तनावों को दूर भगाकर ऐसे बनें मानसिक रुप से स्वस्थ

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तनावों को दूर भगाकर ऐसे बनें मानसिक रुप से स्वस्थमानसिक तनावों से बचे।

आजकल मानसिक तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है। ज्यादातर लोग इससे परेशान हैं और खुदकुशी की वारदातें भी बढ़ गई हैं। लोग एक दूसरे के प्रति ईष्या, घृणा, जलन आदि भाव रखते हैं। परन्तु इससे ज्यादा तकलीफ खुद को ही होती है। दूसरों को नुकसान पहुंचाकर और मन में गलत भावना रखकर इंसान खुद भी खुश नहीं रह सकता इसके लिए जरूरी है—

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  • अपनी तुलना दूसरों से न करें, जो आपके पास है वह हो सकता है, दूसरों के पास न हो और जो उसके पास है वह आपके पास न हो। हर एक को सबकुछ नहीं मिलता। मुकम्मल जहां हर किसी को नहीं मिलता। जो नहीं है उस पर ज्यादा ध्यान होता है और जो हैं उसका महत्व नहीं है।
  • अपनी इज्जत करिए जो व्यक्ति अपनी इज्जत नहीं करता वह दूसरों की इज्जत भी नहीं कर सकता। अपने अंदर सिर्फ बुराइयां न खोजें, अच्छाईयों को पहचानें। सुंदरता अंदर से होनी चाहिए, आपकी त्वचा, लंबाई, चौड़ाई, अमीरी, गरीबी जाति से कुछ नहीं होता।
  • अपनी सोच को बदलें, हालात जिम्मेदार नहीं होते। हमारी सोच ही हमारे उत्थान और पतन के लिए जिम्मेदार है। एक जैसे हालात ही में व्यक्ति कामयाब होता है और दूसरा नहीं। दूसरों का या हालात को जिम्मेदार न ठहराएं, अपनी सोच को बदलें। कामयाबी सोच देखती है, हालात के आगे घुटने न टेकें।
  • अपने शरीर का ध्यान रखें, अच्छा खाना, अच्छा व्यायाम , अच्छी नींद, ज्यादातर रोगों को दूर भगा देती है।
  • कभी- कभी कुछ अलग करें जैसे घूमना फिरना, दोस्तों से मिलना आदि।
  • अपनी ताकत और समय अच्छे काम काम और अच्छे लोगों के साथ लगाएं। किसी की मदद करने से मस्तिष्क में बहुत अच्छे रसायन निकलते हैं जो हमें अच्छा महसूस कराते हैं।
  • तनाव को झेलने की क्षमता बेहतर करें। सबसे अच्छा तरीका है कि तनाव पर ध्यान न देकर उसके हल पर ध्यान दें। मुसीबत पर नहीं उसके समाधान पर ध्यान दें।
  • अपना समय अच्छे कार्यों पर खर्च करें, समय बर्बाद न करें।
  • छोटे- छोटे कामों से खुश रहने की कोशिश करें। खुशी 10 रुपए का सामान खरीदकर भी मिल सकती है। उसके लिए 100 रुपए खर्च करना जरूरी नहीं है। दिन में एक या आधा घंटा उस काम को अवश्य दें जो आपको अच्छा लगता हो।

लेखन-मनोरोग विशेषज्ञ हैं।

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