का काम करता है। सूजन, जलन, पाचन संबंधी विकार गैस्टोइन्टेस्टाइनल बीमारी, एनीमिया और भूख की कमी के खिलाफ छाछ एक प्राकृतिक उपचार है। छाछ को प्राकृतिक दही से तैयार किया जाता है।

जिस छाछ को बिना क्रीम वाले दही से तैयार किया जाता है। वह मधुमेह एवं वजन से परेशान रोगियों के लिए एक सटीक औषधि का काम करता है। पानी के आधे अनुपात के साथ बनी छाछ पीने से ऊर्जा और पाचन में सुधार होता है। बिना फैट वाली छाछ थकान और पेट को ठण्डा करने के काम आती है। छाछ एक संपूर्ण एवं यह पोषण से भरपूर पेय होता है। छाछ में अच्छे संतुलित आहार के लिए सभी आवश्यक तत्व इसमें पाये जाते हैं। इसमें प्रोटीन, कार्बाेहाइड्रेट, न्यूनतम वसा, विटामिन और आवश्यक एंजाइम होते हैं। छाछ में 90 प्रतिशत से अधिक पानी होता है। इसलिए इसका सेवन शरीर में जल संतुलन को बनाये रखने में मदद करता है। मनुष्य की आंते छाछ को धीरे-धीरे एब्जार्व करती हैं। क्योंकि इसकी सामग्री ज्यादातर प्रोटीन के साथ जुड़ी होती है।

छाछ पीना किसी अन्य स्वाद वाले पेय व सादे पानी की तुलना में बेहतर है। छाछ के सेवन से मसालेदार एवं तीखे भोजन से पेट में होने वाली जलन से आराम मिलता है। यह भोजन के ज्वलनशील तत्वों को साफ कर देता है, जिससे पेट को आराम मिलता है। खाने के बाद एक गिलास छाछ पीने से मसाले के प्रभाव को बेअसर करने में मदद मिलती है और पेट की जलन शांत होती है। दोपहर के भोजन के बाद छाछ का सेवन काफी लाभदायक माना जाता है।

अचानक गर्मी लगने जैसी समस्या से पीड़ित लोग छाछ को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बना सकते हैं। गर्मियों के दिन में शरीर को ठण्डक और स्फूर्ति देने वाली चीजों का सेवन जरूरी होता है। इस मौसम में छाछ का सेवन सबसे अधिक लाभदायक है। दही मथने के बाद बनने वाली छाछ को न केवल ठंडे पेय के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं बल्कि इसका नियमित सेवन शरीर से बीमारी को दूर भगाने में मदद करता है। छाछ में विटामिन ए, बी, सी, ई एवं के होता है। इसका सेवन शरीर के पोषक तत्वों की कमी पूरी करता है। जिन लोगों में रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर होती है, उन लोगों के लिए छाछ का सेवन बहुत जरूरी है। इसके स्वास्थ्यवर्धक बैक्टीरिया कार्बोहाइड्रेट और लेक्टोज शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। छाछ शरीर के पाचनतंत्र को बेहतर बनाने में बहुत फायदेमंद है। यह अपच की समस्या को खत्म करने में मदद करता है।


यह प्रोबायोटिक्स से समृद्ध है जो शरीर में आंत मंे लाभदायक एंजाइम के विकास को बढ़ावा देता है। भोजन के बाद छाछ का सेवन एसीडिटी से तुरंत राहत प्रदान करने में मदद करता है। छाछ में बायोएक्टिव प्रोटीन होता है जो कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नीचे लाने में मदद करता है। यह हृदय से जुड़ी बीमारियों से बचाता है और शरीर में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है। यह कैंसर के खतरे को भी कम करता है क्योंकि यह प्रकृति में एंटीबैक्टीरियल, एंटीकार्सिनोजेनिक है। नियमित रूप से छाछ के सेवन से वजन कम करने में भी मदद मिलती है क्योंकि छाछ में कैलोरी एवं फैट की मात्रा कम होती है। एक तरह से यह फैट बर्नर का काम करता है। जिनके शरीर का तापमान और मेटाबोलिक स्तर अधिक होता है, उनके लिए छाछ का सेवन बहुत लाभप्रद रहता है।

भरपूर मात्रा में कैल्शियम होने के कारण छाछ हड्डियों को भी मजबूत बनाने में मदद करता है। इसका नियमित सेवन ऑस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी से बचाता है। गर्मी के मौसम में पसीना निकलने से डिहाइड्रेशन की शिकायत होती है। इससे शरीर में पानी की कमी हो जाती हैं। लेकिन छाछ का सेवन पानी की कमी को पूरा करता है। खाली पेट मट्ठा पीने से पाचन क्रिया तंदुरूस्त रहती है। खाना खाने के बाद जो लोग पेट का भारीपन महसूस करते हैं ऐसे लोग खाली पेट मट्ठा पीने से इससे राहत महसूस कर सकते हैं। मट्ठे में अदरक का पाउडर मिलाकर खाली पेट इसका सेवन कर सकते हैं। ऐसा करने से पेट का दर्द, ऐंठन की समस्या दूर होकर पाचन तंत्र मजबूत होता है।

छाछ अर्थात मठ्ठा से होने वाले स्वास्थ्य लाभ के बारे में आज की युवा पीढ़ी पूरी तरह से जानती ही नहीं। छाछ जैसे प्रोबायोटिक पेय को नजरअंदाज किया जाता है। जागरूकता के माध्यम से इस स्थिति को बदले जाने की जरूरत है, जिससे छाछ जैसे स्वदेशी प्रोबायोटिक पेय का प्रयोग भारतीय युवा पीढी में अधिक से अधिक बढ़ाया जा सके।

(डॉ सत्येंद्र पाल सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, शिवपुरी, मध्य प्रदेश के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख हैं, यह उनके निजी विचार हैं।)

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