भारतीय मुक्केबाजी कोचिंग स्टाफ में किये जा सकते हैं बदलाव 

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भारतीय मुक्केबाजी कोचिंग स्टाफ में किये जा सकते हैं बदलाव भारतीय मुक्केबाजी राष्ट्रीय महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने कहा कि मैं अधिक महिला कोच भी देखना चाहता हूं। इस बारे में फैसला जल्द ही किया जाएगा।

हरिद्वार (भाषा)। भारतीय मुक्केबाजी कोचिंग ढांचे में आमूलचूल बदलाव की संभावना है क्योंकि राष्ट्रीय महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने राष्ट्रीय शिविरों में युवा कोच रखने और यहां तक कि उनकी संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है।

सिंह ने भारतीय मुक्केबाजी महासंघ की कार्यकारी समिति की बैठक के बाद कहा, ‘‘हां निश्चित तौर पर कोचिंग स्टाफ में बदलाव होगा। हम कोचिंग स्टाफ के साथ इस बारे में बातचीत कर रहे हैं। बेशक हम नया खून, युवा लोगों को कोचिंग में लाना चाहते हैं और इस बारे में जल्द ही घोषणा की जाएगी। मैंने मुक्केबाजों और यहां तक कि कोचों से भी सलाह मशविरा किया है। मैं आपको बता सकता हूं कि इसको लेकर बहुत अधिक विरोध नहीं हैं।''

उन्होंने कहा, ‘‘मैं अधिक महिला कोच भी देखना चाहता हूं। इस बारे में फैसला जल्द ही किया जाएगा। महिला शिविर में 70 मुक्केबाजों के लिये हम सहयोगी स्टाफ के अतिरिक्त 16 कोच जोड़ने जा रहे हैं।'' वर्तमान समय में पुरुष टीम के मुख्य कोच गुरबख्श सिंह संधू हैं जो लंबे समय से टीम से जुड़े हैं जबकि महिला टीम के मुख्य कोच अनूप कुमार हैं। इसके अलावा कुछ सहायक कोच भी है। ये दोनों कोच द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता हैं। राष्ट्रीय चैंपियनशिप, जो कि राष्ट्रीय शिविर के लिये चयन ट्रायल भी थी, कल समाप्त हुई जिसमें हरियाणा का दबदबा रहा जबकि रेलवे का नंबर उसके बाद रहा।

सिंह ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम कुछ बेहतरीन कौशल की पहचान करने में सफल रहे। हम इनमें से 70 मुक्केबाजों को राष्ट्रीय शिविर में ले जाएंगे जो कि दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में आयोजित किया जाएगा और दस दिसंबर से शुरु होगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सर्वश्रेष्ठ संभावित सुविधाएं मिलें। उन्हें सर्वश्रेष्ठ कोचिंग और सहयोगी स्टाफ मुहैया कराया जाएगा।'' सिंह से पूछा गया कि क्या शिविर में शामिल करने के लिये चैंपियनशिप में नहीं खेलने वाले मुक्केबाजों जैसे एमसी मेरीकोम, एल सरिता देवी और पिंकी जांगडा के नाम पर विचार किया जाएगा, उन्होंने कहा कि इस समय थोडी छूट दी जाएगी लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते हैं जो भी भारत की तरफ से खेलना चाहता है वह राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेले। यह पहली राष्ट्रीय चैंपियनशिप थी। कुछ लड़कियां चोटिल थी और कुछ के अन्य मसले थे, जिसके कारण वे यहां भाग नहीं ले पायी। इस बार में हम कुछ लचीलापन दिखाने की कोशिश करेंगे। अगली बार से हम यह सुनिश्चित करना चाहते कि यदि उन्हें देश की तरफ से खेलना है तो कुछ ठोस कारणों के बिना उन्हें हर हाल में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलना होगा।''

    

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