सौंदर्य के लिए आजमाएं ये हर्बल तरीके

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सौंदर्य के लिए आजमाएं ये हर्बल तरीकेकुन्दरू के फलों में कैरोटीन प्रचुरता से पाया जाता है जो विटामिन ए का दूत कहलाता है। 

हिन्दुस्तानी पारंपरिक ज्ञान एक वरदान की तरह है लेकिन जाने अनजाने में इस ज्ञान को नकार कर हम खुद अपना नुकसान कर रहे हैं। परंपरागत तरीके से और शब्दों के जरिये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चला आ रहा यह ज्ञान आज कहीं गुम सा होता जा रहा है। मजे की बात यह भी है कि आधुनिक विज्ञान भी पारंपरिक हर्बल ज्ञान का लोहा मानता है। सदियों से चले आ रहे इस सटीक हर्बल ज्ञान को नयी दवाओं के खोज कार्यक्रम के लिए एक शार्ट-कट टूल की तरह देखा जाना चाहिए।

जड़ी बूटियां सौंदर्य प्रसाधन के तौर पर कृत्रिम और रसायनयुक्त उत्पादों की तुलना ज्यादा सुरक्षित उपाय के तौर पर देखे जाने लगी हैं। सौंदर्य प्रसाधन के तौर पर जड़ी- बूटियों के इस्तेमाल को सदियों से सराहा गया है और परंपरागत रूप से अनेक हर्बल नुस्खों के जरिये कई तरह के सौंदर्य प्रसाधनों को तैयार कर हम सब अपनी सेहत की सुरक्षा बेहतर तरीके से कर सकते हैं। तपतपाती गर्मी के आने की खनक हो चुकी है और इन गर्मियों में त्वचा का झुलसना, बेरंग होना और सन टैन जैसी समस्याएं आपका इंतज़ार करेंगी।

घातक कृत्रिम रसायनोंयुक्त दवाओं और क्रीम की तरफ कूच करने के बजाय इस सीजन में जरा इन देशी नुस्खों को आजमाकर देखें। हवा में तैरते हुए प्रदूषक कणों और तपतपाती धूप की मार चेहरे की त्वचा को झुलसा के रख देती है और यह चेहरे पर झुर्रियां बनने की वजहें बन सकती है लेकिन कुछ पारंपरिक हर्बल नुस्खों को अपनाकर इस समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिल सकता है।

कुन्दरू

कुन्दरू के फलों में कैरोटीन प्रचुरता से पाया जाता है जो विटामिन ए का दूत कहलाता है। कुन्दरू में कैरोटीन के अलावा प्रोटीन, फाईबर और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण तत्व भी पाए जाते हैं। गुजरात के डाँगी आदिवासियों के बीच कुंदरू की सब्जी बड़ी प्रचलित है। इन आदिवासियों के अनुसार इस फल की अधकच्ची सब्जी लगातार कुछ दिनों तक खाने से आंखों की रोशनी बेहतर होती है। त्वचा की चमक और तेजपन बनाए रखने के लिए 2-3 कच्चे कुंदरुओं को प्रतिदिन चबाना लाभदायक होता है।

सेब

सेब को कुचल लिया जाए और इसमें कुछ मात्रा कच्चे दूध की मिला ली जाए और चेहरे पर लगाया जाए। जब यह सूख जाए तो इसे धो लिया जाना चाहिए। सप्ताह में कम से कम 4 बार ऐसा करने से काफी फायदा होता है।

टमाटर

दो टमाटर को लेकर कुचला जाए और इसमें 3 चम्मच दही और दो चम्मच जौ का आटा मिला दिया जाए। चेहरे पर इस मिश्रण को कम से कम 20 मिनिट के लिए लगाकर रखा जाए तो यह त्वचा के सिकुड़न में मदद करता है, जिससे झुर्रियां कम होने लगती हैं और यह धूप की मार भी कम करता है। इस उपाय को सप्ताह में 2 बार कम से कम 1 माह तक उपयोग में लाना चाहिए, फायदा होता है।

संतरा

रात सोने जाने से पहले संतरे के 2 चम्मच रस में 2 चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर 20 मिनट तक लगाए रखना चाहिए, बाद में साफ कपास को दूध में डुबोकर चेहरे की सफाई करनी चाहिए, ऐसा प्रतिदिन करा जाए तो सकारात्मक परिणाम जल्द ही दिखने लगते हैं। पारंपरिक हर्बल वैद्यों की जानकारी के अनुसार 1/2 कप पत्ता गोभी का रस तैयार किया जाए और इसमें 1/2 चम्मच दही और 1 चम्मच शहद मिलाकर चेहरे पर लगाया जाए। जब यह सूख जाए तो गुनगुने पानी से इसे धो लिया जाए, ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में प्राकृतिक रूप से खिंचाव आता है और यह झुर्रियों को दूर करने में मदद करता है।

चावल का आटा

चावल के आटे में थोड़ा सा दूध और गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार कर लिया जाए और चेहरे पर हल्का-हल्का मालिश किया जाए। कुछ देर बाद इसे गुनगुने पानी से साफ भी कर लिया जाए। सप्ताह में कम से कम 3 बार इस प्रक्रिया को दोहराने से सन टैन होने पर काफी फर्क महसूस किया जा सकता है।

केला

केला त्वचा के लिए एक अच्छा नमी कारक उपाय है। पके हुए केले को अच्छी तरह से मैश कर लिया जाए और चेहरे पर फेसपैक की तरह लगा दिया जाए, करीब 15 मिनट बाद इसे धो लिया जाए। चेहरा धुल जाने के बाद रक्त चंदन का लेप भी लगाया जाए, माना जाता है कि ऐसा करने से चेहरे की त्वचा में जबरदस्त निखार आता है और लू के थपेड़ों का असर कम हो जाता है।

पान के पत्ते

पान के एक पत्ते को कुचल लिया जाए और इसमें एक चम्मच नारियल का तेल मिला लिया जाए। इसे चेहरे या शरीर के किसी भी हिस्से पर धूप की वजह से बने दाग, काले निशान या धब्बों पर लगाकर कुछ देर रखा जाए और फिर धो लिया जाए। ऐसा सप्ताह में कम से कम 2 से 3 बार किया जाए तो 3 महीने के भीतर निशान मिट सकते हैं।

आलू

एक आलू को बारीक पीस लिया जाए और इसमें 2-3 चम्मच कच्चा दूध मिला लिया जाए ताकि पेस्ट तैयार हो जाए। इस पेस्ट को प्रतिदिन सुबह शाम कुछ देर के लिए काले निशानों पर लगाकर रखा जाए और फिर धो लिया जाए, शीघ्र ही निशान दूर हो जाएंगे।

तुलसी

औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है। गर्मियों में घमौरियों के इलाज के लिए डाँग- गुजरात के आदिवासी संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लेते है और इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाते है, ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।

नींबू

चेहरे की त्वचा को साफ पानी से धो लिया जाए और इस पर कपास की मदद से नींबू का रस लगाया जाए तो चेहरे के छिद्रों पर तेल और मृत कोशिकाओं के जमावड़े को हटाया जा सकता है और त्वचा खूबसूरत भी दिखाई देती है। कुछ आदिवासी हर्बल जानकार चेहरे पर गर्म पानी की भाप लेने की सलाह देते हैं।

इनके अनुसार एक चौड़े बर्तन में गर्म खौलता पानी डाल दिया जाए और पूरे सिर पर तौलिया डालकर खौलते पानी से निकल रही भाप को चेहरे के संपर्क में लाया जाए जिससे छिद्रों में उपस्थित गंदगी और तेल बाहर निकल आते हैं। कुछ देर बाद चेहरे पर कपास को हल्का-हल्का रगड़कर चेहरा साफ़ कर लिया जाए और फिर चेहरे पर नींबू रस लगाया जाए। सप्ताह में एक बार करने से मुहांसे ठीक हो जाते है।

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