Winter Pollution Health Tips: क्या आपको भी लगता है कि हमारी हवा दिन-प्रतिदिन और ख़राब हो रही है? सुबह-सुबह उठते ही गला खराब, खाँसी, छाती में जलन जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। बच्चे और बुज़र्गों के लिए परेशानी और भी अधिक होती हैं। तो प्रदूषण के बढ़ते इस मौमस में अपनी इम्यूनिटी कैसे बढ़ानी है ये जानिए King George Medical University के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश से।
ख़ास बात ये है कि संसद में भी इस मुद्दे पर सवाल उठ रहे हैं। साल 2025 के शीतकालीन सदन में राज्यसभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार से सवाल किया कि क्या साल 2022 में प्रदूषण की वजह से 17 लाख लोगों की मौत हो गई थी? क्या सरकार के पास प्रदूषण की वजह से हुई मौतों का कोई आंकड़ा है? लेकिन सरकार का कहना है कि ‘ऐसा कोई सीधा वैज्ञानिक डेटा नहीं है जो साबित करे कि मौत सिर्फ वायु प्रदूषण से हुई।’
प्रदूषण के कारण 2022 में भारत में 17 लाख से ज्यादा मौतें
आपको बता दें कि “साल 2022 में प्रदूषण की वजह से 17 लाख लोगों की मौत” के आंकड़ें बताए गए थे द लैंसेट जर्नल की एक ग्लोबल रिपोर्ट में. The Lancet Countdown on Health and Climate Change रिपोर्ट के अनुसार साल 2022 में भारत में 17 लाख से ज्यादा मौतें सिर्फ PM 2.5 प्रदूषण के कारण हुईं थी और साल 2023 में यह आंकड़ा करीब 20 लाख मौतों तक पहुँच गया था। King George Medical University के पल्मोनरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश ने भी गाँव कनेक्शन को बताया कि प्रदूषण के कारण एक साल में करीब़ 15 लाख मौतें हो रही हैं।
समस्या क्या है मतलब हवा में गड़बड़ क्या है?
(डॉ.) वेद प्रकाश के अनुसार- हवा में दो चीजें खतरनाक होती हैं PM2.5 और PM10, यानी बेहद छोटे कण जो आँखों से दिखते भी नहीं। ये सांस के साथ सीधा आपके फेफड़ों में चले जाते हैं। बहुत से लोग बोलते हैं “ हम तो रोज इसी हवा में रहते हैं, हमें तो कुछ नहीं हो रहा है?” लेकिन असल, दिक्कत ये है कि हवा में फैले ये छोटे-छोटे कण धीरे-धीरे शरीर पर नुकसान करते हैं। ख़ासकर बच्चे, बुज़ुर्ग, दिल, फेफड़ों या एलर्जी वाले लोग इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
ब्लड प्रेशर के बाद, प्रदूषित हवा अब जल्द मौत की दूसरी सबसे बड़ी वज़ह
साल 2025 में आई
State of Global Air 2025 की रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्लड प्रेशर के बाद, प्रदूषित हवा यानि गंदी हवा, जल्दी मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह बन गई है। दिल, फेफड़े, डायबिटीज़ हर बड़ी बीमारी के पीछे एक कॉमन दुश्मन है प्रदूषित हवा।
“रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया की करीब 36% आबादी ऐसी हवा में साँस ले रही है जो बहुत ख़राब है।” इससे सबसे ज़्यादा नुकसान गरीब और मिडिल इनकम वाले देशों को हो रहा है। मतलब, दुनिया में वायु प्रदूषण से जितनी मौतें होती हैं, उनमें से 90% इन्हीं देशों में होती हैं। सिर्फ़ भारत और चीन में ही 20 लाख से ज़्यादा लोग 2023 में प्रदूषित हवा की वजह से मरे और पूरी दुनिया में करीब 79 लाख लोग सिर्फ़ हवा की वजह से अपनी जान गंवा बैठे।”
सर्दियों में हवा ज़हरीली क्यों हो जाती है?
आपको बता दें कि जैसे ही ठंड शुरू होती है तापमान गिरता है, हवा में नमी कम हो जाती है और हवा ड्राई हो जाती है। ड्राई हवा का मतलब धूल आसमान में तैरने लगती है। इस धूल में घुलते हैं- धुआँ, राख और छोटे-छोटे कण। ये बेहद महीन कण होते हैं, जिन्हें वैज्ञानिक भाषा में कहते हैं PM 2.5। यही कण धुंध के साथ मिलकर बनाते हैं ख़तरनाक प्रदूषण। ये तो हो गई हवा के जहरीले होने के कारणों की बातें। इस आर्टिकलमें आगे समझेंगे की जहरीली हवा हमें या आपको किस तरीके से तकलीफ दे सकती है और इसका बचाव क्या है?
प्रदूषित हवा से कौन-सी बीमारियाँ होती हैं?
1.सांस संबंधी बीमारियाँ
2.दमा (Asthma) ज़ोर पकड़ता है
3.एलर्जी बढ़ती है
4.फेफड़ों में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है
5.टीबी मरीजों की हालत बिगड़ने लगती है
6.कोविड से प्रभावित लोग जल्दी गंभीर हो जाते हैं
7.कई मरीज ICU और वेंटिलेटर तक पहुँच जाते हैं
स्मोकर्स के लिए डबल ख़तरा
हवा खराब है, ये आप, और हम सब जानते हैं जो इस प्रदूषित हवा में सांस ले रहे हैं। तो चलिए समझते हैं कि प्रदूषित हवा में साँस लेने के नुकसान क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है? आपको बता दें कि जो लोग सिगरेट पीते हैं और वही लोग वायु प्रदूषण के संपर्क में भी आ रहे हैं, तो उनके लिए ख़तरा डबल हो जाता है। स्मोकिंग और वायु प्रदूषण मिलकर फेफड़ों को तेजी से ख़राब करते हैं। जिससे सांस फूलना, खांसी, ब्रॉन्काइटिस बढ़ता है। इससे बचाव के लिए धूम्रपान कम करें या छोड़ दें, प्राणायाम और डीप ब्रीदिंग करें, प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट चलने की आदत डालें। इससे साँस संबंधी समस्याओं को दूर रखा जा सकता है।
लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियाँ और बचाव
प्रदूषण के कारण फिज़िकल एक्टिविटी घटती है जिससे बढ़ता है मोटापा, डायबिटीज़, हाई BP। इसके साथ ही धीरे-धीरे आपकी इम्यूनिटी भी कमजोर होने लगती है। इम्यूनिटी कमजोर होने से बढ़ता है एलर्जी और अस्थमा का रिस्क। ये वो समस्याएँ हैं जो बढ़ते हवा के प्रदूषण के संपर्क में आने से अधिक बढ़ जाती है। (डॉ.) वेद प्रकाश ने इससे बचाव के लिए अपनी लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव के सुझाव दिए हैं जैसे- सबसे पहले प्रदूषण को पहचानें, AQI चेक करें, धुँधली या धुएँ जैसी हवा में बाहर निकलने से बचें, खुद प्रदूषण बढ़ाने वाली गतिविधियाँ कम करें जैसे – कचड़े को खुले में फेंक देना या फिर उसे जला देना। कचरा जलाने से बढ़ता है धुआँ. और इसी धुएँ से ही बढ़ रही है समस्याएँ। निज़ी तौर पर बरतने वाली ये सावधानियाँ आपकी लाइफस्टाइल को बेहतर बना सकती हैं।
इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएँ?
ताज़ा और गर्म भोजन करें।
उसमें मौसमी फल और सब्जियाँ शामिल करें।
रोज़ाना एक्सरसाइज करें।
इसके साथ ही 7 से 8 घंटे की पूरी नींद जरूरी लें।
भाप लेंना इस मौमस में अच्छा होता है क्योंकि ये नाक और गले को साफ रखता है।
बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें, सुबह की सैर खुले पार्कों में मत करें।
Indoor एक्सरसाइज़ चुनें, घर में झाड़ू की जगह पौंछा लगाएँ ताकि धूल न उड़े, रोज़ घर की धूल साफ करें।