विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: मानसिक रोगों का इलाज संभव, समय पर डॉक्टर से लें सलाह

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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस:  मानसिक रोगों का इलाज संभव, समय पर डॉक्टर से लें सलाहमानसिक बीमारी के इलाज के लिए डॉक्टर से लें सलाह

लखनऊ। पूरी दुनिया में हज़ारों-लाखों लोग मानसिक रोगों के शिकार होते हैं और इसका असर उनके साथ साथ उनके पूरे परिवार पर पड़ता है। देखा गया है कि हर चौथे इंसान को कभी-न-कभी मानसिक रोग होता है। दुनिया-भर में इस रोग की सबसे बड़ी वजह है, निराशा।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मानसिक रोगों के शिकार बहुत-से लोग इलाज करवाने से कतराते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग उनके बारे में न जाने क्या सोचेंगे। मानसिक रोगों से जुड़ी एक संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अमेरीका में 8 से 15 की उम्र के जिन बच्चों को मानसिक रोग था, उनमें से करीब 50 प्रतिशत बच्चों का इलाज नहीं करवाया गया। और 15 से ऊपर की उम्र के करीब 60 प्रतिशत लोगों का इलाज नहीं हुआ।

मानसिक रोग क्या है?

जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं और व्यवहार पर काबू नहीं रहता, तो ऐसी हालत को मानसिक रोग कहते हैं। मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे रोज़मर्रा के काम ठीक से करने में मुश्किल होती है।

मानसिक रोग के लक्षण, हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं। ये इस बात पर निर्भर करते हैं कि उसे कौन सी मानसिक बीमारी है। मानसिक रोग किसी को भी हो सकता है, फिर चाहे वह आदमी हो या औरत, जवान हो या बुज़ुर्ग, पढ़ा-लिखा हो या अनपढ़, या चाहे वह किसी भी संस्कृति, जाति, धर्म, या तबके का हो। अगर मानसिक रोगी अच्छी तरह अपना इलाज करवाए, तो वह ठीक हो सकता है। वह एक अच्छी और खुशहाल ज़िंदगी जी सकता है। लेकिन ज्यादातर केस में लोग काउंसलिंग करवाने से डरते हैं कि लोग उन्हें पागल समझेंगे और समस्या बढ़ जाती है।
डॉ. विवेक अग्रवाल, मनोचिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ- केजीएमयू, लखनऊ

मानिसक रोग कई तरह के होते हैं, तनाव, डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, गुस्सा ये सभी इसी के अंतर्गत आते हैं।

तनाव

तेज़ी से बदलते माहौल में हमारे शरीर और मन पर जो असर पड़ता है, उसे तनाव कहते है। तनाव दो तरह का होता है। पहला – अच्छा तनाव और दूसरा – बुरा तनाव। जहां अच्छे तनाव की वजह से आप अपनी नौकरी में प्रमोशन पाते है, वहीं बुरे तनाव में आप किसी से गुस्से में बहस कर लेते है।

परिवार, पैसा, काम और स्कूल - ये तनाव के सामान्य कारण है।

तनाव के लक्षण

  1. सिरदर्द व पीठदर्द
  2. नींद न आना
  3. गुस्सा और हताश होना
  4. किसी एक चीज़ पर ध्यान न लगा पाना
  5. रोना
  6. दूसरों को नज़रअंदाज़ करना

कैसे निपटें

नियमित रूप से 20 से 30 मिनट शारीरिक व्यायाम (चलना, दौड़ना या उठना बैठना) करें। इससे आपके दिमाग को सोचने का वक्त मिलेगा। मेडिटेशन कीजिए (ध्यान लगाइए) राहत भरा संगीत सुनिए। 10-20 मिनट तक आंखें बंद करके शांति का अनुभव कीजिए। गहरी सांस लीजिए। दिमाग को शांत करें, और तनाव भरी बातें दिमाग से निकाल दें। अख़बार पढ़िए या किसी से बात कीजिए। अपनी भावनाओं को कागज़ पर लिखने से, या किसी से बात करने पर आप ये जान पाएंगे कि आपके तनाव के कारण क्या है।

छोड़ दें ये बुरी आदतें

देर तक सोना तनाव की शुरुआत आपकी सुबह से ही हो सकती है अगर आप रोज देर से सोकर उठते हैं। डॉक्टर भी मानते हैं कि देर से उठने वाले लोगों का मेटाबॉलिज्म ठीक नहीं रहता है जिससे उन्हें थकान, तनाव और उदासीनता अधिक सताती है। शोधों में भी यह माना गया है कि देर से उठने वाले लोग अक्सर सुबह का नाश्ता छोड़ते हैं जिससे उनका बॉडी साइकिल गड़बड़ होता है और वे जल्द तनावग्रस्त होते हैं। घंटों टीवी देखना आपको तनाव और अवसाद की स्थिति तक पहुंचाने के लिए काफी है। बजाय घंटों तक टीवी देखने के आप अपना समय परिवार के साथ बिताएंगे या सैर करेंगे तो तनाव से कोसों दूर रहेंगे। धूम्रपान आपका तनाव बढ़ाती है। धूम्रपान से धड़कन तेज हो जाती है जिससे तनाव बढ़ता है।

डिप्रेशन

डिप्रेशन एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीज आपके आस-पास सबसे ज्यादा नजर आते हैं। आज की तारीख में आम बीमारियों में से एक है डिप्रेशन। बच्चे, जवान और बूढ़े हर तबके के लोग इस बीमारी के शिकार हैं। कारण सबका अलग-अलग हो सकता है पर लक्षण लगभग एक जैसे ही हैं।

क्या है डिप्रेशन-

दरअसल डिप्रेशन एक डिसऑर्डर है, जिसमें उदासी की भावना किसी इंसान को दो हफ्ते या इससे भी ज्यादा लंबे वक्त तक घेरे रहती है। इससे जिंदगी के प्रति दिलचस्पी कम हो जाती है। नकारात्मक भावनाएं हावी हो जाती हैं। डिप्रेशन में किसी भी इंसान को अपना एनर्जी लेवल लगातार घटता महसूस होता है। उसकी रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहती।

डिप्रेशन के लक्षण-

  1. लगातार उदासी से घिरे रहना। बेचैनी महसूस करना। किसी न किसी वजह से मूड खराब रहना।
  2. जिंदगी से कोई उम्मीद न होना। घोर निराशा।
  3. अपराध बोध होना, हर टाइम जिंदगी को बोझ मानना और मनपसंद काम न कर पाने की लाचारी महसूस करना।
  4. पसंदीदा कामों में रुचि न रहना।
  5. नींद न आना। तड़के नींद खुल जाना या बहुत ज्यादा नींद आना।
  6. भूख कम लगने से लगातार वजन गिरना। जरूरत से ज्यादा खाने से मोटापा।
  7. मन में सुसाइड के ख्याल आना। खुदकुशी की कोशिश करना।

डिप्रेशन के कारण-

रोग: मानिसक कमजोरी के साथ साथ कुछ लोग अपनी शारीरिक कमजोरी और रोगों के कारण भी अधिक चिंतित रहने लगते है जो धीरे धीरे उनके संतुलन को खराब करने लगती है और ये परेशानी ही उनके अवसाद का कारण बन जाती है।

पारिवारिक समस्याएं: कुछ लोगों के घर में अनेक तरह की समस्या होती है जैसे गरीबी, अशांति, पारिवारिक झगड़ें, धन की कमी आदि। ऐसे लोग हर छोटी छोटी बात पर भी अधिक विचार करने लगते है और उसके पीछे के कारण को खोजने के चक्कर में खुद को एक भयंकर बीमारी का रोगी बना लेते है।

अकेलापन: अकेलापन व्यक्ति के जीवन में बहुत गलत प्रभाव डालता है। आजकल युवा वर्ग में ये कारण अधिक पाया जाता है जब उनका प्रेमी या प्रेमिका उनके साथ धोखा कर देते है तो वो खुद को अकेला महसूस करने लगते है और डिप्रेशन का शिकार हो जाते है।

आनुवांशिक: डिप्रेशन आनुवांशिक भी है। अगर आपके माता पिता आपके जन्म से पूर्व अधिक चिंतित रहते थे तो आपको भी चिंतित रहने की आदत हो सकती है। खासतौर पर आपकी मां, अगर वो आपके गर्भ में होने के समय किसी बात से परेशान रहती थी तो आपका अवसाद से ग्रस्त होना लगभग शत प्रतिशत होता है। इसीलिए गर्भवती स्त्री को खुश रहने की सलाह दी जाती है।

बेरोजगारी: डिप्रेशन के मुख्य कारणों में से एक है बेरोजगारी। ऐसे बहुत से छात्र है जो बड़ी कठिनाइयों और बेजोड़ मेहनत के कारण अपनी शिक्षा को प्राप्त करते है किन्तु उनको अच्छी नौकरी नहीं मिल पाती। शिक्षित होने के कारण ऐसे छात्र मानसिक रूप से मजबूत होते है और वे काफी प्रयास करते है किन्तु उनके अथक प्रयास के बाद भी उन्हें नौकरी नही मिलती तो अंत में वे डिप्रेशन का शिकार हो जाते है।

बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार

लखनऊ की मनोचिकित्सक डॉ मनु अग्रवाल बताते हैं, "एक रिसर्च के मुताबिक स्कूल जाने वाले बच्चों में डिप्रेशन का मामला लगातार ज्यादा देखा जा रहा है। और यही वजह है कि बच्चों में सुसाइड की घटना पहले से बढ़ी है। बड़ी बात ये है कि बच्चों में डिप्रेशन के कारण बहुत छोटे-छोटे होते हैं।" वो आगे बताते हैं, "माता पिता की उम्मीदों पर पढ़ाई में खरे न उतरना। घर में दो बच्चों की तुलना से किसी एक बच्चे में डिप्रेशन आ जाना। मां-बाप के आपसी संबंध ठीक न रहने से बच्चे में डिप्रेशन आ जाना। ये कई मुख्य कारण है बच्चों के डिप्रेशन का।"

महिलाएं ज्यादा शिकार

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को ये परेशानी ज्यादा और जल्दी घर करती है। मोटे अनुमान के अनुसार 10 पुरुषों में एक जबकि 10 महिलाओं में हर पांच को डिप्रेशन की आशंका रहती है। ऐसा माना जाता है कि पुरुष अपना डिप्रेशन स्वीकार करने में संकोच करते हैं जबकि महिलाएं दबाव और शोषण के चलते जल्दी डिप्रेशन में आ जाती हैं।

डिप्रेशन से बचने के उपाय

अच्छे दोस्त बनाएं

अच्छे दोस्त आपको आवश्यक सहानुभूति प्रदान करते हैं और साथ ही साथ अवसाद के समय आपको सही निजी सलाह भी देते हैं।

संतुलित आहार लें

फल, सब्जी, मांस, फलियां, और कार्बोहाइड्रेट आदि का संतुलित आहार लेने से मन खुश रहता है। एक संतुलित आहार न केवल अच्छा शरीर बनता है बल्कि यह दुखी मन को भी अच्छा बना देता है।

बातचीत करें

अपनी समस्याओं के संबंध में बात करना भी तनाव दूर करने का उत्तम जरिया है। हममें से अधिकतर लोग खुद तक ही सीमित रहते हैं। अंदर ही अंदर घुटते रहने से और भी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

अपने लिए समय निकालें

यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप व्यस्तता के बावजूद अपनी जरूरतों और देखभाल के लिए भी कुछ समय निकालें। आराम करने के लिए भी पर्याप्त समय बचा कर रखें।

लिखना शुरू करें

अपनी रोजाना की गतिविधियों और भावनाओं को लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में आपको मदद मिलती है। एक जर्नल या डायरी रखें जिसमे रोजाना लिखें की आप जीवन के बारें में क्या महसूस करते हैं। यह आपके अवसाद को दूर करने में सहायक होगा।

मनोचिकित्सक से सलाह लें

अवसाद को दूर भगाने का सबसे मुख्य और आसान तरीका है कि आप मनोचिकित्सक की सलाह लें । मनोचिकित्सक की सलाह से आपको अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी।

(डॉक्टर अलीम सिद्दकी, मनोरोग चिकित्सक से बातचीत पर आधारित)

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

      

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