मौसमी बीमारियों से दूर रखेंगे ये हर्बल नुस्ख़े

Deepak Acharya | Nov 22, 2016, 19:21 IST
हर्बल नुस्ख़े
मौसमी बुखार, सर्दी, खांसी और गले की खराश जैसी समस्याएं इस ठंड के मौसम में बच्चों में खूब देखी जाएगी और ऐसे में मां-बाप का परेशान होना स्वभाविक है। जल्दी समाधान के चक्कर में नौनिहालों को खतरनाक एंटिबायोटिक्स और रसायनयुक्त दवाएं देना घातक भी हो सकता है। तो फिर क्या किया जाए? समाधान दर असल हमारे इर्द-गिर्द ही है और यह समाधान हमारे खानपान में ही है।

प्रतीकात्मक फोटो

पेट की समस्याओं में अपनाएं ये नुस्ख़े

ठंड के दौरान पेट में सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो जाने या संक्रमित भोज्य पदार्थों के सेवन से अक्सर दस्त और हैजा जैसी समस्याओं का सामना कर पड़ सकता है, संक्रमण की वजहों से सर्दी खांसी का होना आम बात होती है। ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पातालकोट के आदिवासी अपने आहार में मुख्य रूप से करेला, मीठी नीम, हल्दी, मेथी को अपनाते है। अक्सर करेला और मेथी की सब्जी पकाई जाती है, माना जाता है कि जो लोग इन सब्जियों को इन दिनों अपने दैनिक आहार का हिस्सा बनाते हैं, जाने अनजाने में भी संक्रमित खाद्य पदार्थों के सेवन के बावजूद भी इन लोगों में किसी तरह का संक्रमण नहीं होता है।

आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार सेंधा नमक, अजवायन, काली मिर्च, अदरख या सोंठ, लहसुन और मुलेठी की समान मात्रा लेकर कुचल लिया जाए और इसमें स्वादानुसार हींग भी मिला लिया जाए। जब मिश्रण तैयार हो जाए तो इसमें आधा नींबु का रस भी मिला लिया जाए और लगभग हर २ घंटे के अंतराल से इस मिश्रण का आधा चम्मच सेवन किया जाए। बदहजमी, पेट दर्द, आंव का निकलना, अम्लता और खट्टी डकारों का आना बंद हो जाएगा। जानकारों के अनुसार भोजन और नाश्ते के पश्चात इस मिश्रण का सेवन ठंड दौर में अवश्य करना चाहिए। आधुनिक विज्ञान के अनुसार लहसुन, सोंठ, काली मिर्च, अजवायन जैसी जड़ी-बूटियों में सूक्ष्मजीवी संक्रमण को भी नष्ट कर देने की क्षमता होती है।

मेथी की पत्तियां खांसी-बुखार में हैं कारगर

बच्चों को खांसी और बुखार हो जाए तो मेथी की ताज़ी हरी भाजी को अधकचा पकाकर अदरक, जीरा का छौंक लगाकर खिलाएं। सूखी खांसी को ठीक करने के लिए बच्चों को दिन में दो बार पके हुए जाम फल खिलाया जाए, बलगम ढीला होकर बाहर निकल आएगा। कई गाँव में आदिवासी कच्चे जाम फल को कोयले में भूनकर जलाते हैं और इसे बच्चों को खिलाते हैं। इससे सर्दी और खांसी में तेजी से आराम मिलता है। आधुनिक विज्ञान की कई शोध रिपोर्ट्स के अनुसार बच्चों को भोजन में हल्दी, लहसुन, सरसों के तेल, धनिया, अजवायन और प्याज आदि का ज्यादा से ज्यादा सेवन कराया जाए, ये सभी खाद्य पदार्थ एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर होते हैं।

भिंडी के बीजों को आदिवासियों द्वारा एकत्र कर सुखाया जाता है और बच्चों को इसका चूर्ण खिलाया जाता है, माना जाता है कि ये बीज प्रोटीनयुक्त होते है और ठंड के मौसम में उत्तम स्वास्थ्य के लिये बेहतर होते हैं। ठंड के दौरान अक्सर बुजुर्गों को अस्थमा की समस्या ज्यादा होने लगती है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में काफी आराम मिलता है। एक गिलास पानी में एक चम्मच लहसुन का रस मिलाएं और इसे तीन महीने तक दिन में दो बार प्रत्येक दिन लगातार दिया जाए तो अस्थमा और रक्त से जुड़े विकारों में काफी राहत मिलती है।

सर्दी-खांसी में लें अदरक, प्याज़ का सिरप

मौसम के बदलते ही सर्दी और खांसी का आगमन सबसे पहले होता है। लगभग 2 कप पानी मे अदरख के छोटे-छोटे टुकड़े और कुछ पत्तियां इमली की डालें और तब तक उबालें जब तक कि ये एक कप न रह जाए। इसमें चार चम्मच शक्कर डालकर धीमी आंच पर कुछ देर और उबालें, फिर ठंडा होने दिया जाए। ठंडा होने पर इसमें 10 बूंदे नींबू रस की डाल दी जाए, हर तीन घंटे में इस सिरप का एक बार सेवन करने से खांसी छू-मंतर हो जाती है।

समान मात्रा में शहद और कच्चे प्याज का रस (लगभग एक चम्मच) मिलाकर 3 से 4 घंटे के लिये किसी अंधकारमय स्थान पर रख दिया जाए, बाद में इसका सेवन किया जाए, यह खांसी की दवाई के रूप में सटीक कार्य करता है। सर्दी-खांसी के इलाज के लिए पातालकोट के करेयाम गांव के आदिवासी बाजरे के आटे से तैयार रोटी बनाते हैं। इस रोटी को लहसुन, बैंगन और मेथी दाने की सब्जी के साथ खाते हैं। इनका मानना है कि ऐसा भोजन पेट में गरमी लाता है और इसका सीधा असर सर्दी और खांसी के सफ़ाये में होता है।

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