मुंह के कैंसर से बचना है तो मुंह में झांकिए

Deepanshu Mishra | Feb 04, 2018, 10:42 IST

लखनऊ। ओरल कैंसर भारत में एक बड़ी समस्या है, देश में शीर्ष तीन प्रकार के कैंसर में इसका स्थान है। इस कैंसर के बारे में पूरी जानकारी दी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ यूएस पाल ने।

मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ यूएस पाल ने बताया, ''जब शरीर के ओरल कैविटी के किसी भी भाग में कैंसर होता है तो इसे ओरल कैंसर कहा जाता है। ओरल कैविटी में होंठ, गाल, लार ग्रंथिया, कोमल व हार्ड तालू, यूवुला, मसूडों, टॉन्सिल, जीभ और जीभ के अंदर का हिस्‍सा

आते हैं। इस कैंसर के होने का कारण ओरल कैविटी के भागों में कोशिकाओं की अनियमित वृद्धि होती है। ओरल कैंसर होने का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है।''

ओरल कैंसर आज हमारे देश की एक प्रमुख समस्या के रुप में बीमारी उभरी है सबसे ज्यादा पुरुषों में पाया जाता है इसका मुख्य कारण पान मसाला तंबाकू बीड़ी सिगरेट का प्रयोग करना है एल्कोहल भी इसका कारण है। ओरल कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है। सभी का योगदान बहुत जरुरी है। तबाकू में करीब पांच सौ तरीके के हानिकारक तत्व होते हैं जिनमें से 50 ऐसे हैं जिन्हें हम कार्सिनोजन है।

ओरल कैंसर में शुरुआत में दर्द रहित होता है जिसकी वजह से इसे पहचाने में देर हो जाती है इसके लिए अपने दांत के लिए सचेत रहें। दांत के डॉक्टर को विशेष रूप से बताया जाये कि किसी भी मरीज में कोई भी ओरल कैंसर का मरीज आते है या उसके लक्षण दीखते हैं तो उसे मुंह के कैंसर के विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाये।

जर्नल ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च के अनुसार भारत में हर एक लाख लाख की आबादी में हर बीसवाँ आदमी मुँह के कैन्सर से ग्रस्त है, जिसमें 30 प्रतशित आबादी सब तरह के कैन्सर से पीड़ित है। कैन्सर की वजह से भारत में हर एक घंटे में पांच से ज़्यादा व्यक्ति की मौत हो जाती है। भारत में कहीं कैन्सर पंजीकृत नहीं होता है इसलिए इससे ग्रस्त मामले ओर भी ज़्यादा हो सकते है।

2012 के आँकड़ों के मुताबिक़ भारत में मुँह का कैन्सर से 23161 महिलाएं और 53842 पुरुष ग्रस्त हैं। ऐसा माना जाता है की मुँह का कैन्सर सिर्फ़ बुज़ुर्गों में होता है पर ज़्यादातर कैन्सर 50-70 उम्र में होता है। ये 10 वर्ष के बच्चे को भी हो सकता है। हर तरह की उम्र को देखते हुए ये सबसे ज्यादा आदमियों को प्रभावित करता है। सबसे ज़्यादा कैन्सर दक्षिण भारत की महिलाओं देखा जा सकता है क्योंकि वो तम्बाकू बहुत चबाती है।

शरीर के किसी भी हिस्से में शारीरिक बदलाव व्यक्ति आराम से पहचान लेता है लेकिन मुंह का खुद से परीक्षण लोग नहीं करते हैं। ये बहुत ज्यादा गलत चीज है, जो कि बहुत आवश्यक है। जैसे लोग शीशे में अपना मुंह देखते हैं ठीक उसी प्रकार से अपने मुहं के अन्दर भी देखें अपनी जीभ को देखें अपने दांतों को देखें गाल को देखें अपनी ऊँगली से महसूस करने का प्रयास करें। कोई भी बदलाव हो तो उसे नजरअंदाज न करें उसे नोट करें। दांत के डॉक्टर के पास जाकर सारी समस्याएं उसे बताएं।

पान मसाला खाने से जो आनन्द प्राप्त होता है उसको सीखने की जरुरत हमें नहीं होती है। स्वभाव वश दूसरों को दिखाने के चक्कर में शुरू कर देते हैं। एक हफ्ते किसी को एक चीज का सेवन करा दिया जाये तो उसकी आदत पड़ जाती है।

ओरल कैंसर में इसके शुरूआती दौर में आपको ऐसा लगता है कि मुंह में आपकी खाल सफ़ेद हो रही है, मुंह में लचीलापन खत्म हो गया है खाने पर आपके लगता है मुंह में कोई गाँठ पड़ गयी है तो तुरंत डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।

बीमारी के होने की दशा में इसका इलाज भी उपलब्ध है घबराने की कोई जरुरत नहीं है शीघ्र ही इसका उपचार करवाएं। इसका इलाज तीन तरीके से किया जाता है ऑपरेशन किया जाता है, सेकाई की जाती है और कीमोथेरेपी की जाती है।

कैसे होता है ओरल कैंसर-

1. स्मोकिंग-सिगरेट, सिगार, हुक्का, इन तीनों चीज़ों के आदी लोगों को एक नॉनस्मोकर के मुकाबले माउथ कैंसर होने का 6 फीसदी ज्यादा खतरा होता है।

2. तंबाकू-माउथ कैंसर होने का खतरा तंबाकू सूंघने, खाने या चबाने वाले लोगों को उनकी तुलना में 50 फीसदी ज्यादा होता है, जो तंबाकू यूज़ नहीं करते। माउथ कैंसर आम तौर पर गाल, गम्स और होंठों में होते हैं।

3. एल्कोहल-शराब पीने वालों को माउथ कैंसर होने का खतरा बाकी लोगों से 6 फीसद ज्यादा होता है।

4. हिस्ट्री-जिन लोगों के परिवार में पहले किसी को माउथ कैंसर रहा हो, ऐसे लोगों को इस कैंसर का ज्यादा खतरा होता है।

ओरल कैंसर के कई कारण जैसे, तम्‍बाकू (तंबाकू, सिगरेट, पान मसाला, पान, गुटखा) व शराब का अधिक तथा ओरल सेक्स व मुंह की साफ-सफाई ठीक से न करना आदि हैं। इसकी पहचान के लिये डॉक्टर होठों, ओरल कैविटी, फारनेक्स (मुंह के पीछे, चेहरा और गर्दन) में शारीरिक जांच कर किसी प्रकार की सूजन, धब्बे वाले टिश्यू व घाव आदि की जांच करता है।

कोई भी जख्म या अल्सर आदि मिलने पर उसकी बायोप्सी की जाती है, इसके बाद एंडोस्‍कोपिक जांच, इमेजिंग इन्वेस्टिगेशन्स (कम्प्यूटिड टोमोग्राफी अर्थात सीटी), मैगनेटिक रिसोनेन्स इमेजिंग (एमआरआई) और अल्ट्रासोनोग्राफी आदि की मदद से कैंसर की स्टेजेज का पता लगाया जाता है। इसका उपचार हर मरीज के लिए अलग हो सकता है।

ओरल कैंसर के लक्षण

1-बिना किसी कारण नियमित बुखार आना।

2-थकान होना, सामान्‍य गतिविध करने से थक जाना।

3-गर्दन में किसी प्रकार की गांठ का होना।

4-ओरल कैंसर के कारण बिना कारण वजन का कम होता रहता है।

5-मुंह में हो रहे छाले या घाव जो कि भर ना रहे हों।

6-जबड़ों से रक्त का आना या जबड़ों में सूजन होना।

7-मुंह का कोई ऐसा क्षेत्र जिसका रंग बदल रहा हो।

8-गालों में लम्बे समय तक रहने वाली गांठ।

9-बिना किसी कारण लम्बे समय तक गले में सूजन होना।

10-मरीज की आवाज में बदलाव होना।

11-चबाने या निगलने में परेशानी होना।

12-जबड़े या होठों को घुमाने में परेशानी होना।

13-अनायास ही दांतों का गिरना।

14-दांत या जबड़ों के आसपास तेज दर्द होना।

15-मुंह में किसी प्रकार की जलन या दर्द।

16-ऐसा महसूस करना कि आपके गले में कुछ फंसा हुआ है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

Tags:
  • स्वास्थ्य
  • Cancer Patients
  • कैंसर के कारण
  • कैंसर से बचाव
  • ओरल कैंसर
  • World Cancer Day