National Cancer Survivors day: इतनी असुविधाओं में कैसे होगी कैंसर की जंग से जीत?
Shefali Srivastava | Jun 04, 2017, 12:50 IST
लखनऊ। साल 2016 में एक आंकड़े के मुताबिक भारत में एक करोड़ कैंसर मरीजों पर सिर्फ दो हजार ऑनकोलॉजिस्ट (कैंसर चिकित्सक) हैं। कैंसर के प्रति जागरुकता न होने के साथ-साथ ये भी एक बड़ी वजह है कैंसर से सबसे ज्यादा मृत्यु की।
भारत में कैंसर तेजी से बढ़ती बीमारी है लेकिन इसके बारे में कम रिसर्च, कम डॉक्टर, कम सुविधायुक्त अस्पताल और ऊपर से महंगा इलाज के वजह से यह भारत के लिए जटिल समस्या बनती जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2025 तक भारत में कैंसर के मरीज पांच गुना ज्यादा बढ़ चुके होंगे और इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा होगी। यहां तक कि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के बाद भी भारत में 30 फीसदी की दर से कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के मुताबिक साल 2015 में भारत में कैंसर के 11.48 लाख मरीज सामने आए थे। इसमें ज्यादा मामले तंबाकू से होने वाले कैंसर के हैं। इसके बाद गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट और ब्रेस्ट कैंसर के मामले हैं।
डॉक्टर्स का मानना है कि भारत में शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और जीवनशैली में बदलाव के कारण ही मरीज बढ़ रहे हैं।
लखनऊ स्थित कैंसर इंस्टीट्यूटलैंसट स्टडी के अनुसार भारत में 60 फीसदी विशेषज्ञों की सुविधा दक्षिण और पश्चिमी क्षेत्रों में है जबकि 50 फीसदी से ज्यादा मरीज केंद्र और पूर्वी राज्यों में रहते हैं। एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के अनुसार भारत के पूर्वी इलाकों के 26 फीसदी मरीजों में से केवल 11 फीसदी को ही तत्कालिक रेडियोथेरेपी सुविधा मिल पाती है। भारत में हर साल लगभग 10 लाख कैंसर के नए मरीज मिल रहे हैं। कैंसर के मामले बढ़ने की वजह से इसके निदान के लिए परिवार पर आर्थिक भार भी बढ़ता जाता है।
2012 के आंकड़ें के मुताबिक, भारत में लगभग 27 समर्पित कैंसर अस्पताल हैं। उम्मीद है इस संख्या में वर्तमान में कुछ इजाफा हुआ होगा। वहीं 25 से 69 साल की उम्र के लोगों की मौत की वजह में कैंसर चौथे स्थान पर है।
ओरल कैंसर
मुंह के कैंसर को ओरल कैंसर भी कहते हैं। ये बीमारी आमतौर पर गुटका खाने वाले लोगों में पाई जाती है।
लक्षण
लक्षण
लक्षण
लक्षण
लक्षण
भारत में कैंसर तेजी से बढ़ती बीमारी है लेकिन इसके बारे में कम रिसर्च, कम डॉक्टर, कम सुविधायुक्त अस्पताल और ऊपर से महंगा इलाज के वजह से यह भारत के लिए जटिल समस्या बनती जा रही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2025 तक भारत में कैंसर के मरीज पांच गुना ज्यादा बढ़ चुके होंगे और इनमें महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा होगी। यहां तक कि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के बाद भी भारत में 30 फीसदी की दर से कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
आईसीएमआर (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के मुताबिक साल 2015 में भारत में कैंसर के 11.48 लाख मरीज सामने आए थे। इसमें ज्यादा मामले तंबाकू से होने वाले कैंसर के हैं। इसके बाद गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट और ब्रेस्ट कैंसर के मामले हैं।
डॉक्टर्स का मानना है कि भारत में शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और जीवनशैली में बदलाव के कारण ही मरीज बढ़ रहे हैं।
लखनऊ स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट
कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज उत्तरी पूर्वी राज्यों में
2012 के आंकड़ें के मुताबिक, भारत में लगभग 27 समर्पित कैंसर अस्पताल हैं। उम्मीद है इस संख्या में वर्तमान में कुछ इजाफा हुआ होगा। वहीं 25 से 69 साल की उम्र के लोगों की मौत की वजह में कैंसर चौथे स्थान पर है।
ऐसे पहचानें कैंसर के लक्षण
मुंह के कैंसर को ओरल कैंसर भी कहते हैं। ये बीमारी आमतौर पर गुटका खाने वाले लोगों में पाई जाती है।
लक्षण
- मुंह के कैंसर में छाले हो जाते हैं।
- मुंह के अंदर सूजन हो जाती है।
- मुंह के भीतर छोटे छोटे गांठ बनने लगते हैं।
लक्षण
- ब्रेस्ट में दर्द और सूजन होना।
- स्तन में गांठ हो जाना।
- स्तन में किसी भी तरह से का परिवर्तन होना
लक्षण
- अक्सर पीठ व कंधों के हड्डियों में दर्द रहना।
- बोन कैंसर में कांधे में टयूमर हो जाने की वजह से मरीज को अक्सर पीठ में दर्द की वजह से बुखार और पसीना आता है।
लक्षण
- एनीमिया का होना, कमजोरी लगना, ज्यादा थकन महसूस होना।
- सीने में दर्द होना, सांस लेने में तकलीफ होना।
लक्षण
- पेट में हमेशा दर्द होना
- कमजोरी और बहुत जल्दी थकान लगना
- तेजी से वजन कम होना