स्वस्थ रहने के लिए खाएं मौसमी फल

Deepak AcharyaDeepak Acharya   21 May 2018 7:46 AM GMT

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स्वस्थ रहने के लिए खाएं मौसमी फलगर्मियों की चिलचिलाती धूप अक्सर तबीयत बिगाड़ देती है।

गर्मियों की चिलचिलाती धूप अक्सर तबीयत बिगाड़ देती है। ठंडे- बुलबुले सोडायुक्त पेय थोड़े समय के लिए राहत जरूर दे सकतें हैं लेकिन शरीर पर इनके दुष्परिणामों का भुगतान देर सवेर तय होता है। प्रकृति ने हमारे लिए वन संपदा के नाम पर अनेक ऐसे उपाय दिये हैं जिनकी मदद से हम अपनी सेहत की देखभाल स्वयं कर सकते हैं। कितनी ही गर्मी क्यों ना हो, यदि हम अपनी दिनचर्या में पारंपरिक पेय और फलों को सम्मिलित कर लें तो धूप की तपिश से होने वाले शारीरिक विकारों पर आसानी से काबू पाया जा सकता है।

बेल

बेल के शर्बत कुपाचन, आंखों की रोशनी में कमी, पेट में कीड़े और लू लगने जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिये उत्तम है। गर्मियों में बेल का फल मानो एक वरदान है जिसके सेवन से धूप की तपिश और लू के थपेड़ों से शरीर को बचाया जा सकता है। बेल का जूस लू और लू के बाद आए बुखार के नियंत्रण के लिए अतिकारगर माना जाता है।

पपीता

पपीता न सिर्फ एक फल है बल्कि औषधीय गुणों का खजाना भी है। इस फल में पपैन, प्रोटीन, बीटा-केरोटीन, थायमिन, रीबोफ्लेविन और कई तरह के विटामिन्स पाए जाते हैं। गर्मियों के पके पपीते को खाना हितकर माना जाता है, इसके जूस को पीने से शरीर में ताजगी और स्फूर्ति बनी रहती है और चिलचिलाती गर्मी में भी यह शरीर के तापमान को नियंत्रित किए रहता है।

कटहल

सब्जी और फल के तौर पर खाया जाने वाला कटहल कई तरह के औषधि गुणों से भरपूर है। कटहल के फलों में कई महत्वपूर्ण प्रोटीन्स, कार्बोहाईड्रेड्स के अलावा विटामिन्स भी पाए जाते हैं। यह गर्मियों में लू के दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने में बेहद कारगर होता है। डाँग गुजरात के कुछ हर्बल जानकार तो कटहल के पके फलों को दुबले और कमजोर व्यक्तियों को अक्सर खाते रहने की सलाह देते हैं, इनके अनुसार यह वजन बढ़ाने में बेहद सहायक होता है।

जामुन

जामुन में लौह और फास्फोरस जैसे तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं, जामुन में कोलीन तथा फॉलिक एसिड भी भरपूर होते हैं। भोजन के बाद 100 ग्राम जामुन फल का सेवन गर्मियों से जुड़े कई विकारों में बहुत फायदेमंद साबित होता है। डाँग- गुजरात के आदिवासी हर्बल जानकार मानते हैं कि जामुन और आंवले के फलों का रस समान मात्रा में मिलाकर पीने से शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है और जिन्हें रक्त-अल्पता होती है उन्हे काफी फायदा होता है।

तेंदू

मध्यभारत के वनों में प्रचूरता से पाए जाने वाले फल तेंदू को आम बोलचाल में गरीबों का फल कहा जाता है। आदिवासी गर्मियों में घर से निकलने से पहले तेंदू के पके फलों को खाते हैं ताकि गर्मी के प्रकोप से इनकी सेहत को कोई नुकसान ना हो।

कमरख

कमरख का पेड़ उत्तर और मध्य भारत में अक्सर देखा जा सकता है। स्वाद में इसके फल काफी खट्टे होते है हालांकि ज्यादा पक जाने पर इनमें थोड़ी मिठास भी आ जाती है। आदिवासियों के अनुसार इसका पका हुआ फल शक्तिवर्धक और ताजगी देने वाला होता है। गर्मियों में इस फल के सेवन से लू की मार नहीं पड़ती तथा यह बुखार में भी लाभकारी होता है। अक्सर ग्रामीणजन इसके पके फलों का रस तैयार कर दोपहर में पीते है, माना जाता है कि शरीर की आंतरिक तासीर को यह ठंडा बनाए रखता है और प्यास को बुझाता भी है।

संतरा

संतरे के रस में विटामिन सी, विटामिन बी कॉम्लेक्स, विटामिन ए, कई खनिज तत्व और पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। गर्मियों में लू लगने पर संतरे का रस देना बहुत अच्छा होता है। घमौरियां के इलाज के लिए संतरे के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लेते हैं और इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाब जल मिलाकर शरीर पर लगाते हैं, ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।

तरबूज

गरमी की वजह से यदि सिरदर्द हो रहा हो तो तरबूज के रस का सेवन किया जाए तो दर्द में आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासी मानते हैं कि यदि लगभग 100 मिली तरबूज के रस में लगभग 2 ग्राम काली मिर्च के चूर्ण को मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से शरीर की सूजन दूर हो जाती है। 1 कप तरबूज के रस में यदि 1 चुटकी सेंधानमक डालकर सेवन किया जाए तो हाई ब्लड प्रेशर में काफी फायदा होता है।

फालसा

फालसा एक मध्यम आकार का पेड़ है जिस पर छोटी बेर के आकार के फल लगते है। फालसा मध्यभारत के वनों में प्रचूरता से पाया जाता है। इसके फल स्वाद में खट्टे-मीठे होते हैं। आदिवासियों के अनुसार खून की कमी होने पर फालसा के पके फल खाना चाहिए इससे खून बढ़ता है। शरीर में खून की कमी से अक्सर त्वचा में जलन की भी शिकायत होती है ऐसे में फालसे के फल या शर्बत को सुबह-शाम लेने से अतिशीघ्र आराम मिलता है।

शहतूत

शहतूत को मलबेरी के नाम से भी जाना जाता है। मध्य भारत में यह प्रचूर मात्रा में पाया जाता है। वनों, सड़कों के किनारे और बाग-बगीचों में इसे देखा जा सकता है। शहतूत के फलों का रस पीने से आंखों की रोशनी तेज होती है और इसका शरबत भी बनाया जाता है।

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