फैसला लेकर उस पर डटे रहना ही अच्छे कप्तान की निशानी: कोहली

गाँव कनेक्शन | Oct 06, 2016, 13:15 IST

नई दिल्ली (भाषा)। दो साल पहले भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभालने वाले विराट कोहली का कप्तानी का अब तक का रिकार्ड शानदार रहा है और उनका मानना है कि अच्छी कप्तानी की कुंजी साहसिक फैसले लेने और नतीजे की परवाह किये बिना उनका डटकर समर्थन करने में है।

कोहली की कप्तानी में भारत ने 16 में से नौ टेस्ट जीते और सिर्फ दो गंवाये जबकि पांच ड्रा रहे। कप्तान के तौर पर अपनी सरज़मीं पर वह एक भी टेस्ट नहीं हारे हैं। कोहली हालांकि खुद महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के कायल हैं। उन्होंने BCCI टीवी से कहा, ‘‘कई बार फैसले लेना काफी कठिन होता है और इसके लिये काफी हिम्मत चाहिये होती है। मैने धोनी से बहुत कुछ सीखा है। आपके फैसले सही या गलत हो सकते हैं लेकिन उन पर डटे रहने के लिये साहस चाहिये और यही कप्तान की निशानी है।''

उनका मानना है कि कप्तानी की जिम्मेदारी ने उन्हें बेहतर क्रिकेटर बनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘देश की टेस्ट टीम का कप्तान होना फख्र की बात है। मुझे इस पर गर्व है। मेरे लिये इससे बढ़कर कुछ नहीं। इस अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुझे बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद मिली।'' उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिये सफेद जर्सी पहनकर मैदान पर उतरना फख्र की बात है। टेस्ट क्रिकेट जैसी परीक्षा किसी और प्रारुप में नहीं होती।'' दो साल पहले भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभालने वाले विराट कोहली का कप्तानी का अब तक का रिकार्ड शानदार रहा है और उनका मानना है कि अच्छी कप्तानी की कुंजी साहसिक फैसले लेने और नतीजे की परवाह किये बिना उनका डटकर समर्थन करने में है।

कोहली की कप्तानी में भारत ने 16 में से नौ टेस्ट जीते और सिर्फ दो गंवाये जबकि पांच ड्रा रहे। कप्तान के तौर पर अपनी सरज़मीं पर वह एक भी टेस्ट नहीं हारे हैं। कोहली हालांकि खुद महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के कायल हैं। उन्होंने BCCI टीवी से कहा, ‘‘कई बार फैसले लेना काफी कठिन होता है और इसके लिये काफी हिम्मत चाहिये होती है। मैने धोनी से बहुत कुछ सीखा है। आपके फैसले सही या गलत हो सकते हैं लेकिन उन पर डटे रहने के लिये साहस चाहिये और यही कप्तान की निशानी है।''

उनका मानना है कि कप्तानी की जिम्मेदारी ने उन्हें बेहतर क्रिकेटर बनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘देश की टेस्ट टीम का कप्तान होना फख्र की बात है। मुझे इस पर गर्व है। मेरे लिये इससे बढ़कर कुछ नहीं। इस अतिरिक्त जिम्मेदारी से मुझे बेहतर क्रिकेटर बनने में मदद मिली।'' उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिये सफेद जर्सी पहनकर मैदान पर उतरना फख्र की बात है। टेस्ट क्रिकेट जैसी परीक्षा किसी और प्रारुप में नहीं होती।''

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