उम्र के साथ साथ बढ़ रही मानसिक बीमारियां

Deepanshu MishraDeepanshu Mishra   26 March 2017 3:16 PM GMT

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उम्र के साथ साथ बढ़ रही मानसिक बीमारियांबुजुर्गों में एक उम्र के मानसिक बीमारियां लगातार बढ़ जाती हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। अंबिका प्रसाद त्रिवेदी (75 वर्ष) पिछले कुछ महीने से अपने घरवालों पर बिगड़ जाते हैं, वो अपनी बातों को ही भूल जाते हैं। लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 35 किमी. दूर बीकेटी ब्लॉक के भगौतापुर गाँव के रहने वाले अंबिका प्रसाद त्रिवेदी अकेले की ये परेशानी नहीं है। बुजुर्गों में एक उम्र के मानसिक बीमारियां लगातार बढ़ जाती हैं। मानसिक बीमारियों में मुख्य रूप से अवसाद और दूसरी मुख्य मानसिक बीमारी डिमेंसिया, जो कि याददाश्त कमजोर होने की बीमारी है।

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केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष एससी तिवारी बताते हैं, ‘’समय बढ़ने के साथ-साथ बुजुर्गों में सब कुछ बदल जाता है। 45 वर्ष की उम्र तक लोगों में विकास होता है, लेकिन मानसिक और शारीरिक विकास लगभग 20 वर्ष की उम्र तक ही होता है। आगे का सम्पूर्ण विकास सीखने और अनुभव से होता है।’’ आगे बताया, ‘’45 वर्ष की उम्र के बाद शरीर में कई प्रकार की बीमारियां आ जाती हैं, जैसे हड्डी की बीमारियां, दिल की बीमारियां, जोड़ों की बीमारियां और इन सब से हटके सबसे बड़ी बीमारी मानसिक होती है, जिससे व्यक्ति में चिड़चिड़ापन आ जाता है। इस मानसिक बीमारी के कारण बुजुर्गों में भूलने के साथ साथ नशे की आदत और कई प्रकार की मानसिक बीमारी उसके ऊपर हावी हो जाती है। वर्तमान में सबसे बड़ा कारण अकेलापन है।

बुजुर्गों को मानसिक बीमारियों से बचने के लिए सबसे पहले उन्हें जागरूक होने की जरुरत है। इस बीमारी को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह एक बड़ी बीमारी है।ज्यादा से ज्यादा व्यायाम करने की जरुरत है।
डॉ एससी तिवारी, विभागाध्यक्ष, मानसिक स्वास्थ्य विभाग, केजीएमयू

महिलाएं ज्यादा जोखिम में

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2020 तक अवसाद सबसे व्यापक रूप से प्रचलित स्वास्थ्य की स्थिति में दूसरे स्थान पर होगा। बुज़ुर्गों में अवसाद के लक्षणों का पता लगाना मुश्किल है क्योंकि इन लक्षणों को बढ़ती उम्र के लक्षण मानकर नज़र अंदाज़ कर देते अवसाद-ग्रस्त बुज़ुर्ग आबादी 16.5 प्रतिशत है, जिसमें महिलाएँ पुरुषों की तुलना में ज्यादा ज़ोखिम में है।

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