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स्कूली छात्राओं पर कोरोना का प्रतिकूल प्रभाव, ऑनलाइन पढ़ाई के बजाय घरेलू कामों पर समय हो रहा खर्च: रिपोर्ट
स्कूली छात्राओं पर कोरोना का प्रतिकूल प्रभाव, ऑनलाइन पढ़ाई के बजाय घरेलू कामों पर समय हो रहा खर्च: रिपोर्ट

By Daya Sagar

घर पर कंप्यूटर या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में लड़कों को लड़कियों पर प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का भी डर शामिल हो गया है।

घर पर कंप्यूटर या पर्याप्त संख्या में मोबाइल ना होने के कारण जहां ऑनलाइन पढ़ाई में लड़कों को लड़कियों पर प्राथमिकता दी जा रही है, वहीं कोरोना के कारण हुए आर्थिक तंगी के कारण लड़कियों की पढ़ाई छूटने का भी डर शामिल हो गया है।

बंगाल में पीढ़ियों से मूर्तियों का काम करने वाले लाखों कारीगरों का काम कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित
बंगाल में पीढ़ियों से मूर्तियों का काम करने वाले लाखों कारीगरों का काम कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित

By Purnima Sah

कोरोना संकट, चक्रवात अम्फान और अब भारी बारिश ने मूर्तियों का काम करने वाले पारंपरिक बंगाली कारीगरों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है। अकेले कोलकाता में कम से कम 2.5 लाख कारीगर प्रभावित हुए हैं, वहीं वित्तीय घाटा लाखों रुपयों का हुआ है।

कोरोना संकट, चक्रवात अम्फान और अब भारी बारिश ने मूर्तियों का काम करने वाले पारंपरिक बंगाली कारीगरों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी है। अकेले कोलकाता में कम से कम 2.5 लाख कारीगर प्रभावित हुए हैं, वहीं वित्तीय घाटा लाखों रुपयों का हुआ है।

महाराष्ट्र: आदिवासी महिलाएं अंडे बेचकर चला रही हैं घर, कोरोना के बीच कुपोषण से भी लड़ रही हैं जंग
महाराष्ट्र: आदिवासी महिलाएं अंडे बेचकर चला रही हैं घर, कोरोना के बीच कुपोषण से भी लड़ रही हैं जंग

By Shivani Gupta

इस से ना केवल महिलाओं को रोज़गार मिला है बल्कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के भी भय को कम किया गया है।

इस से ना केवल महिलाओं को रोज़गार मिला है बल्कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के भी भय को कम किया गया है।

कोविड -19 ने ना सिर्फ नियम बदले, देह व्यवसाय की परिपाटी ही बदल दी
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By गाँव कनेक्शन

कोरोना लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र के सेक्स वर्कर्स को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा और वे भूखमरी के कगार तक पहुंच गईं। लेकिन वे निश्चित हैं कि सेक्स व्यापार बंद नहीं होगा और न्यू नार्मल में 'सुरक्षित रहने' के नए तरीके तैयार करने होंगे।

कोरोना लॉकडाउन के दौरान महाराष्ट्र के सेक्स वर्कर्स को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा और वे भूखमरी के कगार तक पहुंच गईं। लेकिन वे निश्चित हैं कि सेक्स व्यापार बंद नहीं होगा और न्यू नार्मल में 'सुरक्षित रहने' के नए तरीके तैयार करने होंगे।

कोरोना का आर्थिक संक्रमण: मौसम के सताए किसान अब मंडी में घाटा उठाकर बेच रहे फसलें
कोरोना का आर्थिक संक्रमण: मौसम के सताए किसान अब मंडी में घाटा उठाकर बेच रहे फसलें

By Mithilesh Dhar

खराब मौसम की वजह से पहले से ही नुकसान झेल रहे किसानों को अब सरकारी कीमत के लिए जूझना पड़ रहा है। गेहूं, सरसों, कपास और दलहनी फसलों की कीमत मंडियों में एमएसपी से काफी नीचे चल रही है।

खराब मौसम की वजह से पहले से ही नुकसान झेल रहे किसानों को अब सरकारी कीमत के लिए जूझना पड़ रहा है। गेहूं, सरसों, कपास और दलहनी फसलों की कीमत मंडियों में एमएसपी से काफी नीचे चल रही है।

संवाद: कोरोना संकट के दौरान कितना मददगार रहा सहकारिता क्षेत्र?
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By Arvind Kumar Singh

कोरोना संकट ने तमाम क्षेत्रों पर बुरा असर डाला है और बेशक इसका असर सहकारिता क्षेत्र पर भी पड़ा है। लेकिन इस संकट के दौरान कई क्षेत्रों में सहकारी समितियों ने ऐतिहासिक भूमिका निभाते हुए अपनी उपयोगिता को साबित भी की है।

कोरोना संकट ने तमाम क्षेत्रों पर बुरा असर डाला है और बेशक इसका असर सहकारिता क्षेत्र पर भी पड़ा है। लेकिन इस संकट के दौरान कई क्षेत्रों में सहकारी समितियों ने ऐतिहासिक भूमिका निभाते हुए अपनी उपयोगिता को साबित भी की है।

स्वच्छ भारत की सीख हो सकती है कोरोना पर विजय में सहायक
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By गाँव कनेक्शन

लॉकडाउन: अरब देशों तक थी यहां के हरी मिर्च की मांग, अब अच्छी कीमत को तरस रहे किसान
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By Virendra Singh

'कोरोना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को कैसे बचाएं'
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By Pushpendra Singh

महामारी के बीच पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहें कश्मीर के दिव्यांग छात्र
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By गाँव कनेक्शन

जम्मू और कश्मीर में 83,000 से अधिक दिव्यांग छात्रों का नाम शैक्षणिक संस्थानों में दर्ज है। इनमें से लगभग आधे यानी 40,000 से अधिक छात्र कश्मीर क्षेत्र में हैं। कोरोना महामारी की वजह से इन बच्चों को पढ़ाई जारी रखने में बहुत कठिनाई आ रही है।

जम्मू और कश्मीर में 83,000 से अधिक दिव्यांग छात्रों का नाम शैक्षणिक संस्थानों में दर्ज है। इनमें से लगभग आधे यानी 40,000 से अधिक छात्र कश्मीर क्षेत्र में हैं। कोरोना महामारी की वजह से इन बच्चों को पढ़ाई जारी रखने में बहुत कठिनाई आ रही है।

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