मध्य प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण नियम-कायदों में होगा बदलाव

प्रदेश में पहली बार वर्ष 1994 में अंग प्रत्यारोपण को लेकर कानून बनाया गया था, जिसे 1995 में लागू किया गया था, वर्ष 2011 में इस कानून में कुछ बदलाव किये गये थे

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   26 Feb 2019 12:40 PM GMT

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मध्य प्रदेश में अंग प्रत्यारोपण नियम-कायदों में होगा बदलाव

इंदौर। प्रदेश की नवगठित सरकार चाहती है कि अंग प्रत्यारोपण क्षेत्र का बेहतर विनियमन किया जाये, ताकि खासकर गरीब तबके के जरूरतमंद मरीजों की जान बचायी जा सके। मध्य प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र के बेहतर विनियमन के लिये नियम-कायदों में जरूरी बदलाव करेगी।

साधौ ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, "हमने 21 फरवरी को विधानसभा में अंग प्रत्यारोपण के विषय में संकल्प पारित कराया है। इसके तहत अंग प्रत्यारोपण क्षेत्र को नये नियम-कायदों में बांधा जायेगा, ताकि इस सिलसिले में अच्छा वातावरण बन सके और जरूरतमंद मरीजों को इसका फायदा मिल सके।"

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उन्होंने बताया कि प्रदेश में पहली बार वर्ष 1994 में अंग प्रत्यारोपण को लेकर कानून बनाया गया था, जिसे 1995 में लागू किया गया था। वर्ष 2011 में इस कानून में कुछ बदलाव किये गये थे। साधौ ने प्रदेश की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा, "अभी वर्ष 2019 चल रहा है। लेकिन अंग प्रत्यारोपण को लेकर वर्ष 2011 में किये गये कानूनी बदलावों को लागू कराने की दिशा में गुजरे सालों में कोई काम नहीं हुआ।"

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साधौ, यहां शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में "वायरल रीसर्च डायग्नोस्टिक लैब" की नींव रखे जाने के कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। अधिकारियों ने बताया कि महाविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में यह प्रयोगशाला 1.74 करोड़ रुपये की लागत से छह महीने की समयसीमा के भीतर बनायी जानी है। इसमें स्वाइन फ्लू के साथ डेंगू, चिकनगुनिया, हेपेटाइटिस तथा अन्य रोगों की जांच पॉलिमर चेन रीएक्शन (पीसीआर) तकनीक से की जा सकेगी।

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