शिक्षकों की कमी से जूझ रहा केंद्रीय विश्वविद्यालय 

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शिक्षकों की कमी से जूझ रहा केंद्रीय विश्वविद्यालय प्रतीकात्मक तस्वीर

ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

इलाहाबाद। वर्षों से शिक्षकों की कमी के बीच केंद्रीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद में पठन-पाठन का कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय में तकरीबन पांच सौ से अधिक शिक्षकों के पद खाली हैं। प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के खाली पदों पर नियुक्ति नहीं हो पाने की वजह से विश्वविद्यालय के चारों संकाय में अतिथि प्रवक्ताओं के भरोसे कोर्स पूरा किया जा रहा है। शिक्षा सत्र 2016-17 से शुरू यह क्रम अगले शिक्षा सत्र में भी बरकरार रहेगा। शिक्षकों के खाली पदों पर भर्ती नहीं हो पाने की वजह से आगामी शिक्षा सत्र के अतिथि प्रोफेसरों के लिए साक्षात्कार 29 जून से शुरू हो रहा है।

केंद्रीय विश्वविद्यालय में पांच सौ से अधिक खाली पड़े पदों के सापेक्ष कला, विज्ञान, कॉमर्स और कानून के 42 विभागों में कुल 214 अतिथि प्रवक्ताओं के लिए साक्षात्कार आयोजित किया जा रहा है। अतिथि प्रवक्ताओं की नियुक्ति एक सेमेस्टर यानी दिसम्बर 2017 तक के लिए की जानी है इसका स्पष्ट उल्लेख विश्वविद्यालय रजिस्टार की ओर से जारी विज्ञप्ति में किया गया है। विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है आवश्यकता पड़ने पर इन प्रवक्ताओं की सेवा अवधि शिक्षा सत्र 2017-18 की समाप्ति तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसे ही प्रावधान पर पिछले सत्र में भी अतिथि प्रवक्ताओं की सेवा ली गई थी।

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अधर में लटका स्थाई प्रवक्ताओं की नियुक्ति

विश्वविद्यालय में खाली पड़े पदों के लिए अप्रैल 2017 में विज्ञापन निकाला गया। मई के अंतिम सप्ताह तक फार्म भी जमा कराए गए। भर्ती प्रक्रिया मूर्तरूप लेती उसके पहले आरक्षण प्रक्रिया आड़े आ गई और भर्ती प्रकिया रुक गई। हाइकोर्ट इलाहाबाद ने बीएचयू की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को इस आधार पर खारिज कर दिया कि शिक्षकों के पदों पर आरक्षण का रोस्टर विश्वविद्यालय को इकाई मानकर तैयार किया जाएगा। इस वजह से विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया अधर में लटक गई। विश्वविद्यालय की ओर से जारी भर्ती विज्ञापन में 517 पदों में 67 पद प्रोफेसर, 303 पद अस्सिटेंट प्रोफेसर और 147 पड़ एसोसिएट प्रोफेसर के खाली पदों के लिए फार्म आमंत्रित किए गए थे।

बड़ी संख्या में कर्मचारियों की कमी

विश्वविद्यालय में शिक्षक पद के अलावा बड़ी संख्या में तृतीय और चतुर्थश्रेणी के कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। इन पदों पर भी वर्षों से संविदा नियुक्ति कर काम चलाया जा रहा है। गत वर्ष संविदा कर्मी स्थाई नियुक्ति की मांग कर हड़ताल पर चले गए थे, जिन्हें रेगुलर करने का आश्वासन देकर वापस कार्य पर लाया गया था, लेकिन इस शिक्षासत्र में भी संविदा कर्मियों को रेग्युलर नहीं किया जा सका और न हीं इन पदों पर स्थाई नियुक्ति ही हो पाई है।

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर डॉ. रामसेवक दुबे बताते है खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू है। शैक्षणिक कार्य प्रभावित नहीं होने पाए इसके लिए अतिथि प्रवक्ताओं को रखा जा रहा है। जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।

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