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भोजपुरिया समाज का आईना है भिखारी ठाकुर का साहित्य
भोजपुरिया समाज का आईना है भिखारी ठाकुर का साहित्य

By गाँव कनेक्शन

इस वजह से भिखारी ठाकुर को 'भोजपुरी का शेक्सपियर’ कहते हैं लोग
इस वजह से भिखारी ठाकुर को 'भोजपुरी का शेक्सपियर’ कहते हैं लोग

By Manoj Bhawuk

भिखारी ठाकुर इसलिए अमर और लोकप्रिय हैं, क्योंकि उन्होंने लोक की पीड़ा को महसूस किया और उसे गाया। नारी मन को तो उनसे बेहतर किसी ने आज तक समझा ही नहीं। बेटी बेचवा का गीत – ‘रूपिया गिनाई लिहलस, पगहा धराई दिहलस .. चेरिया के छेरिया बनवलस हो बाबूजी ‘ या 'बिदेसिया के बारहमासा' में एक स्त्री के बारहो महीने और आठों पहर के दुख को जिस तरह से भिखारी ने पकड़ा है, वह किसी और के बस की बात नहीं है। तभी तो किसी विद्वान ने उन्हें ‘भोजपुरी का अनगढ़ हीरा’ कहा, तो किसी ने उन्हें ‘भोजपुरी का शेक्सपियर’ माना।

भिखारी ठाकुर इसलिए अमर और लोकप्रिय हैं, क्योंकि उन्होंने लोक की पीड़ा को महसूस किया और उसे गाया। नारी मन को तो उनसे बेहतर किसी ने आज तक समझा ही नहीं। बेटी बेचवा का गीत – ‘रूपिया गिनाई लिहलस, पगहा धराई दिहलस .. चेरिया के छेरिया बनवलस हो बाबूजी ‘ या 'बिदेसिया के बारहमासा' में एक स्त्री के बारहो महीने और आठों पहर के दुख को जिस तरह से भिखारी ने पकड़ा है, वह किसी और के बस की बात नहीं है। तभी तो किसी विद्वान ने उन्हें ‘भोजपुरी का अनगढ़ हीरा’ कहा, तो किसी ने उन्हें ‘भोजपुरी का शेक्सपियर’ माना।

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