बदलते मौसम में बढ़ रही सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की समस्या

Sundar ChandelSundar Chandel   26 Feb 2018 1:11 PM GMT

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बदलते मौसम में बढ़ रही सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की समस्याबढ़ जाते हैं अवसाद के मरीज

दिन गर्म होने लगे हैं, सर्दी एकदम चली सी गई है। इससे मौसम के साथ शारीरिक और मानसिक बदलाव भी आने लगे हैं। कई बार दिन में भी थकान महसूस होने के साथ जीवन में ठहराव सा आने लगा है। काम में मन नहीं लगता, मन सोचता है कि जीवन में कुछ बेहतर नहीं हो रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि अवसाद की यह अवस्था मौसम बदलने पर होती है।

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डॉ. टीवीएस आर्य बताते हैं कि मेडिकल साइंस की भाशा में ऐसी अवस्था को एसडी यानि सीजनल अफेक्टिव डिऑर्डर कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को छोटी सी समस्या बहुत बड़ी दिखाई देने लगती है। जो लोग सर्दी के मौसम में डिप्रेशन में रहते हैं, वे इस मौसम में ज्यादा परेशान हो जाते हैं, उन्हे कुछ भी अच्छा नहीं लगता।

वो आगे बताते हैं कि मेडिकल अस्पताल में ऐसे मरीजों की संख्या सर्दी में ना के बराबर ही रहती है, लेकिन फरवरी के लास्ट व मार्च में रोजाना 50 की संख्या 500 के पार पहुंच जाती है।

डॉ. निरू बताती हैं कि इस समय उनके यहां डिप्रेषन के मरीजों की संख्या रोजाना 200 के पार पहुंच चुकी है। इसमें सभी मरीज एक ही बीमारी यानि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से पीड़ित हैं।

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बच्चे-बड़े सभी शिकार

स्टूडेंट्स पर इस समय एग्जाम का प्रेशर है। इसकी वजह से उन्हे जिंदगी में काफी बोझ दिखाई देता है। डॉ. संदीप सिंह बताते हैं कि सर्दियों के बाद जब अचानक गर्मियां शुरू होती हैं तो बाई पोलर डिस्ऑर्डर भी शुरू हो जाता है। जो गर्मी बढ़ने पर दिखाई देता है। इसी वजह से व्यक्ति को जिंदगी बोझिल सी लगने लगती है।

गर्मी शुरू होते ही इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं खासकर जो लोग किसी मानसिक दबाव में पहले से होते हैं, उनके लिए समस्या ज्यादा रहती है। इससे बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है, यह मौसमी समस्या है। व्यायाम व योग से इसपर काबू पाया जा सकता है।”
डॉ. रवि राणा, वरिष्ठ मनोचिकित्सक

मेडिकल कालेज में उपचार के लिए आए पल्लवपुरम निवासी राकेश (45 वर्ष) बताते हैं कि पिछले एक सप्ताह से मन में निगेटिव विचारों का कब्जा रहता है। हर वक्त अपने आप को फेलियोर समझता रहता हूं।

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अपने 14 वर्ष के बेटे को लेकर मेडिकल पहुंची साक्षी त्यागी बताती हैं कि बेटे के बोर्ड एग्जाम चल रहे हैं, और ये पता नहीं कहां खोया रहता है, बस यही कहता है कि उसे कुछ करने का मन नहीं करता।

क्या हैं लक्षण

मन में हर वक्त उदासी भरी रहती है, शरीर थका-थका सा रहता है, नींद नहीं आती, कमजोरी महसूस होना, हमेसा अकेलापन सा महसूस होना, किसी भी काम में मन का न लगना, मन में बेचैनी व भूख न लगना आदि लक्षण एसएडी बीमारी के लक्षण हैं।

ये हैं उपाय

डॉ. अतुल बताते हैं कि बदलते मौसम में योग, ध्यान व्यायाम का सहयोग लें, खान-पान संतुलित रखें, हरी सब्जियां, दूध व फलों का ज्यादा सेवन करें। रात में भारी खाना न खाएं। मन को स्थिर रखें, जैसा है वैसे में ही खुश रहने की कोशिश करें।

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वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. रवि राणा कहते हैं, “बाई पोलर डिसआर्डर में थकावट के साथ नकारात्मक भावनाओं का अहसास होता रहता है। गर्मी शुरू होते ही इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं खासकर जो लोग किसी मानसिक दबाव में पहले से होते हैं, उनके लिए समस्या ज्यादा रहती है। इससे बिल्कुल घबराने की जरूरत नहीं है, यह मौसमी समस्या है। व्यायाम व योग से इसपर काबू पाया जा सकता है।”

    

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