ठंड में आजमाएं ये हर्बल नुस्खे, रहें स्वस्थ

Deepak AcharyaDeepak Acharya   14 Jan 2017 3:43 PM GMT

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ठंड में आजमाएं ये हर्बल नुस्खे, रहें स्वस्थस्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं ऐसी हैं जो सर्दी में बढ़ जाती हैं जैसे अस्थमा, त्वचा का फटना, सांस से जुड़ी परेशानी।

सर्दियों में स्वास्थ्य से जुड़ी छोटी मोटी कई दिक्कतें होती रहती हैं। वहीं कई स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं ऐसी हैं जो सर्दी में बढ़ जाती हैं जैसे अस्थमा, त्वचा का फटना, सांस से जुड़ी परेशानी। इन परेशानियों को हर्बल नुस्ख़े अपनाकर दूर किया जा सकता है-

अस्थमा और सांस से जुड़ी समस्याएं

हमारी रसोई में सब्जियों के साथ उपयोग में लाया जाने वाला लहसुन सिर्फ एक मसाला नहीं अपितु औषधीय गुणों का एक ख़ज़ाना भी है। लहसुन के एण्टीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, लहसुन का सेवन बैक्टीरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है। लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी की जड़ों का चूर्ण (1/2 चम्मच) सेवन दो महीने तक लगातार करने से ठंड के दौरान आक्रामक होने वाली दमा जैसी घातक बीमारी में बेहद राहत मिलती है।

अजवायन के बीज और लौंग से फायदा

ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो उन्हें काफी फायदा होता है। यदि बीजों को भूनकर एक सूती कपड़े मे लपेट लिया जाए और रात तकिये के नजदीक रखा जाए तो दमा, सर्दी, खांसी के रोगियों को रात को नींद के दौरान सांस लेने मे तकलीफ नहीं होती है।

अडूसा की पत्तियां दूर करे भारीपन

अस्थमा की वजह से सांसें लेने में भारीपन को दूर करने के लिए अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अतिशीघ्र आराम मिलता है।

टीबी में अडूसा की पत्ती फायदेमंद

पातालकोट के आदिवासी टीबी के मरीजों को अडूसा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर 100 मिली रोज पीने की सलाह देते हैं, दरअसल अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है। इसी गुण के कारण इसे ब्रोंकाइटिस के इलाज का रामबाण भी माना जाता है। बाजार में बिकनेवाली अधिकतर कफ की आयुर्वेदिक दवाइयों में अडूसा का भरपूर इस्तेमाल भी किया जाता है।

इलायची दूर करे दमा व खांसी

बड़ी इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से काफी हद तक छुटकारा मिलता है। बड़ी इलायची, खजूर व अंगूर की समान मात्रा लेकर, कुचलकर शहद में चाटने से खांसी, दमा और शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।

दमा राेगी पिएं अंगूर का रस

लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो साँस लेने की गति सामान्य हो जाती है और शरीर में गर्मी का संचार भी होता है।

अशोक के बीज फायदेमंद

डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की 1 चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है।

पालक के रस का करें सेवन

पालक के 1 गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।

डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार यदि गेंदा के फूलो को सुखा लिया जाए और इसके बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन 3 दिन तक किया जाए तो जिन्हें दमा और खांसी की शिकायत है, उन्हें काफी फायदा होता है।

अनंतमूल की जड़ फायदेमंद

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फायदा होता है, ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है।

तुलसी के पत्ते मरीज के लिए रामबाण

अस्थमा का दौरा पड़ने पर गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें,इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच लेना अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए अच्छा होता है।

हाथ, पैर और होंठों का फटना

गेंदा के पत्तों को मोम में गर्म करके ठंडा होने पर ठंड में बनी पैरों की बिवाई पर लगाने से आराम मिल जाता है, तालु चिकने हो जाते है। अनंतमूल की जड़ों का काढ़ा अथवा रस यदि होठों पर लगाया जाए तो फटे होंठ सामान्य हो जाते है, ठीक इसी तरह पैरों की बिवाईयों या त्वचा के किसी भी हिस्सें के कटे-फटे होने पर इसका लेपन काफी आराम दिलाता है।

आदिवासियों के अनुसार, लगभग 20 ग्राम मोम लीजिए और लगभग इतनी ही मात्रा में गेंदे की ताजी बारीक-बारीक कटी हरी पत्तियां। दोनो को एक बर्तन में लेकर धीमी आंच पर गर्म कीजिए, कुछ देर में मोम पिघलने लगेगी और साथ ही पत्तियों का रस भी मोम के साथ घुल मिल जाएगा। जब मोम पूरी तरह से पिघल जाए, हल्का-हल्का खौलने लगे, बर्तन को नीचे उतार दीजिए और ठंडा होने दीजिए। मोम को सोने से पहले पैरों की बिवाईयों पर लगाईये, दिन में भी इस मोम को लगाकर जुराबें पहन लें, पैरों की बिवाईयों या कटे फटे हिस्से दो दिन में ठीक होने लगेंगे।

    

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