ओडिशा के किसान चाहते हैं नारियल की मंडी और उससे जुड़े उद्योग
ओडिशा के किसान चाहते हैं नारियल की मंडी और उससे जुड़े उद्योग

By Mohammad Fahad

ओडिशा में धान के अलावा नारियल बड़े पैमाने पर पैदा किया जाता है। लेकिन ज्यादातर किसान हरा नारियल (पानी वाली) ही बेच लेते हैं। किसान नारियल की मंडी और इससे जुड़े उद्योगों को आज की जरुरत बता रहे हैं।

ओडिशा में धान के अलावा नारियल बड़े पैमाने पर पैदा किया जाता है। लेकिन ज्यादातर किसान हरा नारियल (पानी वाली) ही बेच लेते हैं। किसान नारियल की मंडी और इससे जुड़े उद्योगों को आज की जरुरत बता रहे हैं।

सीमा पार नेपाल से, फसलों की बिक्री पर कोविड प्रतिबंध ने बिहार के किसानों को उठाना पड़ रहा नुकसान
सीमा पार नेपाल से, फसलों की बिक्री पर कोविड प्रतिबंध ने बिहार के किसानों को उठाना पड़ रहा नुकसान

By Nishant Kumar

उत्तर बिहार में भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों के किसान नेपाल में अपनी कृषि उपज बेचते हैं, क्योंकि उनके पास बिहार में मंडी व्यवस्था का अभाव है। कोविड-19 महामारी के बाद, अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार माल की आवाजाही पर लगे प्रतिबंध से उनकी आजीविका पर भी असर पड़ा है। बिहार के किसान बिक्री फिर से शुरू करने के लिए बार्डर खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

उत्तर बिहार में भारत-नेपाल सीमा से सटे जिलों के किसान नेपाल में अपनी कृषि उपज बेचते हैं, क्योंकि उनके पास बिहार में मंडी व्यवस्था का अभाव है। कोविड-19 महामारी के बाद, अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार माल की आवाजाही पर लगे प्रतिबंध से उनकी आजीविका पर भी असर पड़ा है। बिहार के किसान बिक्री फिर से शुरू करने के लिए बार्डर खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

हरी मिर्च का काला बाजार: खाने वाले खरीद रहे 40-80 रुपए किलो, थोक भाव 15-20 रुपए, किसान को मिल रहे 3-7 रुपए
हरी मिर्च का काला बाजार: खाने वाले खरीद रहे 40-80 रुपए किलो, थोक भाव 15-20 रुपए, किसान को मिल रहे 3-7 रुपए

By Arvind Shukla

शहरों में आप मिर्च भले 40-80 रुपए किलो खरीद रहे हों, लेकिन कई राज्यों में किसान 3 से 7 रुपए किलो मिर्च बेचने पर मजबूर हैं। सरकार चाहती है किसान सिर्फ धान-गेहूं की खेती न करें लेकिन जब वो मिर्च और टमाटर लगाते हैं तो उन्हें मंडियों में वो रेट मिलता है, जिसमें उन्हें मुनाफा तो दूर लागत तक नहीं निकल पा रही है।

शहरों में आप मिर्च भले 40-80 रुपए किलो खरीद रहे हों, लेकिन कई राज्यों में किसान 3 से 7 रुपए किलो मिर्च बेचने पर मजबूर हैं। सरकार चाहती है किसान सिर्फ धान-गेहूं की खेती न करें लेकिन जब वो मिर्च और टमाटर लगाते हैं तो उन्हें मंडियों में वो रेट मिलता है, जिसमें उन्हें मुनाफा तो दूर लागत तक नहीं निकल पा रही है।

गेहूं खरीद: यूपी में 2016-17 के मुकाबले 7 गुना ज्यादा लेकिन, कुल उत्पादन के मुकाबले 14 फीसदी खरीद
गेहूं खरीद: यूपी में 2016-17 के मुकाबले 7 गुना ज्यादा लेकिन, कुल उत्पादन के मुकाबले 14 फीसदी खरीद

By Arvind Shukla

उत्तर प्रदेश में करीब 54 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन प्रदेश के कुल गेहूं उत्पादन 378 लाख मीट्रिक टन और प्रदेश में किसानों की संख्या को देखते हुए ये खरीद काफी कम लगती है। पूरे देश में इस साल हुई गेहूं खरीद के मामले में यूपी चौथे नंबर पर है।

उत्तर प्रदेश में करीब 54 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद को लेकर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन प्रदेश के कुल गेहूं उत्पादन 378 लाख मीट्रिक टन और प्रदेश में किसानों की संख्या को देखते हुए ये खरीद काफी कम लगती है। पूरे देश में इस साल हुई गेहूं खरीद के मामले में यूपी चौथे नंबर पर है।

यूपी में धान के तीन भाव: सरकारी रेट 1940 रुपए कुंटल, व्यापारी नगद दे रहे 1000-1200 रुपए, दो महीने बाद पैसे लेने पर दे रहे 1200-1400 रुपए का रेट
यूपी में धान के तीन भाव: सरकारी रेट 1940 रुपए कुंटल, व्यापारी नगद दे रहे 1000-1200 रुपए, दो महीने बाद पैसे लेने पर दे रहे 1200-1400 रुपए का रेट

By Arvind Shukla

मौसम से लड़कर किसी तरह धान पैदा करने वाले किसानों को अब धान बेचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। किसान को अगली फसल के पैसा चाहिए, व्यापारी किसानों से 1000 से 1200 रुपए में धान खरीद रहे हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी केंद्रों में ठीक से खरीद नहीं होने के चलते निजी व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। पढ़िए गांव कनेक्शन की रिपोर्ट

मौसम से लड़कर किसी तरह धान पैदा करने वाले किसानों को अब धान बेचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। किसान को अगली फसल के पैसा चाहिए, व्यापारी किसानों से 1000 से 1200 रुपए में धान खरीद रहे हैं। किसानों का आरोप है कि सरकारी केंद्रों में ठीक से खरीद नहीं होने के चलते निजी व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। पढ़िए गांव कनेक्शन की रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश: अदानी ने 16 रुपए किलो घटाए सेब के दाम तो थोक मंडी में गिरे रेट, किसान परेशान
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By Arvind Shukla

सालभर के इंतजार के बाद हिमाचल में सेब किसानों के पास ये पैसा आने का समय हैं। लेकिन वो परेशान हैं क्योंकि उन्हें मार्केट में अच्छा भाव नहीं मिल रहा है। किसानों के मुताबिक अदानी की कंपनी ने पिछले साल की अपेक्षा सेब के रेट 16 रुपए किलो कम दिया है, जिसके बाद मार्केट में भी गिरावट आई है।

सालभर के इंतजार के बाद हिमाचल में सेब किसानों के पास ये पैसा आने का समय हैं। लेकिन वो परेशान हैं क्योंकि उन्हें मार्केट में अच्छा भाव नहीं मिल रहा है। किसानों के मुताबिक अदानी की कंपनी ने पिछले साल की अपेक्षा सेब के रेट 16 रुपए किलो कम दिया है, जिसके बाद मार्केट में भी गिरावट आई है।

तीन नए कृषि अध्यादेशों से किसानों का शोषण कई गुना बढ़ेगा : राष्ट्रीय किसान महासंघ
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By गाँव कनेक्शन

संगठन ने कहा कि इन अध्यादेशों के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा।

संगठन ने कहा कि इन अध्यादेशों के जरिये आने वाले समय में केंद्र सरकार किसानों को मिलने वाले MSP को खत्म करने जा रही है। केंद्र सरकार का दावा है कि इन अध्यादेशों के किसानों को फायदा होगा लेकिन असल में किसानों को नहीं बल्कि बड़ी-बड़ी कम्पनियों को फायदा होगा।

ज़मीनी हकीकत: न्यूनतम समर्थन मूल्य की नीतियों में बदलाव हो
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By Devinder Sharma

There shall be no new India without Bharat and agriculture
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By Ramandeep Singh Mann

The narrative being peddled by the urban economic pundits and the Ivy League babus is that the best way forward is to take the agriculture labour out of the villages, and into the cities. But, the million-dollar question is that from where will you bring so many jobs?

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किसान आंदोलन: सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवे दौर की वार्ता शनिवार को, 500 किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को किया भारत बंद का ऐलान
किसान आंदोलन: सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवे दौर की वार्ता शनिवार को, 500 किसान संगठनों ने 8 दिसंबर को किया भारत बंद का ऐलान

By गाँव कनेक्शन

सिंघु बॉर्डर पर हुए देश के 500 किसान संगठनो की 'किसान संयुक्त मोर्चा' की राष्ट्रीय बैठक में किसान नेताओं ने प्रस्ताव पारित किया गया कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा सरकार से कोई भी समझौता नही होगा। इसी क्रम में पांच दिसंबर को सरकार का पुतला जलाया जाएगा जबकि आठ दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा।

सिंघु बॉर्डर पर हुए देश के 500 किसान संगठनो की 'किसान संयुक्त मोर्चा' की राष्ट्रीय बैठक में किसान नेताओं ने प्रस्ताव पारित किया गया कि तीनों कृषि कानूनों की वापसी के अलावा सरकार से कोई भी समझौता नही होगा। इसी क्रम में पांच दिसंबर को सरकार का पुतला जलाया जाएगा जबकि आठ दिसंबर को भारत बंद किया जाएगा।

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