सुरक्षा के डर से लड़कियों की कम उम्र में कर देते हैं शादी 

Swati ShuklaSwati Shukla   28 Jun 2017 1:18 PM GMT

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सुरक्षा के डर से लड़कियों की कम उम्र में कर देते हैं शादी प्रतीकात्मक तस्वीर

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद बाल विवाह जैसी कुरीतियां हमारे समाज से दूर नहीं हो रहीं हैं। कम उम्र में विवाह के बाद शारीरिक और मानसिक विकास नहीं हो पाता है। यह गैरकानूनी भी है। कम उम्र में विवाह करने से लड़कियों में शारीरिक क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। गाँवों में लड़कियों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिसकी वजह से घरवाले जल्दी शादी करने का दबाव बनाते हैं।

जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मलिहाबाद तहसील के इब्राहिम गाँव में पिछले 10 वर्षों से कम उम्र में बाल विवाह हुए हैं। कंचन रावत (26 वर्ष) बताती हैं, “गाँव में लड़कियों की सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। इस डर से गाँव वाले लड़कियों की जल्दी शादी कर देते हैं। मेरे गाँव में हाईस्कूल पास होने के बाद लड़कियों की शादी कर दी जाती है। इस महीने में दो लड़कियों और एक लड़के की शादी कर दी गई है।”

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लखनऊ के प्रोबेशन अधिकारी सर्वेश कुमार पाण्डेय बताते हैं, ‘‘बाल विवाह रोकना सब लोगों की जिम्मेदारी है। अगर कही भी बाल विवाह हो रहा हो तो उसे रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1098, 1090, 181 और 100 पर बाल विवाह की सूचना दी जा सकती है। सूचना देने वाले का नाम पता गोपनीय रखा जाएगा। सामूहिक रूप में जो विवाह होते है वो उसमें ज्यादा तर बाल विवाह के मामले होते है। अक्षय तृतीया पर बाल विवाह अधिक होते हैं।’’

मलिहाबाद तहसील के रायपुर गाँव में हर साल बहुत सी लड़कियों का बाल विवाह हो जाता है। गाँव की रहने वाली दुलारी (38 वर्ष) बताती हैं, “हम लोग अपनी लड़कियों की शादी बहुत जल्दी कर देते हैं, क्योकि गाँव का माहौल बहुत खराब है। हम लोग खेत में काम करते हैं, घर में लड़कियां अकेली रहती हैं इनको यहां पर कौन बचाए इससे अच्छा शादी कर दो।”

1090 की डिप्टी एसपी बबिता सिंह बताती हैं, “बाल विवाह एक बड़ी समस्या है। कई बार हमारी हेल्पलाइन नम्बर पर बाल विवाह की शिकायतें आती हैं। इसे रोकने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। शिकायत आने पर वहां के एसडीएम और संबंधित अधिकारी को फोन करके सूचना देते हैं। तीन बार फोन करके फीडबैक भी लेते हैं।”

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जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2001 से 2015 तक भारत में दो करोड़ बाल विवाह के मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन वहीं एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 वर्षों में बाल विवाह के मामलों में मात्र 1912 एफआईआर हुई हैं। 10 वर्ष तक की हर तीसरी लड़की चाइल्ड मैरिज का शिकार है। बाल विवाह के सबसे ज्यादा मामले अब उत्तर प्रदेश, वेस्ट बंगाल, आसाम में पाए गए हैं।

वूमेन पावर लाइन 1090 की डिप्टी एसपी बबिता सिंह बताती हैं कि बाल विवाह एक बड़ी समस्या है। कई बार हमारी हेल्पलाइन नम्बर पर बाल विवाह की शिकायतें आती हैं। इसे रोकने के लिए हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। शिकायत आने पर वहां के एसडीएम और संबंधित अधिकारी को फोन करके सूचना देते हैं। तीन बार फोन करके फीडबैक भी लेते हैं।

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