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केजीएमयू के ट्रामा सेन्टर में तेजाब पीड़िताओं का होगा मुफ़्त इलाज

Darakhshan Quadir Siddiqui | Nov 06, 2016, 18:25 IST
KGMU Trauma Centre
लखनऊ। समाज में महिलाओं पर तेजाब डालकर उनका चेहरा और जिस्म बर्बाद करना आम बात हो गयी है आए दिन किसी न किसी के साथ ऐसी वारदात हो जाती है। ऐसे में एसिड अटैक पीड़िताओं को दोहरे दर्द से होकर गुजरना पड़ता है। एक तो तेजाब की जलन और दूसरा उनको इलाज पर होने वाले महंगे खर्च का दर्द सहन करना पड़ता है, लेकिन अब एसिड पीड़िताओं को दर-दर भटकना नहीं पड़ेगा।

केजीएमयू के ट्रामा सेन्टर में रानी लक्ष्मीबाई महिला सम्मान कोष के तहत हेल्पडेस्क खोली गई है। एसिड पीड़िता को सरकार की ओर से मुफ्त इलाज दिया जाएगा। साथ ही किसी भी बीमारी से पीड़ित उन महिलाओं का इलाज मुफ्त किया जाएगा जो महिलाएं विधवा पेंशन, समाजवादी पेंशन आसाध्य व दिव्यांग पेशन के अर्न्तगत आती हैं। इन महिलाओं को एक ही छत के नीचे केजीएमयू में मुफ्त इलाज दिया जाएगा।

प्रदेश सरकार ने यह पहल एसिड पीड़िताओं के मुफ्त इलाज के लिए की है। एसिड पीड़िताओं को अबतक इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता था। इसके साथ ही मुआवजा लेने के लिए भी उन्हें चप्पले घिसनी पड़ती थीं, जिसके कारण कई बार परिवार वालों को अपना सबकुछ बेचकर इलाज कराना मजबूरी हो जाती है। कई परिवार तो इलाज कराने में असमर्थ होने पर अपने आपको बेबस और लाचार महसूस करने लगते हैं और कोई गलत कदम उठाने में गुरेज नहीं करते हैं। इन सारी परेशानियों को देखते हुए सरकार ने रानी लक्ष्मी बाई सम्मान कोष हेल्पडेस्क बनाई है।

एसिड पीड़िताओं का इलाज उनके जलने की प्रतिशतता पर निर्भर करता है। सर्जरी भी करनी पड़ती है ऐसे में तीस हजार से लेकर चार लाख तक का खर्चा आता है। एसिड पीड़िताओं की कई बार आंखों को भी नुकसान पहुंच जाता है ऐसे में उन पर आने वाला खर्च और बढ़ जाता है।
प्रो. एके सिंह, प्रमुख, केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभाग

एसिड पीड़िताओं का इलाज महंगा

सामान्य मामलों में एसिड पीड़िताओं पर चार से पांच लाख तक का खर्च आता है। इनका इलाज काफी महंगा होता है। लगभग दो वर्ष पहले सरकार को इन महिलाओं के इलाज के लिए करीब 70 करोड़ का बजट दिया गया था।

यूपी की पहली हेल्पडेस्क ट्रॉमा में

पूरे उत्तर प्रदेश में अब तक रानी लक्ष्मी बाई हेल्पडेस्क ट्रामा सेंटर में खुला एक मात्र ऐसा डेस्क है जो इन महिलाओं के मुफ्त इलाज के लिए काम करेगा। इसके साथ जो महिलाएं पेंशन धारक हैं और इलाज के लिए इधर-उधर भटकती रहती हैं। उनका भी मुफ्त इलाज किया जाएगा। इसके अलावा बंदी सुधार ग्रह, वृद्धा आश्रम दिव्यांग आदि महिलाओं को भी दिया जाएगा। इन महिलाओं को उनके आश्रम से बने आइकार्ड के बाद उनका राजिस्ट्रेशन कर उन्हें इलाज के लिए एक गुलाबी कार्ड दिया जाएगा। इस कार्ड के अर्न्तगत महिलाएं किसी भी रोग का इलाज मुफ्त में करा सकेगी। इसके अलावा साधारण वर्ग की महिलाओं को यह सुविधा उनके बैंक पास बुक के आधार पर दी जाएगी। यदि वह विधवा, दिव्यांग, आसाध्य और समाजवादी पेंशन में से किसी एक की भी लाभार्थी है तो उनको इस योजना के तहत मुफ्त में इलाज दिया जाएगा।

तेजाब से खराब हुआ चेहरा बनाया जा सकता है सुन्दर

चेहरे पर तेजाब फेंककर किसी की जिन्दगी बर्बाद कर देना आम बात हो गयी है। ऐसे में एसिड पीड़ित महिलाओं को अपने उसी चेहरे के साथ सारी उम्र रहना पड़ता है, लेकिन मेडिकल साइंस ने इस पर काफी शोध कर इन महिलाओं के चेहरे को कॉस्मेटिक सर्जरी से ठीक करके जिन्दगी जीने की नयी प्रेरणा देते हैं। 19वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस के अवसर पर यह सारी बातें रांची से आयी कॉस्मेटिक चिकित्सक एमडी डॉ. सुमन दुबे ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में कही। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों में विशेषकर तेजाब द्वारा चेहरों की गयी विकृतियों पर अपना विशेष शोध-कार्य प्रस्तुत किया एवं अनेकों ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए जो इस सम्बन्ध में होने वाली घटनाओं के प्रतिकार के रूप में विशेष आकर्षक हो सकते हैं।

19वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के द्वितीय दिवस का उद्घाटन प्रबन्ध सचिव महामंत्री प्रो. जेएन मिश्रा ने इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान गोमतीनगर लखनऊ में किया। इस अवसर पर देश-विदेश से आए डॉक्टरों ने अपने-अपने शोध कार्यों पर चर्चा की। यूएसए से आए डॉक्टर एनटोनियो एनडारे मीनियर सिंड्रोम जोकि एक प्रकार का बधिर रोग है पर कहा कि इस रोग के कारण तम्बाकू, सिगरेट आदि है और अनेकों रोगियों को जो शल्य चिकित्सा से ठीक नहीं हुए हैं उनको आयुर्वेद चिकित्सा से लाभ पहुंचाया है।

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