वैज्ञानिकों ने विकसित किया सार्स-कोव-2 का पता लगाने के लिए नया टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म
वैज्ञानिकों ने विकसित किया सार्स-कोव-2 का पता लगाने के लिए नया टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म

By गाँव कनेक्शन

इस टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म की मदद से सार्स-कोव-2 के साथ ही एचआईवी, इंफ्लुएंजा, एचसीवी, जीका, इबोला, बैक्टेरिया और अन्य उत्परिवर्तित/उभरने वाले रोगजनकों जैसे दूसरे डीएनए/आरएनए रोगजनकों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।

इस टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म की मदद से सार्स-कोव-2 के साथ ही एचआईवी, इंफ्लुएंजा, एचसीवी, जीका, इबोला, बैक्टेरिया और अन्य उत्परिवर्तित/उभरने वाले रोगजनकों जैसे दूसरे डीएनए/आरएनए रोगजनकों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार-2023 के लिए करें आवेदन
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार-2023 के लिए करें आवेदन

By India Science Wire

यह वार्षिक पुरस्कार ऐसे भारतीय उद्योगों और उनके प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को पहचान का एक मंच प्रदान करता है, जो बाजार में नवाचार लाने के लिए काम करते हैं और "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण में योगदान करते हैं। हर साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर ये पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।

यह वार्षिक पुरस्कार ऐसे भारतीय उद्योगों और उनके प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को पहचान का एक मंच प्रदान करता है, जो बाजार में नवाचार लाने के लिए काम करते हैं और "आत्मनिर्भर भारत" के दृष्टिकोण में योगदान करते हैं। हर साल राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर ये पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।

अगर आप युवा वैज्ञानिक हैं तो ये आपके काम की खबर है...
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By Divendra Singh

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के किसी विषय में पीएचडी कर रहे या फिर पीएचडी के बाद शोध से जुड़े हुए युवा वैज्ञानिक अपने शोध से संबंधित लोकप्रिय विज्ञान आलेख इस प्रतियोगिता के लिए भेज सकते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के किसी विषय में पीएचडी कर रहे या फिर पीएचडी के बाद शोध से जुड़े हुए युवा वैज्ञानिक अपने शोध से संबंधित लोकप्रिय विज्ञान आलेख इस प्रतियोगिता के लिए भेज सकते हैं।

उद्योग, स्टार्टअप और अकादमिक जगत को सशक्त करेंगे 'साथी' केंद्र
उद्योग, स्टार्टअप और अकादमिक जगत को सशक्त करेंगे 'साथी' केंद्र

By India Science Wire

डीएसटी ने चार वर्षों तक हर साल पाँच ‘साथी’ केंद्रों की स्थापना की योजना बनायी है। इन केंद्रों द्वारा महंगे उपकरणों की पहुँच, उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहराव जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

डीएसटी ने चार वर्षों तक हर साल पाँच ‘साथी’ केंद्रों की स्थापना की योजना बनायी है। इन केंद्रों द्वारा महंगे उपकरणों की पहुँच, उनके रखरखाव, संसाधनों के समुचित उपयोग को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहराव जैसी समस्याओं का समाधान हो सकेगा।

जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से देश के 8 राज्य बेहद संवेदनशील
जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से देश के 8 राज्य बेहद संवेदनशील

By India Science Wire

सरकार की ओर से जारी 'क्लाइमेट वल्नेराबिलिटी असेसमेंट फॉर एडाप्टेशन प्लानिंग इन इंडिया यूजिंग ए कॉमन फ्रेमवर्क' नामक इस रिपोर्ट के माध्यम से राज्यों और जिलों की पहचान की गई है, जो मौजूदा जलवायु संबंधी खतरों और संवेदनशीलता के मुख्य कारकों से जूझ रहे हैं।

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देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों का गवाह बन रहा 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यते'
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By गाँव कनेक्शन

सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अलावा एक साथ 75 स्थानों - उत्तर में लेह व श्रीनगर से लेकर दक्षिण में पोर्ट ब्लेयर व लक्षद्वीप के कवरत्ती, पश्चिम में दमन व अहमदाबाद से लेकर पूरब में ईटानगर, कोहिमा, आइजवाल में किया जा रहा है।

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वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की नई किस्म, इसके आटे से बनेंगी नरम रोटियां, मिलेगा बेहतर स्वाद
वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की नई किस्म, इसके आटे से बनेंगी नरम रोटियां, मिलेगा बेहतर स्वाद

By Divendra Singh

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने गेहूं की नई किस्म 'पीबीडब्ल्यू-1 चपाती' विकसित की है, जिसके आटे से बनी रोटियां लंबे समय तक मुलायम रहती हैं। इसे खासतौर पर रोटियों के लिए विकसित किया गया है।

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थर्मोकोल के इस्तेमाल से बनेंगी भूकंप प्रतिरोधी इमारतें
थर्मोकोल के इस्तेमाल से बनेंगी भूकंप प्रतिरोधी इमारतें

By गाँव कनेक्शन

शोधकर्ताओं कहना है कि ताप रोधन के साथ भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण के लिए थर्मोकोल भविष्य की सामग्री हो सकती है और निर्माण सामग्रियों को विकसित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का बचत भी कर सकता है।

शोधकर्ताओं कहना है कि ताप रोधन के साथ भूकंप प्रतिरोधी भवनों के निर्माण के लिए थर्मोकोल भविष्य की सामग्री हो सकती है और निर्माण सामग्रियों को विकसित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा का बचत भी कर सकता है।

वैज्ञानिकों ने विकसित किया अपनी टूट-फूट को खुद से रिपेयर कर लेने वाला पदार्थ
वैज्ञानिकों ने विकसित किया अपनी टूट-फूट को खुद से रिपेयर कर लेने वाला पदार्थ

By India Science Wire

अंतरिक्ष अभियानों में, चंद्रमा या मंगल पर लैंडिंग के समय क्षतिग्रस्त हो जाने की आशंका वाले उपकरणों में भी स्वयं मरम्मत की ये तकनीक उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

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कोविड संक्रमण के पीछे रोग-प्रतिरोधक क्षमता, जीवनशैली और अनुवांशिक कारक हैं जिम्मेदार: रिसर्च
कोविड संक्रमण के पीछे रोग-प्रतिरोधक क्षमता, जीवनशैली और अनुवांशिक कारक हैं जिम्मेदार: रिसर्च

By India Science Wire

वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि कोविड संक्रमण के भिन्न प्रभाव के पीछे रोग-प्रतिरोधी क्षमता, जीवनशैली और अनुवांशिक कारक हैं जिम्मेदार।

वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि कोविड संक्रमण के भिन्न प्रभाव के पीछे रोग-प्रतिरोधी क्षमता, जीवनशैली और अनुवांशिक कारक हैं जिम्मेदार।

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