0

आजमाएं इन्हें ये हैं कारगर नुस्खें

Deepak Acharya | Feb 07, 2017, 16:23 IST
diabetes
कृत्रिम और रसायन आधारित दवाओं के दुष्प्रभावों से हर व्यक्ति परिचित है और इस तरह की दवाओं से लोग तौबा भी करना चाहते हैं। पिछले एक दशक में लोगों का हर्बल मेडिसिन्स की तरफ भी रुझान काफी होने लगा है। हर्बल मेडिसिन के नाम पर बाज़ार में काफी लूट मची है, दवाओं के असर को लेकर खोखले दावों ने इस औषधि विज्ञान पर सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। आखिर समस्या कहाँ है? समस्या है दवाओं की गुणवत्ता पर, यदि दवाओं का असर होगा तो आम लोगों का विश्वास भी इस तरफ बढ़ेगा लेकिन सबसे मूल बात ये है कि हमें बाज़ार तक कूच करने की जरूरत भी क्यों हो?

आखिर असल दवाएं तो आपके और हमारे इर्द-गिर्द ही हैं, हमारे आसपास के परिवेश में ही हैं। इस सप्ताह कुछ खास पारंपरिक चुनिंदा नुस्खों को विस्तार से आपको बताएंगे ताकि आमतौर पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं का निवारण आप घर बैठकर ही कर पाएं। आपको पहले से किसी तरह की एलर्जी या दवाओं के साइड इफेक्ट का अनुभव हुआ हो तो इन नुस्खों को किसी विषय विशेषज्ञ की निगरानी में ही आजमाएं।

पैरों की बिवाइयों का देसी आदिवासी इलाज

आदिवासियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 20 ग्राम मोम लीजिए और लगभग इतनी ही मात्रा में गेंदे की ताजी बारीक-बारीक कटी हरी पत्तियाँ लीजिए। दोनो को एक बर्तन में लेकर धीमी आंच पर गर्म कीजिए, कुछ देर में मोम पिघलने लगेगी और साथ ही पत्तियों का रस भी मोम के साथ घुल जाएगा। जब मोम पूरी तरह से पिघल जाए, हल्का हल्का खौलने लगे, बर्तन को आंच से नीचे उतार दीजिए और ठंडा होने दीजिए। मोम को सोने से पहले पैरों की बिवाईयों पर लगाईये, दिन में भी इस मोम को लगाकर जुराबें पहन लें। पैरों की बिवाईयों या कटे फ़टे हिस्से दो दिन में ठीक होने लगेंगे।

चेहरे पर दाग और मुंहासे

चेहरे पर मुहांसो और काले निशानों के बनने के बाद चेहरे की रंगत खो जाती है। पका हुआ पपीता चेहरे पर दिन में दो बार रगड़ा जाए और सूखने दिया जाए और सूखने के बाद साफ पानी से धो लिया जाए तो तेजी से फायदा होता है। ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक कि समस्या पूर्ण रूप से खत्म ना हो जाए। गर्मियों में सूरज की लपटों से त्वचा जल सी जाती है, ऐसी स्थिति में भी यह नुस्खा बेहद कारगर होता है। प्रतिदिन चेहरे पर इसे लगाकर हल्की-हल्की मालिश करने से चेहरे की खूबसूरती बढ़ जाती है। आदिवासियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतिदिन पके हुए पपीते का सेवन करने से मुहांसे नहीं होते हैं।

मधुमेह के नियंत्रण के लिए देसी ज्ञान

पारंपरिक तौर पर इस्तमाल होने वाले इन दो नुस्खों को वैज्ञानिक तौर पर अतिकारगर साबित किया जा चुका है। इन दोनो नुस्खों को पारंपरिक हर्बल जानकार बतौर कारगर उपाय मधुमेह के रोगियों को खूब देते हैं। एक चम्मच अलसी के बीजों को अच्छी तरह से चबाकर खाईये और दो गिलास पानी पीजिए। ऐसा प्रतिदिन सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले करना है। कई इलाकों में अलसी के बीजों को हल्का सा भून लिया जाता है और इस पर थोड़ा सा काला नमक का छिड़काव भी किया जाता है। प्रतिदिन खाना खाने के बाद इसका सेवन इंसुलिन के स्तर को सामान्य बनाए रखने में मददगार होता है। इसके अलावा अलसी भोजन को पचाने के लिए भी बेहद मददगार होता है।

दालचीनी की छाल का चूर्ण भी फायदेमंद

दालचीनी की छाल का चूर्ण भी डायबिटिस के लिए काफी असरदार होता है। बाज़ार से शुद्ध दालचीनी की छाल लाएं और इसे ग्राईंडर की सहायता से चूर्ण या पावडर में तब्दील कर लें। आधा चम्मच दालचीनी का चूर्ण २ कप पानी में मिला लीजिए और इसे मध्यम आंच पर गर्म करिये। जब यह गर्म हो रहा हो तो इस मिश्रण में लौंग की दो कलियों को कुचलकार डाल दीजिए। यह पूरा मिश्रण तब तक गर्म किया जाए जब तक कि मिश्रण की मात्रा आधी शेष ना बचे।

इसे छान लिया जाए और सुबह खाली पेट लिया जाए और डायबिटिस बेकाबू होने की हालत में शाम को भी भोजन के बाद लिया जा सकता है। इन दोनों नुस्खों की शुरूआत करने से पहले अपने इंसुलिन लेवल की जाँच अवश्य करें ताकि पन्द्रह दिनों बाद जब पुन: जाँच की जाए तो फ़र्क दिखाई दे। पादप विज्ञान जगत के अनेक शोध पत्रों में इन फ़ार्मुलों से गजब के परिणामों का दावा किया गया है, आदिवासी हर्बल जानकार तो इन फ़ार्मुलों को सैकड़ों सालों से लोगों पर आजमा रहे हैं।

Tags:
  • diabetes
  • Artificial
  • Chemical based medicines
  • Herbal Medicines
  • Quality

Follow us
Contact
  • Gomti Nagar, Lucknow, Uttar Pradesh 226010
  • neelesh@gaonconnection.com

© 2025 All Rights Reserved.