जीवनशैली में बदलाव के कारण महिलाओं में बढ़ रही माइग्रेन की समस्या

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जीवनशैली में बदलाव के कारण महिलाओं में बढ़ रही माइग्रेन की समस्याप्रतीकात्मक फोटो, साभार: इंटरनेट

लखनऊ। वैसे तो माइग्रेन हर उम्र और वर्ग के लोगों की आम समस्या बनता जा रहा है लेकिन इसकी सबसे बड़ी वजह है अनियमित दिनचर्या, खान-पान की गलत आदतें व तनाव लेना। माइग्रेन से ग्रस्त लोगों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या कहीं ज्यादा है। माइग्रेन एक प्रकार का मस्तिष्क विकार है, जिसमें सिरदर्द होता है। इस में सिर में एकतरफा दर्द होता है। इसलिए आम बोलचाल की भाषा में इसे अर्द्धकपाली भी कहा जाता है। यह प्राय: शाम के समय शुरू होता है। इसमें दर्द 2 से 72 घंटे तक हो सकता है।

हार्मोन के स्तर में बदलाव भी इसमें भूमिका निभा सकता है। यह एक न्यूरोलॉजिकल विकार है। महिला के जीवन चक्र के दौरान बदलता हार्मोनल वातावरण जैसे मासिक धर्म की शुरुआत, मासिक धर्म, गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन, गर्भधारण, रजोनिवृत्ति और हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) आदि से माइग्रेन की अवधि पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। महिलाओं में माइग्रेन के कारणों के बारें में बता रही हैं लखनऊ के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ एके पाण्डेय-

मासिक धर्म

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन के कारण मूड स्विंग होते हैं जिसकी वजह से माइग्रेन की समस्या हो सकती है। मासिक धर्म से पहले एस्ट्रोजन में बदलाव से कुछ महिलाओं में माइग्रेन की शुरुआत होती है। माइग्रेन का हमला मासिक धर्म के चक्र से दो दिन पहले और तीन दिन बाद के बीच में होता हैं। इसमें महिलाओं को अवसाद, चिड़चिड़ापन, थकान, भूख में बदलाव आना, सूजन, पीठ में दर्द, स्तनों की कोमलता या उबकाई की शिकायत रहती है।

गर्भधारण

गर्भधारण के दौरान ज्यादातर महिलाओं में माइग्रेन के लक्षणों में सुधार या कमी देखी जाती है। बाकी महिलाओं में माइग्रेन की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होता या स्थिति और बिगड़ जाती है। गर्भधारण के दौरान माइग्रेन में कमी आए तो माइग्रेन प्रसव के बाद की अवधि में फिर से होता है। यह खासकर उन महिलाओं को होता है, जो मासिक धर्म से जुडे़ माइग्रेन या एस्ट्रोजन में बदलाव से जुड़े माइग्रेन से पीड़ित होती हैं।

गर्भनिरोधक गोलियां

गर्भनिरोधक गोलियां खाने का माइग्रेन पर अस्थायी असर होता है। गर्भनिरोधक गोलियां खाना शुरू करने से महिलाओं में माइग्रेन नए सिरे से हो सकता है, पहले से मौजूद माइग्रेन का दर्द और बढ़ सकता है या इसकी आवृत्ति या इसके होने के लक्षण बदल सकते हैं।

माइग्रेन से पीड़ित खास तौर पर उन महिलाओं में इस्कीमिक दौरों का खतरा अधिक हो सकता है, जो गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं, बहुत धूम्रपान करती हैं या जिन्हें माइग्रेन के दौरान चमकीली रोशनी दिखाई देती है।

रजोनिवृत्ति

गर्भधारण की तरह ही रजोनिवृत्ति के माइग्रेन पर असर के बारे में भी बताया नहीं जा सकता। माइग्रेन से पीड़ित दो तिहाई महिलाओं में रजोनिवृत्ति में माइग्रेन की स्थिति बिगड़ सकती है या सुधर सकती है। कुछ महिलाओं में रजोनिवृत्ति के बाद माइग्रेन शुरू भी हो सकता है।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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