By Aishwarya Tripathi
कभी पानी बिजली को तरसते बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा से क्रांति तो आ गई, लेकिन इसके पैनलों की रखवाली यहाँ के लोगों के लिए किसी तपस्या से आज कम नहीं हैं। सौर पैनलों को चोरों से बचाने के लिए लोग, शादी जैसे आयोजनों में जाने से पहले अब इसकी रखवाली का इंतज़ाम करते हैं।
कभी पानी बिजली को तरसते बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा से क्रांति तो आ गई, लेकिन इसके पैनलों की रखवाली यहाँ के लोगों के लिए किसी तपस्या से आज कम नहीं हैं। सौर पैनलों को चोरों से बचाने के लिए लोग, शादी जैसे आयोजनों में जाने से पहले अब इसकी रखवाली का इंतज़ाम करते हैं।
By Ashwani Kumar Dwivedi
केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद के पूर्व सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता संजय दीक्षित ने यूपी के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर बुंदेलखंड में साल 2008 में कराए गए पौधरोपण की जांच की मांग की है। दीक्षित का आरोप है कि जो आंकड़े रिपोर्ट में अधिकारी भेजते हैं वे कुछ और होते हैं जबकि जमीन पर कुछ और।
केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद के पूर्व सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता संजय दीक्षित ने यूपी के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर बुंदेलखंड में साल 2008 में कराए गए पौधरोपण की जांच की मांग की है। दीक्षित का आरोप है कि जो आंकड़े रिपोर्ट में अधिकारी भेजते हैं वे कुछ और होते हैं जबकि जमीन पर कुछ और।
By गाँव कनेक्शन
By Aishwarya Tripathi
बुंदेलखंड के महोबा में सौर क्रांति आने के बावज़ूद किसानों के लिए उनके सौर पम्प साल के छह महीने सफ़ेद हाथी से ज़्यादा कुछ नहीं है। लेकिन जिन मौसम में खेतों की सिंचाई में सौर पम्प इस्तेमाल नहीं होते है तब ग्रिड से जोड़कर बिजली तो पैदा की ही जा सकती है। इससे किसानों को उसके बदले पैसे भी मिल जाएंगे।
बुंदेलखंड के महोबा में सौर क्रांति आने के बावज़ूद किसानों के लिए उनके सौर पम्प साल के छह महीने सफ़ेद हाथी से ज़्यादा कुछ नहीं है। लेकिन जिन मौसम में खेतों की सिंचाई में सौर पम्प इस्तेमाल नहीं होते है तब ग्रिड से जोड़कर बिजली तो पैदा की ही जा सकती है। इससे किसानों को उसके बदले पैसे भी मिल जाएंगे।
By Arvind Singh Parmar
By Shivani Gupta
बुंदेलखंड की पारंपरिक चितेरी लोक कला, जिसको शादी के समय घरों की दीवारों पर बनाया जाता है, अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रही है। झांसी प्रशासन इस 16वीं शताब्दी की कला को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।
बुंदेलखंड की पारंपरिक चितेरी लोक कला, जिसको शादी के समय घरों की दीवारों पर बनाया जाता है, अपने वजूद के लिए संघर्ष कर रही है। झांसी प्रशासन इस 16वीं शताब्दी की कला को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है।