महिलाओं में दिखें ये लक्षण तो हो सकता है सर्वाइकल कैंसर, ऐसे करें बचाव
भारत में जागरुकता और इलाज की कमी की वजह से यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है। महिलाओं को इस बीमारी के इलाज की जानकारी भी नहीं होती है
गाँव कनेक्शन 5 Feb 2019 11:13 AM GMT
दुनिया भर में सवाईकल कैंसर से हर साल लाखों महिलाओं की मौत असमय जो जाती है। 21 से 50 साल की महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। डॉक्टरों ने सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए एक वैक्सीन विकसित की है जिसे एचपीवी वैक्सीन कहते हैं। इसे 11 से 12 साल की उम्र में बच्चियों को लगाया जाता है।
भारत में जागरुकता और इलाज की कमी की वजह से यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है। महिलाओं को इस बीमारी के इलाज की जानकारी भी नहीं होती है। इसे बच्चादानी, गर्भाशय या फिर यूट्राइन सर्विक्स कैंसर भी कहा जाता है। सर्वाइकल कैंसर हृयूमन पैपीलोमा वायरस के कारण होता है।
बीबीडी, लखनऊ के रेडियोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉक्टर नीता मिश्रा का कहना है, " एचपीवी का संक्रमण आम है। यह त्वचा के संपर्क और शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से फैलता है। 25 से 70 साल की सभी महिलाओं को पैप स्मीयर जांच की जरूरत होती है। इससे काफी हद तक बीमारी की जानकारी मिल जाती है। धूम्रपान से सर्वाइकल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। 25 साल के बाद महिलाओं ये सारी जांच करा लेनी चाहिए।"
फरवरी में विश्व कैंसर दिवस से पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कैंसर एजेंसी, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) द्वारा जारी रिपोर्ट अनुसार, भारत में 2022 में 14.13 लाख से अधिक नए कैंसर के मामले और 9.16 लाख मौतें हुईं।
सबसे ज़्यादा मामले स्तन कैंसर 1,92,020 नए मामलों (26.6 प्रतिशत), इसके बाद 1,27,526 सर्वाइकल कैंसर के मामले (17.7 प्रतिशत) थे।
वैक्सीन महंगी होने के कारण ज्यादातर निजी डॉक्टर ही इस वैक्सीन का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन कुछ सरकारी अस्पतालों में भी यह टीके मौजूद हैं। इस वैक्सीन को तीन चरणों में लगाया जाात है। यह वैक्सीन एक से छह महीने में लगाई जाती है। ज्यादा लोगों में इस वैक्सीन के बारे में जागरुकता नहीं है। बहुत कम ही लोग इस वैक्सीन के बारे में जानते हैं, लेकिन प्राइवेट डॉक्टर अपने यहां आने वाले लोगों का इस टीके की पूरी जानकारी देते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
ब्लीडिंग, पीरियड के बीच में स्पॉटिंग
यूरीन की समस्या
पेट के निचले हिस्से में दर्द
सफेद बदबूदार पानी का रिसाव
संबंध बनाने के बाद अधिक मात्र में रक्तस्राव
दो प्रकार का होता है एचपीवी का टीका
एचपीवी टीका दो प्रकार का होता है। एक बायवेलेंट और दूसरा क्वाड्रिवेलेंट। बायवेलेंट टीका 10 से 15 वर्ष के आयु वर्ग एवं ट्रॉयवेलेंट टीका 9 से 26 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं के लिए उपयुक्त पाया गया है। टीकाकरण के लिए सबसे उचित आयु 12 से 16 वर्ष होती है। बायवेलेंट टीके की 3 खुराकें (0, 1 व 6 माह पर) व क्वाड्रिवेलेंट टीके की 3 खुराकें (0, 2 व 6 माह पर) मांसपेशी में इंजेक्शन द्वारा दी जाती है। पहली दो खुराकों के बीच कम से कम 4 सप्ताह व दूसरी व तीसरी खुराक के बीच 12 सप्ताह का अंतर रखना जरूरी है। जिन महिलाओं को पहले भी कैंसर हो चुका हो, उन्हें भी यह टीका दिया जा सकता है। गर्भवती महिलाओं को यह टीका नहीं दिया जाना चाहिए।
#cervical cancer #ovarian cancer #cancer in women #Cancer
More Stories