महिलाओं ने मांगा सरकारी आवास
गाँव कनेक्शन | Jun 10, 2017, 09:09 IST
नफीस उर्फ रानू सिद्दीकी, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
फफूंद/औरैया। कस्बे के कटरा मडैया में दलित व पिछड़े वर्ग की महिलाओं ने सरकारी आवास न मिलने पर नाराजगी जाहिर की है। आजादी से लेकर अब तक झोपड़ी और कच्चे मकान में अपना जीवन गुजार रहीं महिलाओं ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाए जाने की मांग की है।
जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर कटरा मडैया में लगभग 250 की आबादी है। यहां के लगभग 175 लोग अपने मत का प्रयोग करते हैं, जिसमें दलित व पिछड़ा वर्ग के लोग निवास कर रहे हैं। आजादी से लेकर अभी तक इनको आवासीय सहायता नहीं मिली और आज भी ये झोपड़ी में अपने परिवार के साथ रहने को विवश हैं।
गरीब तबके के लोग रोज मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवदेन भी किया जा चुका है। मगर अभी तक कोई स्थलीय सत्यापन नहीं हुआ है।
कटरा मडैंया निवासी कुमकुम पत्नी मनोज कुमार (35 वर्ष) का कहना है, “जबसे शादी होकर इस गाँव में आई तब से मैं कच्चे मकान में रह रही है। पति ने आवास के लिए प्रधान से कहा, लेकिन एक भी नहीं सुनी।”
वहीं मडैया निवासी मीना देवी पत्नी देवेन्द्र (38 वर्ष) ने बताया, “उसकी शादी लगभग 20 साल हो चुकी है। अभी तक मैं झोपड़ी में रहती आई हूं। मेहनत कर कच्चा मकान बना लिया है, लेकिन सरकारी आवासों की यहां के लोगों के लिए दरकार है।”
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फफूंद/औरैया। कस्बे के कटरा मडैया में दलित व पिछड़े वर्ग की महिलाओं ने सरकारी आवास न मिलने पर नाराजगी जाहिर की है। आजादी से लेकर अब तक झोपड़ी और कच्चे मकान में अपना जीवन गुजार रहीं महिलाओं ने प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाए जाने की मांग की है।
जिला मुख्यालय से 13 किलोमीटर कटरा मडैया में लगभग 250 की आबादी है। यहां के लगभग 175 लोग अपने मत का प्रयोग करते हैं, जिसमें दलित व पिछड़ा वर्ग के लोग निवास कर रहे हैं। आजादी से लेकर अभी तक इनको आवासीय सहायता नहीं मिली और आज भी ये झोपड़ी में अपने परिवार के साथ रहने को विवश हैं।
गरीब तबके के लोग रोज मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवदेन भी किया जा चुका है। मगर अभी तक कोई स्थलीय सत्यापन नहीं हुआ है।
कटरा मडैंया निवासी कुमकुम पत्नी मनोज कुमार (35 वर्ष) का कहना है, “जबसे शादी होकर इस गाँव में आई तब से मैं कच्चे मकान में रह रही है। पति ने आवास के लिए प्रधान से कहा, लेकिन एक भी नहीं सुनी।”
वहीं मडैया निवासी मीना देवी पत्नी देवेन्द्र (38 वर्ष) ने बताया, “उसकी शादी लगभग 20 साल हो चुकी है। अभी तक मैं झोपड़ी में रहती आई हूं। मेहनत कर कच्चा मकान बना लिया है, लेकिन सरकारी आवासों की यहां के लोगों के लिए दरकार है।”
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