By Gaon Connection
ये कोई आम साड़ी नहीं है। नदियों और तालाबों में जिस जलकुंभी को निकाल फेंकना किसी झंझट से कम नहीं होता उससे ही झारखंड के जमशेदपुर में एक इंजीनियर साड़ियाँ तैयार कर रहे हैं। तालाबों की सफाई के साथ जलकुंभी से साड़ी बनाने की उनकी मुहिम ने कई महिलाओं को रोज़गार दे दिया है।
ये कोई आम साड़ी नहीं है। नदियों और तालाबों में जिस जलकुंभी को निकाल फेंकना किसी झंझट से कम नहीं होता उससे ही झारखंड के जमशेदपुर में एक इंजीनियर साड़ियाँ तैयार कर रहे हैं। तालाबों की सफाई के साथ जलकुंभी से साड़ी बनाने की उनकी मुहिम ने कई महिलाओं को रोज़गार दे दिया है।
By Ambika Tripathi
ये कोई आम साड़ी नहीं है। नदियों और तालाबों में जिस जलकुंभी को निकाल फेंकना किसी झंझट से कम नहीं होता उससे ही झारखंड के जमशेदपुर में एक इंजीनियर साड़ियाँ तैयार कर रहे हैं। तालाबों की सफाई के साथ जलकुंभी से साड़ी बनाने की उनकी मुहिम ने कई महिलाओं को रोज़गार दे दिया है।
ये कोई आम साड़ी नहीं है। नदियों और तालाबों में जिस जलकुंभी को निकाल फेंकना किसी झंझट से कम नहीं होता उससे ही झारखंड के जमशेदपुर में एक इंजीनियर साड़ियाँ तैयार कर रहे हैं। तालाबों की सफाई के साथ जलकुंभी से साड़ी बनाने की उनकी मुहिम ने कई महिलाओं को रोज़गार दे दिया है।
By Ashwini K Shukla
Sunn hemp ropes were once used to make charpais, tie cattle, use around pails that were lowered then into wells to collect water, and on auspicious occasions. But now, nylon and other factory-made ropes have replaced the natural ropes. The traditional craft of making ropes is slowly disappearing.
Sunn hemp ropes were once used to make charpais, tie cattle, use around pails that were lowered then into wells to collect water, and on auspicious occasions. But now, nylon and other factory-made ropes have replaced the natural ropes. The traditional craft of making ropes is slowly disappearing.