मौसमी एलर्जी को दूर भगाएगा कपालभाति
Bidyut Majumdar | Mar 19, 2017, 18:30 IST
लखनऊ। आजकल कई तरह की एलर्जी देखने में आती हैं। इनमें से जो एलर्जी सबसे ज्यादा परेशानी पैदा करती हैं, वे आंख और नाक की एलर्जी हैं। नाक की एलर्जी से पीड़ित लोगों की नाक के पूरे रास्ते में एलर्जिक सूजन पाई जाती है। ऐसा धूल और पराग कणों जैसे एलर्जी पैदा करने वाली चीजों के संपर्क में आने की वजह से होता है। एलर्जी के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में बता रहे हैं लखनऊ के होमौपैथी के डॉक्टर अमन तिवारी-
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नाक की एलर्जी मुख्य तौर पर दो तरह की होती है। पहली मौसमी, जो साल में किसी खास वक्त के दौरान ही होती है और दूसरी बारहमासी, जो पूरे साल चलती है। दोनों तरह की एलर्जी के लक्षण एक जैसे होते हैं।
नाक की एलर्जी का इलाज करने के लिए तीन तरीके हैं:
जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें लगातार कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए और इसकी अवधि को जितना हो सके, उतना बढ़ाना चाहिए। तीन से चार महीने का अभ्यास आपको एलर्जी से मुक्ति दिला सकता है। शुरू में आप कपालभाति 50 बार करें। इसके बाद धीरे-धीरे रोजाना 10 से 15 बार इसे बढ़ाते जाएं।
बारहमासी
पूरे साल के दौरान अगर आप एलर्जी से पीड़ित रहते हैं, तो इसका दोष आपके घर या ऑफिस को दिया जा सकता है। एलर्जी के लक्षणों को कम करने के लिए सबसे बढ़िया तरीका है कि आप अपने घर और ऑफिस को साफ-सुथरा रखें।
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बचाव
- जिन चीजों से आपकी एलर्जी बढ़ जाती है, उन सभी को आप खत्म तो नहीं कर सकते, लेकिन कुछ उपाय करके आप इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। साथ ही, एलर्जी पैदा करने वाले उन तत्वों से बचाव भी संभव है।
- बरसात के मौसम, बादलों वाले मौसम और हवा रहित दिनों में पराग कणों का स्तर कम होता है। गर्म, शुष्क और हवा वाला मौसम वायुजनित पराग कणों और एलर्जी के लक्षणों को बढ़ा सकता है। इसलिए ऐसे दिनों में बाहर कम आएं-जाएं और खिड़कियों को बंद करके रखें।
- अपने बगीचे या आंगन को सही तरीके से रखें। लॉन की घास को दो इंच से ज्यादा न बढ़ने दें। चमकदार और रंगीन फूल सबसे अच्छे होते हैं, क्योंकि वे ऐसे पराग कण पैदा करते हैं, जिनसे एलर्जी नहीं होती।
नाक की एलर्जी के प्रकार
- नाक की बारहमासी एलर्जी के लक्षण मौसम के साथ नहीं बदलते। इसकी वजह यह होती है कि जिन चीजों के प्रति आप एलर्जिक होते हैं, वे पूरे साल रहती हैं।
- जिन लोगों को एलर्जी की समस्या है, उन्हें लगातार कपालभाति का अभ्यास करना चाहिए तीन से चार महीने का अभ्यास आपको एलर्जी से मुक्ति दिला सकता है। पालतू जानवरों की रूसी, छछूंदर के बीजाणु और परजीवियों से भी एलर्जी हो सकती है।
कारण
- एलर्जी आनुवंशिक भी हो सकती है।
- किसी खास पदार्थ के साथ लंबे वक्त तक संपर्क में रहने से भी हो सकती है।
- नाक की एलर्जी को बढ़ाने वाले कारकों में शामिल हैं, सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना, जन्म के समय बच्चे का वजन बहुत कम होना, बच्चों को बोतल से ज्यादा दूध पिलाना, बच्चों का जन्म उस मौसम में होना, जब वातावरण में पराग कण ज्यादा होते हैं।
एलर्जी का इलाज
- सबसे अच्छा तरीका है बचाव। जिन वजहों से आपको एलर्जी के लक्षण बढ़ते हैं, उनसे आपको दूर रहना चाहिए।
- दवा जिनका उपयोग आप लक्षणों को रोकने और इलाज के लिए करते हैं।
- इम्यूनोथेरपी- इसमें मरीज को इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिनसे एलर्जी करने वाले तत्वों के प्रति उसकी संवेदनशीलता में कमी आ जाती है।
- नाक की एलर्जी को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। अगर इसका इलाज न किया जाए, तो इससे साइनस, गला और कान की समस्याएं हो सकती हैं।
कपालभाति है फायदेमंद
बारहमासी एलर्जी से बचाव
- कालीन और गद्देदार फर्नीचर की साफ-सफाई पर खास ध्यान दें।
- ऐसे गद्दों और तकियों के कवर का इस्तेमाल करें जिन पर एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों का असर न होता हो।
- हर हफ्ते अपने बिस्तर को धोएं। इससे चादरों और तकियों के कवर पर आने वाले एलर्जी पैदा करने वाले तत्वों से छुटकारा मिलेगा।
- दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें।