मोटापा आलू खाने से नहीं बढ़ता, लेकिन लंबी उम्र चाहिए तो मोटापे को दूर रखिए

डॉ दीपक आचार्य | Oct 10, 2017, 18:58 IST
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मोटापा सेहत की नहीं अब बीमारियों की निशानी है। विज्ञान और जानकार दोनों मानते हैं कि अगर सेहतमंद और लंबी उम्र चाहिए तो मोटापे को खुद से दूर रखिए। इस लेख में डॉ. दीपक आचार्य बता रहे हैं कैसे बीमारियां लेकर आता है मोटापा, और कैसे कर सकते हैं बचाव।


वजन बढ़ना और मोटापा होना शारीरिक असंतुलन के अलावा कई घातक रोग जैसे मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मानसिक तनाव, अनिद्रा, लिवर रोग, पित्ताशय, ओस्टिओ-आर्थरायटिस और कई अन्य समस्याओं को आमंत्रित करता है।

माना जाता है कि महिलाओं में मोटापा होने की संभावनाएं पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा होती है। अधिकांश लोग जब शुरुआत में मोटापा बढ़ता है, तो उस पर ध्यान नहीं देते हैं लेकिन जब मोटापा बहुत अधिक बढ़ जाता है तो उसे घटाने के लिए घंटो पसीना बहाते रहते हैं। मोटापा घटाने के लिए भोजन शैली में सुधार जरूरी है। कुछ प्राकृतिक चीजें ऐसी हैं जिनके सेवन से वजन नियंत्रित रहता है। प्रकृति के करीब रहकर इंसान किस कदर अपना स्वास्थ्य बेहतर रख सकता है, इसका सटीक उदाहरण ग्रामीण और वनवासी अंचलों में देखा जा सकता है।

‘आपके हाथ में है मोटापे को दूर रखने का रिमोट’

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की पातालकोट घाटी के गोंड और भारिया वनवासियों की बात की जाए या बैतूल जिले के कोरकू जनजाति के लोग, भले ही ये वनवासी समाज की मुख्यधारा और तथाकथित विकसित होने की दौड़ में अलग रह गए हों लेकिन इनके स्वास्थ्य और आयुष की तुलना हम विकसित समाज और शहरों में रहने वाले लोगों से करें तो हमें समझ आ जाएगा कि आखिर विकसित और ज्यादा स्वस्थ कौन है?

पिज्जा कल्चर, जंक फूड और अनियमित जीवन शैली ने मोटापा जैसे रोग लाकर हमारे जीवन को भयावह कर दिया है। क्या वजह है जो वनवासियों में मोटापा, मधुमेह, उच्च या निम्न रक्तचाप जैसी समस्याएं देखने नहीं मिलती? वनवासियों का खान-पान, जीवनशैली और वनौषधियां इन सब रोगों को उनके आस-पास तक भटकने नहीं देती। लेकिन अपनी जीवनशैली को नियंत्रित करने का असली रिमोट आपके हाथ में ही है।

लटजीरे में छिपे हैं मोटापे से दूर रहने के कई गुण

वनवासी इलाकों में कई तरह के पारंपरिक नुस्खों को आजमाकर इस तरह की समस्याओं से दूर रहते हैं। लटजीरा या अपामार्ग हमारे घरों, खेत- खलिहान के आसपास अक्सर देखा जा सकता है। खेत खलिहान या मैदानों से गुजरने पर अक्सर जीरे की तरह दिखने वाले बीज हमारे कपड़ों पर लग जाते हैं। पातालकोट के वनवासियों के अनुसार इसके बीजों को एकत्र करके मिट्टी के बर्तन में भून लिया जाए और प्रतिदिन आधा चम्मच का सेवन किया जाए तो यह भूख को मार देता है और शारीरिक वसा को भी तोड़ने का काम करता है।

इस फॉर्मूले को मोटापा कम करने के लिए आजमाया जा सकता है। कोरकू वनवासियों के अनुसार यदि उबले आलूओं पर हल्का सा नमक छिड़क दिया जाए और उस व्यक्ति को दिया जाए जो वजन कम करना चाहता है तो उसे फायदा होता है। वनवासियों के अनुसार ये गलत बात है कि आलू को मोटापा बढ़ाने में मदद करने वाला कंद माना जाता है।



मोटापा लेकर आता है कई बीमारियां।

‘आलू खाने से नहीं बढ़ता मोटापा’

वजन आलूओं की वजह से नहीं बढ़ता बल्कि आलू को तलने के लिए इस्तमाल में लाए जाने वाले तेल, घी आदि आलू को बदनाम कर जाते हैं। कच्चे आलू या आलू जिन्हें तेल, घी आदि के बगैर पकाया जाए, खाद्य पदार्थ के तौर पर इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इनकी मदद से वजन भी कम किया जा सकता है क्योंकि इनमें कैलोरी के नाम पर कुछ खास नहीं होता है। वनवासी तरीकों और भोज्य शैली को अपनाकर हम शहरी लोग भी स्वस्थ और मस्त रह सकते हैं।

(लेखक हर्बल विषयों के जानकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

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