बहुत लंबे समय तक बैठे तो मौत का बढ़ जाएगा जोखिम : अध्ययन
Sanjay Srivastava | Sep 12, 2017, 15:48 IST
न्यूयॉर्क (भाषा)। एक से दो घंटे तक लगातार बैठे रहने वाले व्यक्तियों में, उन लोगों की तुलना में जल्दी मरने का खतरा ज्यादा होता है, जो थोड़ा-थोड़ा करते उतनी ही देर तक बैठते हैं, एक अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है।
अध्यययन में पाया गया है कि यह केवल एक साथ लंबे समय तक बैठे रहने की बात नहीं है, बल्कि यह इस पर भी निर्भर करता है कि दिन में ज्यादातर समय आप किस तरह बैठकर गुजारते हैं। अध्ययन करने वालों ने पाया कि एक या दो घंटे तक बिना हिले-डुले बैठे रहने वाले वयस्कों में, उन लोगों की तुलना में मृत्यु-दर अधिक होती है, जो थोड़े-थोड़े समय के लिये लंबे समय तक बैठते हैं।
अमेरिका में कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (सीयूएमसी) के सहायक शोध वैज्ञानिक कीथ डियाज ने कहा, हम बैठने के तरीकों के बारे में सोचते हैं कि हम प्रत्येक दिन कितना बैठते हैं, अन्नल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की प्रमुख शोधार्थी डियाज ने कहा, लेकिन पिछले अध्ययनों में बैठने के तरीकों पर सुझाव दिया गया, चाहे कोई व्यक्ति थोड़े थोड़े समय के लिए या लंबे समय तक बैठता हो, उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में 45 साल से अधिक उम्र के 7985 श्वेत एवं अश्वेत लोगों को शामिल किया और लगातार सात दिनों तक उनके बैठने की गतिविधियों पर नजर रखी।
अध्यययन में पाया गया है कि यह केवल एक साथ लंबे समय तक बैठे रहने की बात नहीं है, बल्कि यह इस पर भी निर्भर करता है कि दिन में ज्यादातर समय आप किस तरह बैठकर गुजारते हैं। अध्ययन करने वालों ने पाया कि एक या दो घंटे तक बिना हिले-डुले बैठे रहने वाले वयस्कों में, उन लोगों की तुलना में मृत्यु-दर अधिक होती है, जो थोड़े-थोड़े समय के लिये लंबे समय तक बैठते हैं।
अमेरिका में कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर (सीयूएमसी) के सहायक शोध वैज्ञानिक कीथ डियाज ने कहा, हम बैठने के तरीकों के बारे में सोचते हैं कि हम प्रत्येक दिन कितना बैठते हैं, अन्नल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की प्रमुख शोधार्थी डियाज ने कहा, लेकिन पिछले अध्ययनों में बैठने के तरीकों पर सुझाव दिया गया, चाहे कोई व्यक्ति थोड़े थोड़े समय के लिए या लंबे समय तक बैठता हो, उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन में 45 साल से अधिक उम्र के 7985 श्वेत एवं अश्वेत लोगों को शामिल किया और लगातार सात दिनों तक उनके बैठने की गतिविधियों पर नजर रखी।