मुंबई से गाँव वापस आ रहे प्रवासी मजदूर की ट्रेन में मौत, कई दिनों तक शव के लिए भटकता रहा परिवार
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By Piyush Kant Pradhan

ट्रेन में गर्मी के कारण राम अवध चौहान का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। उनको दिक्कत महसूस होने लगी तो उनके बेटे ने चेन खींची, लेकिन ट्रेन नहीं रुकी। उन्होंने रेलवे हेल्पलाइन नंबर भी डायल किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

ट्रेन में गर्मी के कारण राम अवध चौहान का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा था। उनको दिक्कत महसूस होने लगी तो उनके बेटे ने चेन खींची, लेकिन ट्रेन नहीं रुकी। उन्होंने रेलवे हेल्पलाइन नंबर भी डायल किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।

निर्माण मजदूरों को कैसे मिले सरकारी योजनाओं और सामजिक सुरक्षा का लाभ?
निर्माण मजदूरों को कैसे मिले सरकारी योजनाओं और सामजिक सुरक्षा का लाभ?

By गाँव कनेक्शन

निर्माण मजदूरों का काम हमेशा से ही जोखिम भरा होता है। यह जानते हुए भी निर्माण श्रमिकों को शायद ही कभी सामाजिक सुरक्षा या सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाता है। उनके लिए एक सुनियोजित योजना ही यह सुनिश्चित कर सकती है कि इन श्रमिकों को वो लाभ मिलें जिनके वे असल में हकदार हैं।

निर्माण मजदूरों का काम हमेशा से ही जोखिम भरा होता है। यह जानते हुए भी निर्माण श्रमिकों को शायद ही कभी सामाजिक सुरक्षा या सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाता है। उनके लिए एक सुनियोजित योजना ही यह सुनिश्चित कर सकती है कि इन श्रमिकों को वो लाभ मिलें जिनके वे असल में हकदार हैं।

उत्तर प्रदेश में कामगार और श्रमिक आयोग के गठन को मिली मंजूरी, मजदूरों को रोजगार के साथ मिलेगी सामाजिक सुरक्षा
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By गाँव कनेक्शन

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में कामगार और श्रमिक कल्याण आयोग के गठन को लेकर आखिरकार मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को एक प्रवासी आयोग के गठन और उसकी रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्रदेश में कामगार और श्रमिक कल्याण आयोग के गठन को लेकर आखिरकार मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को एक प्रवासी आयोग के गठन और उसकी रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए थे।

मनरेगा: उत्तर प्रदेश में मजदूरों को क्या महीने में सिर्फ छह से आठ दिन ही काम मिल रहा है?
मनरेगा: उत्तर प्रदेश में मजदूरों को क्या महीने में सिर्फ छह से आठ दिन ही काम मिल रहा है?

By Kushal Mishra

गांवों में मजदूरों की संख्या ज्यादा है और उसके अनुसार काम न होने की वजह से सभी मजदूरों को रोजगार देना ग्राम प्रधानों के लिए भी कठिन हो रहा है। दूसरी तरफ मनरेगा में कम दिन काम मिल पाने के बाद दोबारा काम मिलने के लिए मजदूरों को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।

गांवों में मजदूरों की संख्या ज्यादा है और उसके अनुसार काम न होने की वजह से सभी मजदूरों को रोजगार देना ग्राम प्रधानों के लिए भी कठिन हो रहा है। दूसरी तरफ मनरेगा में कम दिन काम मिल पाने के बाद दोबारा काम मिलने के लिए मजदूरों को लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।

प्रवासी मजदूरों के संकट के समय मदद के लिए आगे आया बिहार का यह एनआरआई युवा
प्रवासी मजदूरों के संकट के समय मदद के लिए आगे आया बिहार का यह एनआरआई युवा

By Daya Sagar

आसिफ कमाल अपनी संस्था के माध्यम से करीब 1000 प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा चुके हैं और 10,000 से अधिक जरूरतमंद परिवारों को राशन-पानी मुहैया कराया है। यह काम बदस्तूर जारी है।

आसिफ कमाल अपनी संस्था के माध्यम से करीब 1000 प्रवासी मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा चुके हैं और 10,000 से अधिक जरूरतमंद परिवारों को राशन-पानी मुहैया कराया है। यह काम बदस्तूर जारी है।

गांव कनेक्शन सर्वेः आधे से अधिक प्रवासी मजदूर फिर से जाएंगे शहर, कहा- गांव में नहीं हो सकेगा गुजारा
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By Daya Sagar

कोरोना की बढ़ती महामारी के बीच पेट पालने के लिए बड़े शहरों की तरफ फिर से वापिस लौटने पर मजबूर हो रहे हैं प्रवासी मजदूर। सिर्फ 28 फीसदी ने कहा कि गांव छोड़कर फिर से वापिस शहर नहीं जाना।

कोरोना की बढ़ती महामारी के बीच पेट पालने के लिए बड़े शहरों की तरफ फिर से वापिस लौटने पर मजबूर हो रहे हैं प्रवासी मजदूर। सिर्फ 28 फीसदी ने कहा कि गांव छोड़कर फिर से वापिस शहर नहीं जाना।

सरकारी आश्वासनों के बाद भी सड़कों पर प्रवासी मजदूरों की पैदल यात्रा जारी है
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By गाँव कनेक्शन

संकट के इस दौर में इन प्रवासी मजदूरों ने जो कष्ट झेला है उसका प्रतिकूल परिणाम आगे आने वाले लम्बे समय तक दिखाई देगा। अब वापस उन्हें शहरों की तरफ ले जा पाना बहुत मुश्किल होगा और गाँव में ही उनके लिए सम्मानजनक रोजगार की व्यवस्था कर पाना शायद उससे भी मुश्किल।

संकट के इस दौर में इन प्रवासी मजदूरों ने जो कष्ट झेला है उसका प्रतिकूल परिणाम आगे आने वाले लम्बे समय तक दिखाई देगा। अब वापस उन्हें शहरों की तरफ ले जा पाना बहुत मुश्किल होगा और गाँव में ही उनके लिए सम्मानजनक रोजगार की व्यवस्था कर पाना शायद उससे भी मुश्किल।

उत्तर प्रदेश : मजदूरों के खातों में पहुंची तीसरी किस्त, दस लाख से ज्यादा कामगारों को दिए 1000-1000 रुपए
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By गाँव कनेक्शन

उत्तर प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित प्रवासी मजदूरों की आर्थिक मदद के लिए आज (13 जून) 10 लाख से ज्यादा मजदूरों के बैंक खातों में 1000-1000 रुपए ऑनलाइन ट्रांसफर किये।

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साइकिल, ट्रक, मोटरसाइकिल, सवारी कोई भी हो, हर कोई बस अपने गाँव लौटना चाहता है
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By Ajay Mishra

गांव लौटने पर 64 प्रतिशत प्रवासी मजदूरों को किया गया क्वारंटाइन, लेकिन 10 में से 9 का नहीं हुआ कोविड टेस्ट
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By Shivani Gupta

हजारों किलोमीटर की यात्रा करने के बाद गर्मी और भूख से तड़पते प्रवासी श्रमिक अपने-अपने गांव पहुंचे जिनमें से ज्यादातर को क्वारंटाइन कर दिया गया। इन केंद्रों में शौचालय, बिजली और भोजन तक की सुविधा नहीं थी।

हजारों किलोमीटर की यात्रा करने के बाद गर्मी और भूख से तड़पते प्रवासी श्रमिक अपने-अपने गांव पहुंचे जिनमें से ज्यादातर को क्वारंटाइन कर दिया गया। इन केंद्रों में शौचालय, बिजली और भोजन तक की सुविधा नहीं थी।

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