उन्नाव : उधार की दवाओं से चल रहा जिला अस्पताल

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उन्नाव : उधार की दवाओं से चल रहा जिला अस्पतालउन्नाव जिला अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड 

नवनीत अवस्थी ,स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

उन्नाव। बुखार के मरीजों को जिला अस्पताल में दवा नहीं मिल पा रही। ओपीडी में डॉक्टर पर्चे पर बुखार से राहत के लिए पैरासिटामोल टेबलेट तो लिख रहे हैं, लेकिन काउंटर पर वह मरीजों को नहीं मिल रही। ऐसा इसलिए है क्योंकि दो माह से जिला अस्पताल में पैरासिटामोल समेत एक दर्जन दवाओं की सप्लाई ही नहीं हुई। दवाओं की खरीद हो सके इसके लिए विभाग के पास बजट भी उपलब्ध नहीं है। आपातकालीन स्थिति में दवाओं की खरीद के लिए जो बजट उपलब्ध कराया जाता है वह भी शून्य हो गया है। ऐसे में पैरासिटामोल, डाइक्लो, सेप्टीजिन, ओंपेराजॉल, कैल्सियम कैप्सूल, बी कॉम्पलेक्स की दवाएं मरीजों को नहीं मिल पा रहीं। वहीं वार्ड में भर्ती मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अपने स्तर से कुछ दवाएं उधार खरीदी हैं। सीएमएस डॉ. बीके द्विवेदी ने बताया, “वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए पैरासिटामोल दवा मंगा ली गई हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक को दवाओं की कमी से अवगत करा दिया गया है। जल्द ही दवाओं की खरीद हो जाएगी।”

मैनीखेड़ा की ज्योति को तीन दिन से बुखार आ रहा है। पति के साथ दवा लेने अस्पताल आई थीं। यहां डॉ. आलोक पांडेय ने पैरासिटामोल के साथ सिप्रो दवा पर्चे पर लिख दी। दवा काउंटर पर उन्हें सिर्फ एंटीबायोटिक सिप्रो मिल सकी। ज्योति ने बताया, “मुझे अस्पताल के बाहर जाकर दवा खरीदनी पड़ी।” मसवासी में रहने वाली सोनी बुखार की दवा लेने जिला अस्पताल आई थीं। डॉक्टर ने जो दवाएं पर्चे पर लिखीं, वह उन्हें दवा काउंटर से नहीं मिलीं। बुखार की दवा न मिलने पर उन्होंने नाराजगी जताई।

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वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए पैरासिटामोल दवा मंगा ली गई हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक को दवाओं की कमी से अवगत करा दिया गया है। जल्द ही दवाओं की खरीद हो जाएगी।
डॉ. बीके द्विवेदी, सीएमएस

सीरप से काम चलाने की दी नसीहत

कांशीराम कालोनी में रहने वाली गुड़िया बेटे राजीव और रिया को बुखार आने पर दवा लेने जिला अस्पताल आई थीं। डॉक्टर ने पर्चे पर पैरासिटामोल के साथ सीरप लिख दिया था। यहां दवा काउंटर पर सीरप तो मिल गया लेकिन टेबलेट नहीं मिल सकी। काउंटर पर बैठे युवक ने सीरप से ही काम चलाने की नसीहत दी। शहर के पीतांबर नगर में रहने वाली स्तुति शुक्ला को बुखार की दवा नहीं मिल पाई। स्तुति ने बताया, “अस्पताल में कभी भी दवा नहीं मिल पाती। हर बार सिर्फ एंटीबायोटिक दवा देकर चलता कर दिया जाता है।”

पैथालॉजी के खाते में भेज दिए 30 लाख

जिला अस्पताल को दवा खरीद के लिए 50 लाख का बजट दिया जाता है। इस बजट से पैथालॉजी की दवा में 30 लाख रुपये खर्च कर दिए गए थे। इससे धीरे-धीरे जिला अस्पताल में दवा खरीद का बजट खत्म हो गया। नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि पैथॉलाजी पर खर्च हुए बजट की वजह से दवा खरीद नहीं हो पा रही है। शासन स्तर से जब बजट मिलेगा तब दवा मिल सकेगी।

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तीन बार भेजा रिमाइंडर

जिला अस्पताल में महत्वपूर्ण दवाओं की कमी एक महीने से चल रही है। किसी तरह अस्पताल प्रशासन मरीजों को दवाएं उपलब्ध करा रहा था। दवाओं का स्टाक शून्य होने पर आठ अगस्त को पहला ऑर्डर भेजा गया, लेकिन अधिकारियों ने जवाब नहीं दिया। इस पर 18 अगस्त को दूसरा रिमाइंडर भेजा गया। एक बार फिर जवाब न मिलने पर जिला अस्पताल से 28 अगस्त को और रिमाइंडर भेजा गया लेकिन जवाब नहीं मिल सका। दवाएं खत्म होने पर मंगलवार को सीएमएस डॉ बीके द्विवेदी ने पत्र लिखकर शासन को मामले से अवगत कराया है।

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