कहीं आप भी तो नहीं मोटापे का शिकार, भारत में हर दिन 100 से ज़्यादा लोग सर्जरी कराने पर मज़बूर

Anusha MishraAnusha Mishra   26 July 2017 1:14 PM GMT

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कहीं आप भी तो नहीं मोटापे का शिकार, भारत में हर दिन 100 से ज़्यादा लोग सर्जरी कराने पर मज़बूरबैरिएट्रिक सर्जरी।

लखनऊ। मोटापे की समस्या बहुत तेज़ी से बढ़ती जा रही है। आंकड़ों के मुताबिक, 2014 में दुनिया में 18 साल से ऊपर की 39 प्रतिशत महिलाएं और 38 प्रतिशत पुरुष बढ़ते वज़न की समस्या से ग्रस्त थे। इनमें से 15 प्रतिशत महिलाएं और 11 प्रतिशत पुरुष ओबेसिटी का शिकार हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ समय में वज़न घटाने के लिए सर्जरी कराने के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है।

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के बैरिएट्रिक सर्जन हर दिन 100 वजन घटाने की 100 से ज़्यादा सर्जरी कर रहे हैं। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, कर्नाटक, बंगलुरू, इंदौर, केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश इसके लिए सबसे पंसदीदा जगह हैं।

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दिल्ली और एनसीआर इस मामले में सबसे आगे है। यहां हर दिन 100 में से लगभग 15 बैरिएट्रिक सर्जरी होती हैं लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी भारत के अस्पताल भी इस दिशा में तेज़ी से पकड़ बना रहे हैं।

एचबीआईएलटी ओबेसिटी ग्रुप के लेप्रोस्कोपिक और बेरिएट्रिक सर्जन व सीनियर कंसल्टेंट डॉ. कपिल अग्रवाल के मुताबिक, देश में 5 प्रतिशत लोग विकृत मोटापे का शिकार हैं और 4 प्रतिशत लोग मोटापे के कारण होने वाली दूसरी बीमारियों जैसे टाइप टू डायबिटीज, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, ऑस्टियोआर्थराइटिस, गठिया, सांस की समस्या, स्लीप एप्निया और अस्थमा का शिकार हैं। वह बताते हैं कि आसान और सुलभ तकनीक ने इस तरह की सर्जरी को सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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भारत में अफगानिस्तान, इराक, दुबई और कुछ अफ्रीकन देशों से लोग वेट लॉस सर्जरी कराने आ रहे हैं। भारत में चार तरह की बैरिएट्रिक सर्जरी होती हैं - स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी यानि वज़न घटाने की शल्य क्रिया, गैस्ट्रिक बाईपास, मिनी गैस्ट्रिक बाईपास, गैस्ट्रिक बैंडिंग। इसमें से कौन सी सर्जरी की जाएगी ये मरीज़ की हालत पर निर्भर करता है।

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स्लीव गैस्ट्रेक्टॉमी इसका सबसे कॉमन सर्जरी है जबकि गैस्ट्रिक बाइपास को अच्छे रिज़ल्ट के लिए जाना जाता है, खासकर गंभीर रोगों और डायबिटीज के लिए। वे लोग जो सिर्फ 10- 12 किलोग्राम वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए गैस्ट्रिक बलूनिंग भी एक विकल्प है। ये एक नॉन सर्जिकल प्रक्रिया है जो एंडोस्कोपी के ज़रिए होती है। इसमें रोगी को उसी दिन अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।

       

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