By गाँव कनेक्शन
एक समय के बाद मोबाइल कंम्यूटर, लैपटॉप जैसे उपकरण बेकार हो जाते हैं, जो किसी काम के नहीं रहते और वो बस कचरा बनकर रह जाते हैं, जिनसे निपटना एक मुश्किल काम है, लेकिन आईआईटी, मद्रास एक ऐसा ऑनलाइट प्लेटफार्म बना रहा है, जिससे इलेक्ट्रानिक कचरे यानि ई-कचरे से निपटने में आसानी होगी।
एक समय के बाद मोबाइल कंम्यूटर, लैपटॉप जैसे उपकरण बेकार हो जाते हैं, जो किसी काम के नहीं रहते और वो बस कचरा बनकर रह जाते हैं, जिनसे निपटना एक मुश्किल काम है, लेकिन आईआईटी, मद्रास एक ऐसा ऑनलाइट प्लेटफार्म बना रहा है, जिससे इलेक्ट्रानिक कचरे यानि ई-कचरे से निपटने में आसानी होगी।
By India Science Wire
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने 3डी पेपर के उपयोग से यह एक पोर्टेबल उपकरण बनाया है, जो महज 30 सेकंड के भीतर दूध में मिलावट का पता लगा सकता है।
आईआईटी मद्रास के शोधकर्ताओं ने 3डी पेपर के उपयोग से यह एक पोर्टेबल उपकरण बनाया है, जो महज 30 सेकंड के भीतर दूध में मिलावट का पता लगा सकता है।
By India Science Wire
इस निष्कर्ष तक पहुंचने के क्रम में अध्ययनकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों और सामान्य रक्तचाप वाले स्वस्थ लोगों के अनुवांशिक प्रोफाइल का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया है।
इस निष्कर्ष तक पहुंचने के क्रम में अध्ययनकर्ताओं ने उच्च रक्तचाप से पीड़ित रोगियों और सामान्य रक्तचाप वाले स्वस्थ लोगों के अनुवांशिक प्रोफाइल का गहन अध्ययन और विश्लेषण किया है।
By India Science Wire
आईआईटी मद्रास, चेन्नई स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआईए) के साथ मिलकर एक पाइंट-ऑफ-केयर डिवाइस बनाने जा रही, जो महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता लगाने में मददगार होगी।
आईआईटी मद्रास, चेन्नई स्थित कैंसर इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआईए) के साथ मिलकर एक पाइंट-ऑफ-केयर डिवाइस बनाने जा रही, जो महिलाओं में गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती स्तर पर पता लगाने में मददगार होगी।
By India Science Wire
विशेषज्ञों के अनुसार आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित इस उपकरण को अब पांच हजार से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया है, साथ ही भारत के साथ ही नीदरलैंड के कई अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित इस उपकरण को अब पांच हजार से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया है, साथ ही भारत के साथ ही नीदरलैंड के कई अस्पतालों में इसका उपयोग किया जा रहा है।
By India Science Wire
आईआईटी मद्रास के शोधार्थियों के एक अध्ययन से कैंसर उपचार की दिशा में बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद बंधी है। संस्थान के शोधार्थियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एक एल्गोरिदम विकसित किया है, जो कोशिकाओं में कैंसर का कारण बनने वाले परिवर्तनों को चिन्हित करती है।
आईआईटी मद्रास के शोधार्थियों के एक अध्ययन से कैंसर उपचार की दिशा में बड़ी सफलता मिलने की उम्मीद बंधी है। संस्थान के शोधार्थियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित एक एल्गोरिदम विकसित किया है, जो कोशिकाओं में कैंसर का कारण बनने वाले परिवर्तनों को चिन्हित करती है।
By India Science Wire
वर्तमान में लेड रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया कई तरह के खतरों और चुनौतियों से भरी है। असंगठित क्षेत्र में लेड-एसिड बैटरियों का पुनर्चक्रण करने वाले कामगार यह काम कुछ इस प्रकार अंजाम देते हैं, जिसमें बैटरी से निकलने वाला तेजाब और लेड के कण मृदा और आसपास के परिवेश में घुल जाते हैं।
वर्तमान में लेड रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया कई तरह के खतरों और चुनौतियों से भरी है। असंगठित क्षेत्र में लेड-एसिड बैटरियों का पुनर्चक्रण करने वाले कामगार यह काम कुछ इस प्रकार अंजाम देते हैं, जिसमें बैटरी से निकलने वाला तेजाब और लेड के कण मृदा और आसपास के परिवेश में घुल जाते हैं।
By India Science Wire
आईआईटी, मद्रास के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं हैं। वर्ष 2002 में सार्स-सीओवी के ही एक स्वरूप ने अपना प्रकोप दिखाया था, लेकिन अब सार्स-सीओवी2 पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। कंप्यूटेशनल टूल्स का उपयोग कर शोधकर्ता कर रहे रिसर्च।
आईआईटी, मद्रास के शोधकर्ताओं ने रिसर्च में कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाईं हैं। वर्ष 2002 में सार्स-सीओवी के ही एक स्वरूप ने अपना प्रकोप दिखाया था, लेकिन अब सार्स-सीओवी2 पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। कंप्यूटेशनल टूल्स का उपयोग कर शोधकर्ता कर रहे रिसर्च।
By India Science Wire
तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित रामनाथपुरम जिले के नारिप्पिय्यूर गाँव में एक प्रयोग किया गया है। इस सूखा प्रभावित इलाके में समुद्र के जल से रोजाना 20,000 लीटर पेयजल तैयार किया जा रहा है।
तमिलनाडु के दक्षिण पूर्वी हिस्से में स्थित रामनाथपुरम जिले के नारिप्पिय्यूर गाँव में एक प्रयोग किया गया है। इस सूखा प्रभावित इलाके में समुद्र के जल से रोजाना 20,000 लीटर पेयजल तैयार किया जा रहा है।
By Faizi Noor Ahmad
People of Uppada, a village in East Godavari district of Andhra Pradesh, are facing the nature's wrath. Between 1989 and 2018, the coastline of Uppada has eroded at an average of 1.23 metre/year
People of Uppada, a village in East Godavari district of Andhra Pradesh, are facing the nature's wrath. Between 1989 and 2018, the coastline of Uppada has eroded at an average of 1.23 metre/year