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इस बार जूनियर हॉकी विश्वकप जीत सकता है भारत

गाँव कनेक्शन | Dec 04, 2016, 13:37 IST
India junior men's Hockey team
नई दिल्ली (भाषा)। भारत को अपनी सरजमीं पर जूनियर हॉकी विश्वकप का प्रबल दावेदार बताते हुए कोच हरेंद्र सिंह ने कहा है कि दबाव के आगे घुटने नहीं टेकने और एक इकाई के रूप में खेलने की कला मेजबान को पोडियम तक ले जायेगी। एफआईएच जूनियर हॉकी विश्वकप लखनऊ में आठ से 18 दिसंबर तक खेला जाएगा, जिसमें मेजबान भारत समेत 16 टीमें भाग लेंगी। भारत को कनाडा, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के साथ पूल डी में रखा गया है। पंद्रह साल पहले एकमात्र जूनियर विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम को इस बार प्रबल दावेदार बताते हुए हरेंद्र ने कहा, ‘‘पिछले दो ढाई साल की तैयारियों के आधार पर मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि इस बार हम पोडियम फिनिश जरूर करेंगे। पिछले अधिकांश बड़े टूर्नामेंटों में हम खाली हाथ नहीं लौटे हैं, जिससे टीम का आत्मविश्वास बढ़ा है।'' उनके इस आत्मविश्वास का कारण टीम की मानसिक दृढ़ता है जिसका परिचय कई बड़े मैचों में टीम ने दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘यह टीम दबाव के आगे घुटने टेकने वाली नहीं है और निर्णायक क्षणों में अच्छा प्रदर्शन करती आई है। इसके अलावा कोई खिलाड़ी व्यक्तिगत स्तर पर नहीं खेलता बल्कि सभी एक ईकाई के रूप में अच्छा प्रदर्शन करने को लालायित है। यही हमारी सफलता की कुंजी साबित होगा।''

हरेंद्र ने कहा, ‘‘मैंने खिलाड़ियों को ‘सी' की घुट्टी पिलाई है और मैदान पर वे एक दूसरे को यह याद दिलाते रहते हैं। सी यानी कम्युनिकेशन, कनेक्ट, कमिटमेंट, कम्युनिटी, कांफिडेंस, करेज, क्रिएटिविटी, क्लास, क्रेजी, चीयरफुल और कोलोबरेशन।'' उन्होंने कहा, ‘‘तैयारी के आधार पर शीर्ष टीमें बराबरी पर ही होती हैं। फर्क सिर्फ मानसिक तैयारी का है और जो दबाव को झेल जाएगा, वही जीतेगा। मेरी टीम इस मानदंड पर सौ फीसदी खरी उतरेगी। हमने व्यक्तिगत स्तर पर भी और टीम के रूप में भी इस पर काफी फोकस किया है।''

घरेलू सरजमीं पर खेलने के फायदे और नुकसान दोनों

अठारह बरस पहले अपने कोचिंग कैरियर का आगाज करने वाले हरेंद्र जूनियर और सीनियर टीमों के साथ विभिन्न अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में आठ स्वर्ण, पांच रजत और नौ कांस्य पदक जीत चुके हैं। यह पूछने पर कि क्या घरेलू सरजमीं पर खेलने का भारत को फायदा मिलेगा, उन्होंने कहा कि इसके फायदे नुकसान दोनों हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अपने देश में खेलने के फायदे और नुकसान दोनों है। मैंने अपने खिलाडियों को सलाह दी है कि वे सिर्फ सकारात्मक पक्ष की ओर देखें और नकारात्मक पहलू पर ध्यान नहीं दे ताकि दबाव से परे रह सकें।'' किन टीमों को वे खिताब के दावेदारों में गिनते हैं, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि विश्व कप में किसी को हलके में नहीं लिया जा सकता और वे मैच दर मैच रणनीति बनायेंगे।

किसी भी टीम को हल्के में नहीं लिया जा सकता

कोच ने कहा, ‘‘जूनियर या सीनियर किसी भी स्तर पर विश्व कप जैसे टूर्नामेंट में किसी टीम को हलके में नहीं लिया जा सकता क्योंकि सभी की तैयारी पुख्ता होती है। हम मैच दर मैच रणनीति बनाएंगे और फिलहाल पूरा ध्यान लीग चरण पर है। लीग चरण के बाद हम आगे की सोचेंगे।'' टूर्नामेंट में पाकिस्तान की गैर मौजूदगी को तूल नहीं देते हुए हरेंद्र ने कहा कि उन्होंने कभी चिर प्रतिद्वंद्वी से मुकाबले को विशेष नहीं आंका। उन्होंने कहा, ‘‘अव्वल तो पाकिस्तान हमारे पूल में था ही नहीं। उससे टक्कर होती भी तो सेमीफाइनल में। वैसे भी मैंने कभी पाकिस्तान से मुकाबले को खास नहीं माना बल्कि वह 70 मिनट के दूसरे हॉकी मैचों की ही तरह होता है। यह हाइप मीडिया या जनता के लिए होगी लेकिन खिलाड़ियों और कोच के लिए वह एक आम मैच रहता है।''

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