यहां आने वाला हर चौथा मरीज खुजली का शिकार 

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
यहां आने वाला हर चौथा मरीज खुजली का शिकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ,एटा 

मोहम्मद आमिल

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

एटा। यूपी में एक अस्पताल ऐसा भी है जहां खुजली के मरीज सबसे ज्यादा आते हैं। मारहरा का बीएम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर आने वाला हर चौथा मरीज खुजली से पीड़ित होता है। सीएचसी प्रभारी का दावा है कि क्षेत्र में होने वाली गाजर घास (फूलनिया) के कारण क्षेत्र में खुजली के मरीज हो रहे हैं, यह सिलसिला लगभग तीन साल से जारी है।

ये भी पढ़ें- ददुआ से लोहा लेने वाली शेरनी अब छोड़ना चाहती हैं चंबल

मारहरा विकासखण्ड के कस्बा मारहरा में 30 बेड का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है। प्रतिदिन तीन सौ से लेकर चार सौ मरीज स्वास्थ्य केंद्र पर उपचार के लिए आते हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें सबसे अधिक मरीज खुजली के होते हैं। यही कारण है कि इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर फंगस से सम्बंधित दवाओं का स्टॉक रहता है।

दिनेश चौहान (मरीज )

केंद्र से 13 किलोमीटर दूर विकास खण्ड निधौली कलां की ग्राम पंचायत अढ़ापुरा निवासी नीरज गोस्वामी (36) के शरीर में खुजली की शिकायत है। वह बताते हैं, "मेरे शरीर में खुजली रहती है। डॉक्टर को दिखाया था, उन्होंने दवा और लोशन दिया है। मेरे गाँव में कई लोगों को खुजली की बीमारी है।”

इसी गाँव के दिनेश चौहान (46) अपने हाथ में खुजली मिटाने का लोशन दिखाते हुए कहते हैं, "खेतों पर काम करने की वजह से गाजर घास की चपेट में आने से खुजली हो जाती है। डॉक्टर ने दवा दी है।"

ये भी पढ़ें- पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष ज्यादा हुयी गेहूं की खरीद

वहीं इस संबंध में सीएचसी प्रभारी डॉक्टर सीएल यादव से बात की तो उन्होंने बताया, "केंद्र पर सबसे ज्यादा मरीज स्केबीज और फंगस के आ रहे हैं। प्रतिदिन 40 प्रतिशत मरीज इसी रोग के आते हैं। इन मरीजों को बीबी लोशन, फ्लूकोना और इससे सम्बंधित दवा दी जाती हैं।

डॉक्टर सी.एल यादव

डॉक्टर सी.एल यादव आगे बताते हैं, "फंगस से पीड़ित आने वाले मरीज क्षेत्र में होने वाली गाजर घास की चपेट में आने से खुजली के शिकार हो जाते हैं, इन्हें चाहिए कि ऐसी जगह जाने से बचे जहां गाजर घास हो रही हो। वहीं अगर जाएं तो कपड़ों से शरीर ढक कर जाएं। गाजर घास के अलावा जलवायु में बदलाव भी इस समस्या का कारण हो सकता है।"

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहांक्लिक करें।

      

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.